सुप्रीम कोर्ट ने शराब की बोतल के पचास फीसदी हिस्से पर चित्र के साथ स्वास्थ्य चेतावनी लिखने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह नीति बनाने से जुड़ा हुआ मामला है। उसके बाद याचिकाकर्ता वकील और भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने अपनी याचिका वापस ले ली।
याचिका में कहा गया था कि संविधान की धारा 21 के तहत स्वास्थ्य का अधिकार मिला हुआ है। याचिका में मांग की गई थी कि शराब की बोतलों और पैकेट में उसी तरह की चेतावनी छापी जानी चाहिए जैसा कि सिगरेट के पैकेटों पर छपी होती है। अखबारों, टीवी और सोशल मीडिया पर भी शराब के विज्ञापन पर सिगरेट की तरह की चेतावनी जारी की जानी चाहिए। याचिका में कहा गया था कि नशीले ड्रग्स और पेय के दुष्परिणामों को जानना सूचना के अधिकार के अलावा संविधान की धारा 21 के तहत जनता का अधिकार है।