Search
Close this search box.

शानदार फिल्में और 10 हजार गाने, कुछ ऐसा रहा नूरजहां का करियर, लता मंगेशकर को भी बना दिया था फैन

Share:

लता मंगेशकर, नूरजहां

कहते हैं कि सरहद कला को कभी बांधकर नहीं रख सकती और यह बात मल्लिका-ए-तरन्नुम का खिताब पाने वालीं नूरजहां के लिए बिल्कुल सही बैठती है। पाकिस्तान की दिग्गज गायिका नुरजहां, जिनकी पॉपुलैरिटी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि स्वर कोकिला लता मंगेशकर खुद उनकी बहुत बड़ी फैन थीं। आज नुरजहां का जन्मदिन है। 21 सिंतबर, 1926 को जन्मी नूरजहां का असली नाम अल्लाह राखी वसाई था। पाकिस्तान में रहते हुए गायिका ने कई हिट गाने दिए। लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि उनका भारत के साथ भी एक खास संबंध है। आइए इस खास दिन पर हम आपको उनकी जिंदगी के कुछ किस्सों के बारे में बताते हैं।
नूरजहां

भारत से खास संबंध
नूरजहां का जन्म लाहौर से लगभग 45 किलोमीटर दूर कसूर में हुआ था। यह तब की बात है जब भारत पाकिस्तान का बंटवारा नहीं हुआ था। बचपन से ही नूरजहां का झुकाव संगीत की तरफ था और इसी वजह से छोटी उम्र में ही उन्होंने कला की दुनिया में कदम रख दिया। इसके लिए नूरजहां कोलकाता गई थीं। यहां आकर ही अल्लाह राखी वसाई ‘नूरजहां’ बन गई थीं। हालांकि, सिंगर बनने के साथ वह एक शानदार एक्ट्रेस बनीं। उन्होंने साल 1930 में रिलीज हुई फिल्म ‘हिन्द के तारे’ से अपनी शुरुआत की और एक साल बाद ही उन्होंने खुद को लोकप्रिय चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर उभार लिया था।
नूरजहां

पति के साथ चुना पाकिस्तान का रास्ता
1930 से लेकर 1947 तक नुरजहां ने खुद को एक शानदार अभिनेत्री के साथ-साथ गायिका के रूप में भी स्थापित कर लिया था। उन्होंने न सिर्फ कोलकाता में काम किया। बल्कि वह मुंबई और लाहौर में भी काम करती हुई नजर आई थीं। लेकिन भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के दौरान शौकत रिजवी ने पड़ोसी देश जाने का फैसला किया था, जिसके बाद नूरजहां भी अपने पति के साथ पाकिस्तान में रहीं। हालांकि, पाकिस्तान में जाकर उन्होंने अपना काम जारी रखा और यहां पर भी एक से एक फिल्म में काम किया। इतना ही नहीं, पाकिस्तान जाकर नूरजहां ने फिल्म ‘चैनवे’ का निर्माण और निर्देशन किया, जिसने शानदार कमाई की।
नूरजहां

यहां देखें उनका शानदार करियर 
भारत में रहते हुए नूरजहां ने ‘खानदान’, ‘नौकर’, ‘जुगनू’, ‘दुहाई’, ‘दोस्त’, ‘बड़ी मां’ और ‘विलेज गर्ल’ जैसी कई शानदार फिल्मों में काम किया। इसी बीच नूरजहां ने गाना भी शुरू कर दिया था। उन्होंने फिल्म ‘गुल ए बकावली’ के लिए अपना पहला गाना ‘साला जवानियां माने और पिंजरे दे विच’ रिकार्ड किया था। वहीं, पाकिस्तान जाने के बाद नूरजहां ने ‘गुलनार’, ‘फतेखान’, ‘लख्ते जिगर’, ‘इंतेजार’, ‘अनारकली’, ‘परदेसियां’, ‘कोयल’ और मिर्जा गालिब जैसी फिल्मों में अभिनय से दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। साल 1963 में उन्होंने अभिनय की दुनिया को अलविदा कह दिया था। कहा जाता है कि उन्होंने इंडस्ट्री में रहते हुए 10 हजार से भी ज्यादा गाने गाए थे।

Leave a Comment

voting poll

What does "money" mean to you?
  • Add your answer

latest news