एसएमजेएन पीजी कॉलेज में आन्तरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ द्वारा व्यक्तिगत मामलों को नियंत्रित करने वाले कानून व समान नागरिक संहिता पर गठित विशेषज्ञ समिति का जनसंवाद कार्यक्रम का आयोजन मां सरस्वती वन्दना और द्वीप प्रज्ज्वलन करके किया गया।
कार्यक्रम का आरंभ समान नागरिक संहिता पर गठित विशेषज्ञ समिति के पूर्व मुख्य सचिव, उत्तराखंड शासन शत्रुघ्न सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि यह समिति उत्तराखंड सरकार द्वारा समान नागरिक संहिता की सम्भावनाएं तलाशने के लिए किया गया है। इसमें सभी स्टैक होल्डर्स की भागीदारी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि यह सोचनीय प्रश्न है कि आजादी के 75 वर्षों के बाद भी भारत के संविधान में वर्णित नीति-निदेशक तत्व में उल्लिखित अनुच्छेद-44 की भावना के साथ न्याय नहीं हो पाया है।
उन्होंने कहा कि विवाह उत्तराधिकार तथा व्यक्तिगत मामलों को नियंत्रित करने वाली विधियों को सार्वभौमिक रूप से लागू करने का प्रयास किया जाना चाहिए, परन्तु समिति के सम्मुख सबसे बड़ी चुनौती है कि विविधताओं से भरे भारतीय समाज में इस प्रकार की सार्वभौमिक भूमि कैसे लागू की जा सकती है। उन्होंने विशेषकर बौद्धिक वर्ग से आग्रह किया कि वह समिति के कार्यों को आसान बनाने के लिए तथा उत्तरदायी नागरिक का कर्तव्य निभाने के लिए बढ़-चढ़कर समिति को समान नागरिक संहिता पर सुझाव दें।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. सुनील बत्रा ने कहा कि यह वर्तमान की मांग है कि हम तलाक, विवाह व उत्तराधिकार के समान कानूनों की ओर आगे बढ़कर कार्य करें उन्होंने कहा कि विशेषज्ञ समिति द्वारा जन संवाद कार्यक्रम का प्रारम्भ किया जाना बेहद सराहनीय पहल है और इससे प्रतिभागी लोकतंत्र की अवधारणा मजबूत होती है।
समिति की सदस्य प्रो. सुलेखा डंगवाल, कुलपति, दून विश्वविद्यालय ने रेखांकित किया कि कोई भी परम्परा यदि वह आधी आबादी अर्थात् महिलाओं की गरिमा के पक्ष में न हो तो ऐसी परम्परा अथवा कानून का आधुनिक समाज में कोई स्थान नहीं रहना चाहिए।
समान नागरिक संहिता समिति की सदस्य मनु गौड़ ने कहा कि समिति के सम्मुख सबसे बड़ी चुनौती आधुनिक समाज में आने वाली विभिन्न नई प्रवृत्तियां हैं। उन्होंने कहा कि तकनीक तथा इंटरनेट के विकास के कारण हम ऐसे समाज में जी रहे हैं जहां विवाह, तलाक तथा उत्तराधिकार के समान कानून, समय की आवश्यकता है।
उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिनेश चन्द्र शास्त्री ने सनातन धर्म की परम्पराओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इन परम्पराओं को अक्षुण्ण रखना ही समिति का उद्देश्य होना चाहिए।
इस अवसर पर समान नागरिक संहिता पर गठित विशेषज्ञ समिति के पूर्व मुख्य सचिव, उत्तराखंड शासन शत्रुघ्न सिंह, प्रो. सुलेखा डंगवाल, कुलपति, दून विश्वविद्यालय, देहरादून, मनु गौड़, समाजसेवी उपस्थित थे। इसके अतिरिक्त उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिनेश चन्द्र शास्त्री और बड़ी संख्या में महाविद्यालय के छात्र-छात्राएं उपस्थित उपस्थित थे।