लगातार बढ़ रही महंगाई, मंदी की आशंका और नौकरियों पर संकट के मौजूदा दौर में वित्तीय प्रबंधन की महत्ता बढ़ जाती है। मुश्किल दौर में अपने और परिवार की आवश्यक दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए आपके पास पर्याप्त फंड होना चाहिए। नौकरी जाने और बीमारी जैसी आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए आपका वित्तीय रूप से सशक्त होना जरूरी है। इसके लिए आप इन सात नियमों का पालन कर सकते हैं। कालीचरण की रिपोर्ट..
उदाहरण : अगर आपको निवेश पर 8 फीसदी का ब्याज मिल रहा है तो इससे 72 में भाग देने पर 9 बचेगा। यानी 8 फीसदी ब्याज दर पर आपका पैसा 9 साल में दोगुना हो जाएगा। अगर ब्याज दर 6 फीसदी है तो 12 साल में आपकी रकम दोगुनी होगी।
70 का नियम : महंगाई का रखें ध्यान
इसके जरिये आप यह पता लगा सकते हैं कि लगातार बढ़ रही महंगाई की वजह से आपके निवेश की रकम कितने साल में आधी हो जाएगी। इसके लिए 70 में महंगाई दर से भाग दें।
उदाहरण : मौजूदा महंगाई दर 7 फीसदी है तो इससे 70 में भाग देने पर 10 आएगा। यानी महंगाई दर को देखते हुए अगर अपना निवेश नहीं बढ़ाते हैं तो 10 साल में यह आधा हो जाएगा।
चार फीसदी का नियम
सेवानिवृत्त होने के बाद भी अगर आप वित्तीय रूप से स्वतंत्र होना चाहते हैं तो आपके पास सालाना खर्चे का 25 गुना तक फंड जमा होना चाहिए।
उदाहरण : 50 साल की उम्र के बाद सालाना खर्च 5 लाख रुपये है और आप स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) लेना चाहते हैं तो आपके पास 1.25 करोड़ का फंड होना चाहिए। इस फंड का आधा हिस्सा यानी 50% राशि निश्चित रिटर्न वाली योजनाओं में निवेश करें और आधी रकम इक्विटी में डालें।
जीवन बीमा : बीमित राशि 20 गुना
जीवन बीमा का सम एश्योर्ड यानी कुल बीमित राशि आपकी सालाना आय की 20 गुना होनी चाहिए।
उदाहरण : अगर सालाना कमाई 5 लाख रुपये है तो आपको कम-से-कम एक करोड़ रुपये का जीवन बीमा कराना चाहिए।
100-उम्र का नियम : प्रबंधन में मदद
इसके तहत आप यह जान सकते हैं कि आपको पोर्टफोलियो का कितना हिस्सा इक्विटी में निवेश करना चाहिए। इसके लिए 100 में से अपनी मौजूदा उम्र को घटा लें।
उदाहरण : अगर आपकी उम्र 30 साल है तो उसे 100 में से घटाने पर 70 आएगा। मतलब कि अपने पोर्टफोलियो का 70 फीसदी हिस्सा इक्विटी में निवेश करें और 30 फीसदी डेट में। लेकिन, उम्र 60 साल है तो 40% हिस्सा ही इक्विटी में लगाएं।
50-30-20 : तीन हिस्सों में बांटें कमाई
इस नियम के तहत अपनी कुल कमाई को तीन हिस्सों में विभाजित कर जरूरत, इच्छा और बचत पर खर्च करें।
उदाहरण : कुल कमाई का 50 फीसदी हिस्सा जरूरतों (ग्रॉसरी, किराया, ईएमआई आदि) पर खर्च करें। 30 फीसदी इच्छाओं (इंटरटेनमेंट व यात्रा आदि) पर खर्च करें। बाकी 20 फीसदी राशि बचाएं। इसे इक्विटी, म्यूचुअल फंड व एफडी में निवेश करें।
40 फीसदी का ईएमआई नियम
अपनी मासिक आय की 40 फीसदी राशि ही ईएमआई पर खर्च करें। आमतौर पर वित्तीय कंपनियां कर्ज देने के लिए इस नियम का उपयोग करती हैं, लेकिन आप भी इसकी मदद से अपना वित्तीय प्रबंधन कर सकते हैं।
उदाहरण : मान लीजिए, आपकी कुल मासिक कमाई 50,000 रुपये है तो ईएमआई पर अधिक-से-अधिक 20,000 रुपये तक ही खर्च करें।
जरूर बनाएं आपातकालीन फंड
किसी भी मुश्किल स्थिति से निपटने के लिए आपात फंड जरूर बनाएं। यह फंड आपकी कुल मासिक आय का कम-से-कम 3 गुना होना चाहिए। और बेहतर वित्तीय प्रबंधन के लिए अपनी कुल मासिक कमाई का 6 फीसदी तक आपात फंड में जमा कर सकते हैं। -बलवंत जैन, निवेश एवं टैक्स सलाहका