महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के इतिहास से जुड़े कई मिथक, भ्रांतियां और किवदंतिया अब टूटने वाली हैं। आजादी के बाद लोगों ने जो भी मनगढ़ंत कहानियां पेश की हैं, उस सबसे पर्दा उठने वाला है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में पहली बार महामना पंडित मदन मोहन मालवीय से संबंधित 1 लाख से ज्यादा रेयर दस्तावेज रखे गए हैं। जैसे कि- मालवीय जी की चिट्ठियां, प्रतियां, पत्रिकाएं और अखबारों के कतरन आदि मिलेंगे। साथ ही, 10 हजार पन्नों में तो मालवीय जी ने प्रत्यक्ष रूप से हैं। वहीं, हजारों रेयर फोटो भी देखने को मिलेगी।
BHU में 25 दिसंबर को महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की जयंती मनाने की तैयारियां की जा रहीं हैं। पूरे 10 साल ब्रिटेन के इंडिया हाउस से लेकर राजा-महराजाओं के महलों तक के चक्कर काटने के बाद पहली बार मालवीय जी की दुर्लभ वस्तुओं और तस्वीरों का एक अभिलेखागार स्थापित किया गया है। अब इस अभिलेखागार की कुछ तस्वीरों और दस्तावेजों को कैंपस स्थित मालवीय मूल्य अनुशीलन केंद्र में आयोजित एक एग्जीबिशन भी दिखाई जा रही है। विश्वविद्यालय के वरिष्ठ शैक्षणिक सलाहकार प्रो. कमलशील, मालवीय मूल्य अनुशीलन केंद्र के समन्वयक प्रो. संजय कुमार और BHU के इतिहासकार डॉ. ध्रुव कुमार सिंह ने इस पूरे एग्जीबिशन की रूपरेखा को तैयार किया है।
पूर्व कुलपति डॉ. लालजी सिंह ने लाया था प्रस्ताव
10 साल में अपनी टीम के साथ इस अभिलेखागार मिशन को पूरा करने वाले इतिहास के विद्वान डॉ. ध्रुव कुमार सिंह ने कहा कि साल 2012 में यह प्रोजेक्ट आया था। फादर ऑफ डीएनए फिंगर प्रिंट के जनक और BHU के पूर्व कुलपति डॉ. लालजी सिंह ने महामना अभिलेखागार बनाने वाले प्रस्ताव पर सहमति दी थी। उन्होंने कहा था कि विश्वविद्यालय के पास महामना से जुड़ा हर इतिहास होना चाहिए। डाॅ. ध्रुव कहते हैं कि हैरत की बात है कि आजादी के बाद ही यह काम हो जाना था। यह काम 1950 में होता तो दस्तावेजों को आसानी से कलेक्ट किया जा सकता था। मगर, आज काफी पापड़ बेलने पड़े।
BHU बनाने वाले डोनर से कैसे मांगा चंदा
डॉ. ध्रुव ने कहा कि इंग्लैंड के इंडिया हाउस से लेकर कोलकाता, महाराष्ट्र, मद्रास, दिल्ली, बीकानेर स्टेट, बिहार मिलाकर 15 से ज्यादा राज्यों में जा-जाकर ये दुर्लभ चिट्ठियां-पत्रियां इकट्ठा की गईं हैं। इसमें आपको विश्वविद्यालय निर्माण से लेकर प्रोफेसरों की नियुक्तियों तक के डाक्यूमेंट्स मिलेंगे। वहीं गोलमेज, असहयोग, चौरी-चौरा, जलियावाला बाग हत्याकांड की रिपोर्ट्स और फोटोग्राफ भी देखने को मिलेंगे। हमने विश्वविद्यालय को बनाने वाले पूरे डोनर की लिस्ट निकाल ली है। मालवीय जी राजे-महराजे से जो चंदे की अपील कर रहे हैं, उसके भी रिकॉर्ड्स हैं। विश्वविद्यालय बनाने वाले जमीन के दस्तावेज हैं। शांत कुटी शिमला से वह चिट्ठी लिखकर विश्वविद्यालय के कुलपति का काम करते हैं।
आंदोलन में उभरी प्रतिभाओं से ही चलाते थे विश्वविद्यालय
डॉ. ध्रुव कहते हैं कि आप जब इन दस्तावेजों का अध्ययन करते हैं तो पाएंगे कि आजादी के आंदोलन और विश्वविद्यालय की पठन-पाठन गतिविधियां दोनों साथ-साथ चल रहीं हैं। दोनों एक-दूसरे की पूरक हैं। मालवीय आंदोलन के दौरान बड़े विद्वत, योग्य और ओजस्वी लोगों से मिलते थे। उन्हें वहां से उठाकर BHU में प्रोफेसर, अधिकारी या विजिटर बनाकर लाते थे। उन्होंने, BHU की व्यवस्थाएं इसी तरह से चलाईं हैं। अंग्रेजी हुकूमत में एक प्राइवेट खर्च के यूनिवर्सिटी चला पाना संभव नहीं था, मगर मदन मोहन ने यह काम बड़े आसानी से निभा लिया।
कई कटेगरी के डॉक्यूमेंट्स कलेक्ट किए गए हैं
- चौरी-चौरा मामले में पंडित मदन मोहन मालवीय जी को वकील मुकर्रर किया जाना।
- मंदिर में प्रवेश के लिए भेदभाव खत्म करने पर जमनालाल बजाज को महामना का पत्र। सनातन धर्म पत्रिका में स्वदेशी को प्रोत्साहन की मालवीय जी की अपील।
- BHU की स्थापना के लिए वर्ष 1917 तक के दानकर्ताओं की सूची।
- विश्वविद्यालय के लिए सहयोग जुटाने हेतु महामना द्वारा की गई सभाएं।
- मालवीय जी को या उनके द्वारा किसी और को लिखी गई चिट्ठी। इसके अलावा ऐसी भी चिट्ठियां हैं, जिनमें महामना का उल्लेख है।
- मालवीय लेख।
- मालवीय स्पीच।
- साक्ष्य का जिक्र।
- मालवीय जी की श्रद्धांजलि सभा और लेख।
- चौरी चौरा कांड के बाद वकील की भूमिका और उसके दस्तावेज।
- जलियाबाग की फोटो।