जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स जर्नल में प्रकाशित शोधपत्र के मुताबिक दुनिया के सबसे व्यस्त उत्तरी अटलांटिक हवाई मार्ग पर एक खास बिंदु पर 1979 में सालाना गंभीर टर्ब्युलेंस 17.7 घंटे दर्ज किया गया था, जो 2020 में 55 फीसदी बढ़कर 27.4 घंटे पहुंच गया है।
ब्रिटेन के रीडिंग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं का दावा है कि जलवायु बदलाव की वजह से हवाई जहाज ज्यादा हिचकोले खाने लगे हैं। अध्येताओं के मुताबिक वायुमंडल में जिस ऊंचाई पर ज्यादातर विमान उड़ते हैं, वहां बीते चार दशक से टर्ब्युलेंस में लगातार वृद्धि हो रही है। खासतौर पर यह व्यवधान साफ आसमान में बढ़ गया है, जिसे क्लीन एयर टर्ब्युलेंस कहा जाता है, जो हवाई जहाजों के लिए खराब मौसम के बजाय ज्यादा खतरनाक साबित हो रहा है।जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स जर्नल में प्रकाशित शोधपत्र के मुताबिक दुनिया के सबसे व्यस्त उत्तरी अटलांटिक हवाई मार्ग पर एक खास बिंदु पर 1979 में सालाना गंभीर टर्ब्युलेंस 17.7 घंटे दर्ज किया गया था, जो 2020 में 55 फीसदी बढ़कर 27.4 घंटे पहुंच गया है। इस दौरान मध्यम टर्ब्युलेंस 70.0 घंटे से 37 फीसदी बढ़कर 96.1 फीसदी हो गया है। इसके अलावा हल्के टर्ब्युलेंस 466.5 घंटे से 17 फीसदी बढ़कर 546.8 घंटे तक बढ़ गया है।