नौ हजार करोड़ रुपए वसूलने के लिए बिल्डर को दिया गया समय समाप्त हो गया है। अब प्राधिकरण 56 बिल्डरों पर आरसी के तहत कार्यवाही करेगा। यानी वसूली भू राजस्व विभाग के तहत की जाएगी। आरसी जारी होने के बाद मुनादी कराई जाएगी। इसके बाद भी यदि बिल्डर पैसा जमा नहीं करता तो संपत्ति जब्त की जाएगी। और अंत में आवंटन रद्य करने तक का फैसला लिया जा सकता है।
नोएडा प्राधिकरण ओएसडी प्रसून द्विवेदी ने बताया कि दो से तीन बिल्डर ऐसे में जिन्होंने पैसा देने के लिए कहा है। कुछ बकाया जमा भी हुआ है। लेकिन अधिकांश आनाकानी कर रहे है। जिनको बारी बारी कर नोटिस जारी किए गए थे। इनको 15 दिन का समय दिया गया था। ये समय समाप्त हो गया है। अब आरसी जारी की जा रही है। उधर बिल्डर संस्था क्रेडाई ने सुप्रीम कोर्ट में पुर्नविचार याचिका दायर की है। जिस पर 19 जनवरी को सुनवाई होगी। हालांकि नोएडा प्राधिकरण को इस मामले में अभी कोई नोटिस कोर्ट से नहीं मिला है।
नौ हजार करोड़ रुपए है बकाया
नोएडा प्राधिकरण ने बताया कि 56 बिल्डरों पर 9 हजार करोड़ रुपए बकाया है। वैसे कुल बकाया 12 हजार करोड़ रुपए का है। इसमें 3 हजार करोड़ रुपए एनसीएलटी में चल रहे मामलों के है। बता दे हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अपने पुराने आदेश को निष्प्रभावी करते हुए नोएडा प्राधिकरण की ब्याज दर के हिसाब से बिल्डरों को बकाये का भुगतान करने का आदेश दिया था। नोएडा में 100 परियोजनाओं पर बकाया चल रहा है।
इस तरह से बकाया की हुई गणना
बकाए की गणना 11.5 प्रतिशत साधारण ब्याज और तीन प्रतिशत दंड ब्याज के साथ करवाई है। यह दरें 30 जून 2020 तक लगाई गई हैं। इसके बाद 1 जुलाई 2020 से गणना नौ जून 2020 को आए शासनादेश के मुताबिक की गई हैं। शासनादेश में बकाये पर एमसीएलआर के मुताबिक ब्याज दरें और एक प्रतिशत प्रशासनिक शुल्क लेने के निर्देश जारी हुए थे।
बकाया दिया तो 95 प्रतिशत बिल्डर हो जाएगा दिवालिया
बिल्डरों का कहना है कि प्राधिकरण द्वारा जिस ब्याज दर से बिल्डरों पर वसूली के लिए दबाव बनाया जा रहा है, वह बिल्डरों के लिए दे पाना संभव नहीं है। इस वसूली से 95 प्रतिशत से अधिक बिल्डर दिवालिया हो जाएंगे और तीन लाख से अधिक घर भी फंस जाएंगे। उन्होंने मांग की है बिल्डरो के लिए ओटीएस स्कीम लाई जाए।
8 हजार बायर्स की रजिस्ट्री फंसी
पैसा जमा करने के साथ ही नोएडा में आठ हजार बायर्स की रजिस्ट्री फंस सकती है। इसमें आम्रपाली, यूनीटेक और जेपी के अलावा एनसीएलटी के मामले शामिल नहीं है। प्राधिकरण को उम्मीद है कि संपत्ति जब्त करने से पहले ही बिल्डर प्राधिकरण को पैसा जमा करवा देगा।
इन प्रमुख बिल्डरों को जारी किए थे नोटिस
- ओमेक्स बुल्डवेल
- एजीसी रियल्टी
- एटीएस टाउनशिप
- सनवर्ल्ड रेजीडेंसी
- इमपेयिरल हाउसिंग वेंचर्स
- टीजीबी रियलकॉन
- प्रतीक इंफ्रा प्रोजेक्ट इंडिया
- एमपीजी रियल्टी
- गुलशन होम्ज
- कैपिटल इंफ्राप्रोजेक्टस
- आईआईटीएल निबंस द हाइड पार्क
- सनवर्ल्ड डेवलेपर्स
- महागुन रियल एस्टेट
- फ्यूटैक शेल्टर्स
- सनशाइन इंफ्रावेल
- नेक्सजैन इंफ्राकॉन
- एम्स प्रोमोटर्स
- गुलशन होम्स एंड इंफ्रास्टक्चर्स
- स्काईटैक कंस्ट्रक्शन
- पारस सीजन्स हेवन
- डिवाइन इंडिया
- पेन रियल्टर्स
- प्रतीक रियल्टर्स
- सिविटैक डेवलेपर्स
- परफेक्ट मेगा स्टक्चर्स
- एपेक्स ड्रीम होम
- आरजी रेजीडेंसी