देश के सभी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों के छात्रों की शिकायतों का अब लोकपाल निवारण करेगा। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने छात्रों की शिकायतों के लिए शिकायत निवारण विनियम 2023 को अधिसूचित कर दिया है। यह विनियम 2019 की जगह काम करेगा। इसके तहत दाखिला, फीस, सर्टिफिकेट वापस न करना, उत्पीड़न, परीक्षा, छात्रवृति, दाखिले के लिए अलग से पैसे की मांग करना, आरक्षण नियमों का पालन न करना आदि शिकायतों पर अब 15 कार्य दिवस के तहत समिति को रिपोर्ट और 30 दिनों में निपटारा करना होगा।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सचिव प्रोफेसर मनीष आर जोशी की ओर से बृहस्पतिवार को शिकायत निवारण विनियम 2023 को अधिसूचित करते हुए तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है। नए विनियम 2023 के तहत विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों को छात्रों की शिकायतों के निवारण के लिए समिति बनाने और लोकपाल नियुक्त करना होगा।
छात्रों की शिकायतों के निवारण के लिए एक सरलीकृत, लेकिन प्रभावी तंत्र तैयार करने के मकसद से यह विनियम 2023 लाया गया है। यूजीसी के नए नियमों में समिति के गठन की विस्तृत प्रक्रिया, इसकी संरचना, लोकपाल की नियुक्ति और छात्रों की शिकायतों के निवारण की प्रक्रिया शामिल है।
इस समिति में प्रोफेसर पद का व्यक्ति अध्यक्ष, संस्था के चार प्राध्यापक या वरिष्ठ संकाय सदस्य सदस्य के रूप में काम करेंगे, जबकि शैक्षिक योग्यता या खेल में उत्कृष्टता या सह-पाठ्यचर्या गतिविधियों में प्रदर्शन के आधार पर नामित किए जाने वाले छात्रों में से एक प्रतिनिधि को विशेष आमंत्रित किया जाएगा। इस समिति में कम से कम एक सदस्य या अध्यक्ष एक महिला, एक सदस्य या अध्यक्ष अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति या अन्य पिछड़ा वर्ग से होना चाहिए।
दिशानिर्देशों के अनुसार अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल दो वर्ष और विशेष आमंत्रित व्यक्ति के लिए एक वर्ष होगा। इसके अलावा, लोकपाल एक सेवानिवृत्त कुलपति या एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर (जिन्होंने डीन या एचओडी के रूप में काम किया है) होगा और उनके पास राज्य, केंद्रीय विश्वविद्यालयों, राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों या डीम्ड विश्वविद्यालयों या एक प्रोफेसर के रूप में 10 साल का अनुभव होगा। पूर्व जिला न्यायाधीश। लोकपाल को तीन साल के लिए नियुक्त किया जाएगा और उसे बैठक शुल्क का भुगतान किया जाएगा।