बंगलूरू। दक्षिण क्षेत्र ने कप्तान हनुमा विहारी की कप्तानी में खिताब जीता है। विहारी ने कहा कि वह अपनी कप्तानी का लुत्फ उठा रहे हैं और टीम का गेंदबाजी आक्रमण शानदार रहा है। विहारी अब पूरे घरेलू सत्र में मध्य प्रदेश के लिए खेलेंगे।
उन्होंने कहा, ‘मैंने कप्तानी का लुत्फ उठाया और जब आपके पास ऐसी टीम हो तो आप कप्तानी का आनंद उठाओगे ही। जब आपकी टीम में इस तरह का गेंदबाजी आक्रमण हो तो कप्तानी का दबाव कम हो जाता है। हमारी योजना थी कि उन्हें तीन रन प्रति ओवर से कम पर ले आएं और गेंदबाजों ने पूरी तरह से रणनीति पर अमल किया। बेहतरीन गेंदबाज कप्तान का काम आसान बना देते हैं।’
विहारी ने कहा, ‘कर्नाटक के सभी तीनों तेज गेंदबाज विकेट को बखूबी जानते थे। जैसा कि मैंने पहले भी कहा था कि ऐसे गेंदबाज टीम में होना जो हालात को समझते हैं तो यह चीज फायदेमंद हो जाती है।’
दक्षिण क्षेत्र ने रविवार को पश्चिम क्षेत्र को 75 रन से हराकर दलीप ट्रॉफी का 14वीं बार खिताब जीत लिया। इसके साथ ही दक्षिण ने पश्चिम क्षेत्र से अपनी पिछली हार का भी बदला ले लिया। पिछले साल पश्चिम क्षेत्र ने दक्षिण क्षेत्र को इस टूर्नामेंट के फाइनल में 294 रन से हराकर खिताब जीता था। दक्षिण क्षेत्र ने पिछली बार दलीप ट्रॉफी का खिताब जीता था जब वह 2013-14 में उत्तर क्षेत्र के साथ संयुक्त विजेता रहा था।
अनुभवी बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा, सूर्यकुमार यादव, सरफराज खान और पृथ्वी शॉ जैसे सितारे खिलाड़ी खराब प्रदर्शन के कारण पश्चिम क्षेत्र को हार से नहीं बचा पाए।
298 रनों के लक्ष्य के जवाब में गत विजेता पश्चिम क्षेत्र की पूरी टीम दूसरी पारी में 222 रनों पर सिमटकर मैच हार गई। दक्षिण क्षेत्र पहली पारी में 213 बना पाया था और टीम के कप्तान हनुमा विहारी ने सबसे ज्यादा 63 रन बनाए थे। इसके जवाब में विध्वथ कावेरप्पा (7/53) की बेहतरीन गेंदबाजी की मदद से पश्चिम क्षेत्र 146 रनों पर ढेर हो गया था और दक्षिण क्षेत्र को पहली पारी में 67 रनों की उपयोगी बढ़त मिली थी। इस तरह दक्षिण क्षेत्र की टीम पश्चिम क्षेत्र को 298 रनों का लक्ष्य देने में सफल हो पाई थी।
प्रियांक के आउट हाेने से टूटी पश्चिम की उम्मीदें
मैच के पांचवें और आखिरी दिन पश्चिम क्षेत्र ने अपनी दूसरी पारी पांच विकेट पर 182 रन से आगे शुरू की। दक्षिण क्षेत्र को जीत के लिए शेष पांच विकेट चाहिए थे जबकि पश्चिम क्षेत्र को 116 रनों की जरूरत थी। पश्चिम क्षेत्र की जीत का दारोमदार कप्तान प्रियांक पंचाल पर था। पश्चिम क्षेत्र ने पांच विकेट पर 182 रन से आगे खेलना शुरू किया और पूरी टीम दूसरी पारी में 40 रन जोड़कर 222 रन पर ढेर हो गई। प्रियांक शनिवार के अपने नाबाद 92 रन के स्कोर में तीन रन जोड़कर 95 रन बनाकर कावेरप्पा की गेंद पर आउट हो गए। कावेरप्पा ने 51 रन देकर एक विकेट लिया। पंचाल के आउट होने के साथ ही पश्चिम क्षेत्र की जीत की उम्मीदें भी टूट गईं।
साई किशोर ने निचले क्रम को पवेलियन भेजा
इसके बाद निचले क्रम के बल्लेबाजों को बाएं हाथ के स्पिन गेंदबाज साई किशोर (4/57) ने चलता किया। उन्होंने मैच के आखिरी दिन तीन विकेट लेकर टीम को जीत दिला दी। अतीत सेठ (09) और धर्मेंद्रसिंह जडेजा (15) ने आठवें विकेट के लिए 23 रन जोड़े, लेकिन इससे वह हार का अंतर ही कम कर पाए। धर्मेंद्रसिंह चौके के चक्कर में साईं किशोर की गेंद पर वाशिंगटन सुंदर को कैच दे बैठे, फिर उन्होंने अतीत को भी पवेलियन भेज दिया। तेज गेंदबाज वासुकी कौशिक ने भी चार विकेट चटकाए।