जिले में भैरव बाबा का जन्मदिन बड़े धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर महमदपुर अमरैया भैरव मंदिर पर भारी संख्या में भक्तों ने पहुंचकर पूजा-अर्चना की। भक्तों ने भैरव बाबा की पूजा के लाभ बताएं।
पंडित अशोक शास्त्री ने कहा कि भैरव बाबा दसों दिशाओं से रक्षा करते हैं। कहा कि श्री भैरव के अनेक रूप हैं। जिसमें प्रमुख रूप से बटुक भैरव, महाकाल भैरव तथा स्वर्णाकर्षण भैरव प्रमुख हैं। जिस भैरव की पूजा करें उसी रूप के नाम का उच्चारण होना चाहिए। सभी भैरवों में बटुक भैरव उपासना का अधिक प्रचलन है।
बताया कि तांत्रिक ग्रंथों में अष्ट भैरव के नामों की प्रसिद्धि है। वे इस प्रकार हैं, असितांग भैरव, चंड भैरव, रूरू भैरव, क्रोध भैरव, उन्मत्त भैरव, कपाल भैरव, भीषण भैरव, संहार भैरव तथा क्षेत्रपाल व दण्डपाणि के नाम से भी इन्हें जाना जाता है। श्री भैरव से काल भी भयभीत रहता है। उनका एक रूप ‘काल भैरव’ के नाम से विख्यात हैं।
पं0 अशोक शास्त्री ने कहा कि दुष्टों का दमन करने के कारण इन्हें ‘आमर्दक’ कहा गया है। शिवजी ने भैरव को काशी के कोतवाल पद पर प्रतिष्ठित किया है। जिन व्यक्तियों की जन्म कुंडली में शनि, मंगल, राहु आदि पाप ग्रह अशुभ फलदायक हों, नीचगत अथवा शत्रु क्षेत्रीय हों। शनि की साढ़े-साती या ढैय्या से पीडित हों, वे व्यक्ति भैरव जयंती अथवा किसी माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी, रविवार, मंगलवार या बुधवार से बटुक भैरव मूल मंत्र की एक माला (108 बार) का जाप रूद्राक्ष की माला से 41 दिन तक करें, अवश्य ही शुभ फलों की प्राप्ति होगी।
पं0शास्त्री ने बताया कि भगवान भैरव की महिमा अनेक शास्त्रों में मिलती है। भैरव जहां शिव के गण के रूप में जाने जाते हैं, वहीं वे दुर्गा के अनुचारी माने गए हैं। भैरव की सवारी कुत्ता है। चमेली का फूल प्रिय होने के कारण उपासना में इसका विशेष महत्व है। साथ ही भैरव रात्रि के देवता माने जाते हैं और इनकी आराधना का खास समय भी मध्य रात्रि में 12 से तीन बजे का माना जाता है।
पांचाल घाट स्थित भैरव मंदिर पर भी भैरव जयंती धूमधाम से मनाई गई। यहां भक्तों ने भैरव बाबा पर मदीरा चढ़ाकर उनकी पूजा-अर्चना की। मंदिर के महात्मा रामचंद्र ने कहा कि भैरव बाबा शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता हैं। जो इन का अनादर करता है उसको यह उसी तरह का फल देते हैं। इस मौके पर लक्ष्मी नारायण, दुर्गा सिंह, भानु प्रताप, कुलदीप तिवारी, बृजभान, राम मनोहर सहित हजारों भक्तों मौजूद रहे।