खुदरा निवेशकों को रीट में निवेश के लिए सेबी ने कई बदलाव किए हैं। सबसे बड़ा बदलाव यह है कि अब खुदरा निवेशक कम से कम 15,000 रुपये का निवेश कर सकते हैं, जो पहले 50 हजार रुपये की सीमा थी। रीट में इस बदलाव और इससे मिलने वाले फायदे का गणित बताती अजीत सिंह की रिपोर्ट-
भारत में रीट अभी एक विकासशील चरण में है। यह एक ऐसा उद्योग है जो बहुत तेजी से विकसित हो रहा है। किसी भी साधन में निवेश उस समय अच्छा होता है, जब वह विकासशील चरण में हो, क्योंकि तब निवेश करने पर आपको लंबा समय मिलता है और साथ ही कम भाव पर आप निवेश कर सकते हैं। भारत में रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (रीट) को भी एक आईपीओ के तौर पर शेयर बाजार में सूचीबद्ध किया जा सकता है। हालांकि, 2019 में आए पहले रीट आईपीओ की तुलना में अब इसमें काफी बदलाव हुआ है। खासकर खुदरा निवेशकों को आकर्षित करने के लिए सेबी ने समय-समय पर बदलाव किए हैं
औसत रिटर्न के लिए करें निवेश
इस समय खुदरा रीट में टैक्स फ्री एफडी और 10 साल की सरकारी प्रतिभूतियों के मुकाबले 2-3 फीसदी अधिक रिटर्न मिल सकता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि खुदरा रीट से सालाना 7.5 फीसदी का लाभांश ब्याज मिल सकता है। इसका 70 फीसदी लाभांश टैक्स फ्री होता है।
खुदरा निवेशकों के लिए रीट की शुरुआत
ब्लैकस्टोन की समर्थित कंपनी नेक्सस सिलेक्ट ट्रस्ट की यूनिट्स को आप 11 मई तक खरीद सकते हैं। इसका मूल्य 95 से लेकर 100 रुपये प्रति यूनिट है। यानी आपको कम से कम 150 यूनिट खरीदना होगा। यह यूनिट्स स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध होंगी। यह भारत का पहला खुदरा रीट आईपीओ है। इससे पहले तीन रीट आईपीओ आए थे। इसमें एंबेसी, माइंडस्पेस और ब्रुकफील्ड थे। यह तीनों ऑफिस मैनेजमेंट वाले रीट थे। यानी इसमें खुदरा निवेशक को भी कम से कम 50,000 रुपये से निवेश की शुरुआत करनी होती थी।
पहले के रीट काफी महंगे भाव पर
अब तक जो तीन रीट सूचीबद्ध हुए हैं, वे काफी महंगे भाव पर आए थे। इनका भाव 275 से 300 रुपये के बीच था। हालांकि, बावजूद इनके इन सभी ने निवेशकों को फायदा ही दिया है। रीट में आपको यह भी फायदा होता है कि यह विभिन्न तरीके से आपको आय देता है। जैसे लाभांश, ब्याज और निवेश पर रिटर्न। आने वाले समय में और ज्यादा खुदरा रीट बाजार में आ सकते हैं।
आपके पैसे को रियल एस्टेट में निवेश करता है रीट
जिस तरह म्यूचुअल फंड की कोई स्कीम कई निवेशकों से पैसा जुटाकर शेयरों या बॉन्ड में निवेश करती है, उसी तरह रीट निवेशकों से पैसा जुटाकर रिटल एस्टेट में निवेश करता है। इससे रीट को नियमित आय होती है।
जिस प्रॉपर्टी में उसने निवेश किया है, उसकी कीमत बढ़ती है। इससे भी उसे फायदा होता है। रीट कमर्शियल प्रॉपर्टी में निवेश करता है। इसमें मॉल, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, बिजनेस पार्क आदि हो सकते हैं। इस निवेश से किराये के रूप में नियमित आय होती है।
सेबी ने 2015 में बनाया था रीट का नियम
सेबी ने रीट के लिए 2015 में नियम बनाए थे। रीट को अपने फंड का 80 फीसदी पूरी तरह से तैयार और किराया देने वाली प्रॉपर्टी में निवेश करना पड़ता है। इसका मकसद नियमित आय हासिल करना है।
सेबी के दिशानिर्देश के मुताबिक, रीट को अपनी आय का 90 फीसदी हिस्सा लाभांश या ब्याज के रूप में निवेशकों में बांटना पड़ता है। इससे निवेशक को रीट में अपने निवेश पर नियमित आय कमाने का मौका मिलता है।