उल्लेखनीय है कि 500 और 1000 के पुराने नोट बंद होने पर 2016 में कई याचिकाएं दाखिल की गई थीं। 16 दिसंबर, 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी को चुनौती देने वाली याचिकाओं को पांच जजों की बेंच को रेफर कर दिया था। साथ ही हाई कोर्टों में दायर सभी याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर कराते हुए सभी याचिकाकर्ताओं को नोटिस जारी किया था। इसके साथ ही हाई कोर्ट में चल रहे मामलों पर कार्यवाही पर रोक लगा दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने पांच जजों की बेंच के लिए आठ सवाल तय किए थे। इसके तहत संविधान बेंच फैसला करेगी। पहला सवाल- क्या नोटबंदी का फैसला आरबीआई एक्ट की धारा 26 का उल्लंघन है। दूसरा सवाल- क्या नोटबंदी के 8 नवंबर 2016 और उसके बाद के नोटिफिकेशन असंवैधानिक हैं। तीसरा सवाल-क्या नोटबंदी संविधान के दिए समानता के अधिकार और व्यापार करने की स्वतंत्रता जैसे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। चौथा सवाल- क्या नोटबंदी के फैसले को बिना तैयारी के साथ लागू किया गया जबकि न तो नई करेंसी का सही इंतजाम था और न ही देश भर में कैश पहुंचाने का। पांचवां सवाल- क्या बैंकों और एटीएम से पैसा निकालने की सीमा तय करना अधिकारों का हनन है। छठा सवाल- क्या जिला सहकारी बैंकों में पुराने नोट जमा करने और नए रुपये निकालने पर रोक सही नहीं है। सातवां सवाल- क्या कोई भी राजनीतिक पार्टी जनहित के लिए याचिका डाल सकती है या नहीं। आठवां और अंतिम सवाल -क्या सरकार की आर्थिक नीतियों में सुप्रीम कोर्ट दखल दे सकता है।