क्या यह भारत के जगमगाने का दशक है? भारत में निवेश के माहौल पर कैपिटल ग्रुप ने अपना ताजा विश्लेषण इसी सवाल से शुरू किया। फिर खुद ही जवाब में कहा कि उसे विश्वास है भारत प्रगति के एक लंबे दौर के प्रवेश द्वार पर खड़ा है। इतने बड़े लोकतंत्र में 10 साल से राजनीतिक स्थिरता है। आर्थिक गतिविधियों को सर्वोच्च प्राथमिकता मिली है। अगले साल आम चुनाव होने वाले हैं। इसका कुछ असर हो सकता है, लेकिन निवेशक लगातार भारत का रुख कर रहे हैं। अमेरिका की राजकीय यात्रा में पीएम नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस को संबोधित किया। शीर्ष कारोबारियों से मिले। ये इशारा है कि भारत सही दिशा में बढ़ रहा है। कॉरपोरेट जगत का विश्वास उच्चतम स्तर पर है। भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। तकनीकी नवाचार प्रगति के नए क्षेत्र खोल रहे हैं। हाल ही में इन्वेस्को ने दावा किया कि निवेशकों के लिए भारत 2023 में चीन को पछाड़कर उभरते बाजारों में सबसे आकर्षक गंतव्य बन चुका है। दुनिया में 2.2 लाख डॉलर के एसेट का प्रबंधन कर रहे कैपिटल ग्रुप ने विश्लेषण में भारत के लिए सकारात्मक हालात को कई बिंदुओं में सामने रखा, जो इस प्रकार हैं…
भारतीयों की 29 वर्ष की औसत आयु निवेशकों को आकर्षित में अहम कारक है। उन्हें घरेलू खपत के लिहाज से भी भारत बड़ा बाजार नजर आ रहा है। दिसंबर, 2022 तक भारतीयों ने 108 यूनिकॉर्न खड़े किए हैं। यूनिकॉर्न की संख्या में आज हम दुनिया में तीसरे हैं तो इसमें घरेलू खपत का अहम योगदान है। दूसरे स्थान पर मौजूद चीन में 172 और प्रथम स्थान पर काबिज अमेरिका में 644 यूनिकॉर्न हैं।
चिप व केमिकल उद्योग में चीन का विकल्प
विकसित देश अपने लिए चीन के अलावा केमिकल आपूर्ति के वैकल्पिक स्रोत चाहते हैं। बीते दशक में कई केमिकल कंपनियों ने भारत का रुख किया। ई-वाहनों की बैटरी से लेकर सेमीकंडक्टर के लिए कई देश एवं कंपनियां भारत की ओर देखने लगी हैं। ‘चाइना प्लस वन’ नीति से भारत द्वारा चीन के लिए चुनौती बनने में कई वर्ष लगेंगे, लेकिन फिलहाल इसमें सबको फायदा नजर आ रहा है।