कालका-शिमला हेरिटेज रेलवे ट्रैक पर फरवरी से देश की पहली स्मार्ट विंडो तकनीक से लैस 7 कोच वाली ट्रेन संचालित होगी। मंगलवार को इस ट्रेन के पैनारोमिक कोच का अंतिम ट्रायल पूरा हो गया। बुधवार को कालका लौटने के बाद गुरुवार को यह कोच आरसीएफ (रेल कोच फैक्टरी) कपूरथला पहुंच जाएंगे। फिनिशिंग के बाद फरवरी माह में अंतिम ट्रायल के बाद ट्रेन का संचालन शुरू होगा। चरणबद्ध तरीके से कालका-शिमला के बीच चलने वाली सभी गाड़ियों के कोच बदले जाएंगे।
स्विट्जरलैंड की ग्लेशियर एक्सप्रेस की तर्ज पर पैनारोमिक कोच की खिड़की और छत आपस में जुड़ी है। यह देश की पहली स्मार्ट स्विच पावर विंडो सुविधा से लैस ट्रेन होगी। अब तक देश की किसी भी ट्रेन में पावर विंडो की सुविधा नहीं है। इतना ही नहीं शताब्दी और राजधानी एक्सप्रेस (एलएचबी कोच) की स्मार्ट स्विच तकनीक से खिड़की को पारदर्शी रखना है या नहीं यह फैसला भी यात्री खुद लेंगे। स्विच ऑफ करने पर शीशे पारदर्शी नहीं रहेंगे, जिससे यात्रियों की प्राइवेसी बनी रहेगी और तेज धूप और अल्ट्रावायलेट किरणें भी भीतर नहीं आएगी।
वंदे भारत की तर्ज पर सुविधाजनक सीटें
पैनारोमिक कोच स्टेनलेस स्टील से बने हैं जो 30 साल तक खराब नहीं होंगे। सभी 7 कोच भीतर से आपस में जुडे़ होंगे, जिससे एक से दूसरे में जाया जा सकेगा। वंदे भारत की तर्ज पर 360 डिग्री पर घूमने वाली सुविधाजनक सीटें लगाई जाएंगी। बायो टॉयलेट तकनीक से लैस ट्रेन में शौचालय प्रयोग करने पर पटरी दूषित नहीं होगी। 22 केएमपीएच के स्थान पर 28 केएमपीएच की रफ्तार से यह रेलगाड़ी दौड़ेगी।
पैनारोमिक कोच की फिनिशिंग के बाद फरवरी में 10 कोच उत्तर रेलवे के सुपुर्द कर दिए जाएंगे। अंतिम ट्रायल के बाद आवश्यक मंजूरियां मिलने पर उत्तर रेलवे कालका और शिमला के बीच हाइटेक पैनारोमिक कोच से लैस ट्रेन का संचालन फरवरी से ही शुरू कराने का प्रयास करेगा।
अखिलेश मिश्रा, चीफ इंजीनियर डिजाइन आरपीएफ कपूरथला