माफिया भाइयों से पूछताछ के लिए मिली पांच दिन की अवधि स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम(एसआईटी) के लिए कम पड़े। उसे सबूत जुटाने के लिए और वक्त की दरकार थी। यही वजह रही कि उसकी ओर से कस्टडी रिमांडअवधि बढ़ाने की भी अर्जी दी गई।
माफिया भाइयों से पूछताछ के लिए मिली पांच दिन की अवधि स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम(एसआईटी) के लिए कम पड़े। उसे सबूत जुटाने के लिए और वक्त की दरकार थी। यही वजह रही कि उसकी ओर से कस्टडी रिमांड अवधि बढ़ाने की भी अर्जी दी गई, लेकिन उसे मायूसी हाथ लगी और अर्जी नामंजूर हो गई। मौके से गिरफ्तारी के बाद ही प्रारंभिक पूछताछ में शूटरों ने बताया था कि उन्होंने अपराध जगत में नाम कमाने को अतीक-अशरफ को मारा। 19 अप्रैल को कस्टडी रिमांड के पहले दिन भी वह रटी रटाई स्क्रिप्ट ही सुनाते रहे।वजह पूछने पर पहले के बयान पर ही कायम रहे। दूसरे दिन 20 अप्रैल को एसआईटी ने घटनास्थल पर पहुंचकर सीन रीक्रिएशन कराया। रात में पूछताछ के दौरान शूटर सनी का दिल्ली के कुख्यात गोगी गैंग से कनेक्शन सामने आया। 21 अप्रैल को दो मददगारों की बात सामने आई लेकिन उनके बारे में शूटरों ने कोई जानकारी नहीं दी।22 अप्रैल को यह बात सामन आई कि शूटरों ने खुल्दाबाद थाने के पास यानी घटनास्थल से एक किमी की दूरी पर स्थित होटल स्टे-इन को ठिकाना बनाया था। जबकि आखिरी दिन रविवार को दोपहर में ही उन्हें प्रतापगढ़ के लिए रवाना कर दिया गया। पुख्ता सूत्रों का कहना है कि एसआईटी सबूत जुटाने के लिए कुछ और वक्त चाहती थी। इसके लिए उसकी ओर से कोर्ट में अर्जी भी दी गई। लेकिन अर्जी नामंजूर होने पर अफसरों को मायूस होना पड़ा।
कस्टडी रिमांड में देरी को लेकर उठ रहे सवाल
उधर तीनों शूटरों को तीन दिन बाद कस्टडी रिमांड पर लिए जाने को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। दरअसल 15 अप्रैल को वारदात के तुरंत बाद तीनों शूटर पकड़ लिए गए थे। 16 अप्रैल की शाम उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। जानकारों का कहना है कि मामला पुलिस अभिरक्षा में हत्या का था और ऐसे में रिमांड के लिए पेश करने के दौरान ही पुलिस की ओर से कस्टडी रिमांड की अर्जी दी जानी चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसी दिन एसआईटी का गठन हुआ।
अगले दिन यानी 17 अप्रैल को विवेचना तीन सदस्यीय टीम ने ग्रहण की। अगले दिन 18 अप्रैल को कस्टडी रिमांड की अर्जी दी गई। इसके बाद कोर्ट के आदेश पर 19 अप्रैल को तीनों शूटरेां को कोर्ट में पेश किया गया और कोर्ट ने एसआईटी की अर्जी स्वीकार करते हुए 19 अप्रैल से पांच दिनों के लिए अभियुक्तों को कस्टडी रिमांड पर लिए जाने की मंजूरी दी। इस तरह से हत्याकांड के तीन दिन बाद कस्टडी रिमांड पर लिया जा सका।
छह एस्काॅर्ट, एक डमी वैन के साथ भेजे गए शूटर
कुख्यात आतंकी संगठन अलकायदा की ओर से धमकी भरा पत्र वायरल होने को देखते हुए अतीक-अशरफ हत्याकांड के शूटरों को कड़े पहरे में प्रतापगढ़ भेजा गया। हाल यह रहा कि उन्हें पुलिस के जिस काफिले के साथ भेजा गया, उसमें छह एस्कॉर्ट वाहन के साथ एक डमी प्रिजन वैन भी शामिल थी। दो दिन पहले अलकायदा के नाम से एक धमकी भरा पत्र वायरल हुआ था।
उधर अतीक-अशरफ गैंग के गुर्गों से भी शूटरों को खतरा था। इसी को देखते हुए रविवार काे प्रतापगढ़ भेजे जाने के दौरान कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। उन्हें प्रिजन वैन से भेजा गया, जिसके आगे पीछे कुल छह एस्कॉर्ट वाहन लगाए गए थे। इन एस्कॉर्ट वाहनों में 40 से ज्यादा सशस्त्र जवान तैनात किए गए थे। इन्हें बॉडी वॉर्न कैमरों से भी लैस किया गया था। खास बात यह कि काफिले में एक डमी प्रिजन वैन भी शामिल की गई थी। ताकि किसी को पता न चल सके कि शूटर किस प्रिजन वैन में हैं।
शूटरों को प्रतापगढ़ भेजे जाने की खबर मिलने पर पुलिस लाइन गेट पर मीडिया का भारी जमावड़ा था। किसी को भीतर जाने की अनुमति नहीं थी। उधर एसआईटी ने सुरक्षा को देखते हुए तीनों शूटरों को पुलिस लाइन के स्टैनली रोड स्थित वीआईपी गेट से निकाला और फिर उन्हें प्रतापगढ़ के लिए रवाना कर दिया।
मेडिकल पुलिस लाइन में ही कराया गया
सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस ने हर कदम पर एहतियात बरती। इसके तहत मेडिकल के लिए भी शूटरों को बाहर नहीं ले जाया गया। रविवार को प्रतापगढ़ भेजे जाने से पहले पुलिस लाइन में ही उनका मेडिकल चेकअप कराया गया। डॉक्टरों की टीम ने पहुंचकर रूटीन चेकअप के साथ ही उनकी कोरोना जांच भी की। इससे पहले कस्टडी रिमांड के दौरान भी डॉक्टरों की टीम ने पुलिस लाइन में ही पहुंचकर उनका मेडिकल किया।