कृषि अपशिष्ट (पराली) को बाजार मूल्य पर कृषकों से बायो सीएनजी या उद्यम की स्थापना करने के इच्छुक निवेशकों को उपलब्ध कराने के लिए हर जिले में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में नौ सदस्यीय टीम बना दी गयी है। यह समिति कृषि अपशिष्ट की आपूर्ति श्रृंखला के लिए किसानों, एग्रीगेटर एवं उद्यमी के मध्य समन्वय स्थापित करेगी। यदि प्रयोग ठीक रहा तो किसानों को पराली जलाने से निजात मिल जाएगी। इसके साथ ही उन्हें कुछ पैसे भी मिलेंगे।
अपर मुख्य सचिव महेश कुमार गुप्ता द्वारा सभी जिलाधिकारियों को भेजे गये पत्र में कहा गया है कि उप्र राज्य जैव ऊर्जा नीति 2022 के अंतर्गत कृषि अपशिष्ट आधारित बायो सीएनजी व उद्यम की स्थापना करने के लिए इच्छुक निवेशकों को जनपदों में पराली बाजार मूल्य पर सुगमता से उपलब्ध हो सके, इसके लिए जिला स्तरीय समिति का गठन किया जाए। इसके अध्यक्ष जिलाधिकारी होंगे। इसके साथ ही मुख्य विकास अधिकारी, डिप्टी आरएमओ, उप कृषि निदेशक, जिला पंचायत राज्य अधिकारी, जिला कृषि अधिकारी, परियोजना अधिकारी, एफपीओ, जैव ऊर्जा उद्यमी सदस्य होंगे।
आदेश में कहा गया है कि कृषि अपशिष्ट की आपूर्ति श्रृंखला हेतु किसानों, एग्रीगेटर एवं उद्यमी के मध्य आपसी सहमति के आधार पर निर्धारण करना समिति का काम होगा। जिले में कृषि अपशिष्ट का एक ही मूल्य किसानों की सहमति से निर्धारित किया जाएगा। एग्रीगेटर को कृषि अपशिष्ट के ट्रांसपोर्ट के लिए रेग्युलेटरी सहयोग प्रदान किया जाएगा। समिति जैविक खाद के मार्केटिंग के लिए उद्यमी का कृषि विभाग, उद्यान विभाग, नगर निकाय, विकास प्राधिकरण संस्थाओं से समन्वय स्थापित करेगी।