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डेंगू रोकने को पहुंचकर घरों में कर रहे ठहरे पानी पर वार

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मौसम में हो रहे परिवर्तन और गैर जनपदों में मिल रहे डेंगू मरीजों को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग अलर्ट हो गया है। मलेरिया विभाग की टीम जहां घर-घर पहुंच रही है, वहीं पोस्टर लगाकर लोगों को जागरूक कर रही है। साथ ही दवा नालियों में छिड़काव एवं कूलरों में एकत्र पानी की जांच कर गिरवा रही है। खासकर नगर के मारकिनगंज, रूईमंडी और स्टीमरघाट के इलाके पर विशेष नजर रखी जा रही है। वहीं आस-पास साफ-सफाई की व्यवस्था को दुरुस्त करने का आह्वान भी किया जा रहा है, जिससे इस गंभीर बीमारी से आमजनों का बचाव किया जा सके।

जिले के एक तरफ बाढ़ तो दूसरे तरफ वातावरण में परिवर्तन के अलावा बुखार के बढ़ते मरीजों को देखते हुए महकमे ने सतर्कता बरतनी शुरू कर दी है। मलेरिया विभाग की ओर से नगर क्षेत्र के दो टीम गठित की गई है। एक टीम में चार स्वास्थ्य कर्मियों को शामिल किया गया है। इनके द्वारा नगर के प्रत्येक मुहल्लों में पहुंचकर घर के बाहर लगे कूलरों की जांच की जा रही है।

जिन कूलरों में पानी मिल रहा है, उसे गिरवाने के साथ लोगों को हिदायत दी जा रही है। साथ ही घर के अन्य बर्तनों एवं छतों पर फेंके गए बर्तनों में पानी न एकत्र होने की अपील की जा रही है। इसके अलावा घरों के बाहर एवं सार्वजनिक स्थलों पर डेंगू के मच्छरों के पनपने के कारण एवं बचाव से संबंधित पोस्टरों को भी चस्पा किया जा रहा है। साथ लोगों को जागरूक करने का काम किया जा रहा है।
इसके साथ ही लार्वा रोधी दवा का छिड़काव भी नालियों में कराया जा रहा है, जिससे डेंगू के साथ-साथ मलेरिया जैसी बीमारी पांव न पसार सके। बीते वर्ष जिन इलाकों में डेंगू के मरीज पाए गए थे। वहां टीम को विशेष निगरानी के लिए लगाई गई है। इसमें मारकीनगंज, रूईमंडी और स्टीमरघाट विशेष रूप से शामिल किया गया है। जहां नोडल अधिकारियों द्वारा भी घर-घर पहुंचकर उनकी सूची जांच प्रक्रिया जारी रखा गया है।
विभाग के सतर्कता के चलते ही फिलहाल अभी एक भी मरीज नहीं मिले हैं। इस संबंध में मलेरिया अधिकारी मनोज कुमार ने बताया कि टीम लगातार घर-घर पहुंचकर जांच करने में जुटी हुई हैं। साथ ही लोगों को जागरूक किया जा रहा है। दवा का भी छिड़काव जारी है। खासकर बीते वर्ष जिन इलाकों में मरीज पाए गए थे। वहां विशेष नजर रखी जा रही है।

जनपद में जांच की नहीं है कोई व्यवस्था
गाजीपुर। जनपद में जांच की कोई व्यवस्था नहीं है। संदिग्ध पाए जाने पर ऐसे मरीजों का ब्लड सैंपल जांच के लिए बीएचयू भेजा जाता है। वहां से रिपोर्ट आने के बाद ही बीमारी का पता चल पाता है। ऐसे में मरीजों को बिना जांच के ही कई दिनों तक उपचार कराना पड़ता है, ऐसी स्थिति में उनकी हालत और भी खराब हो जाती है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि जब-तक जांच रिपोर्ट आती है, तब- तक मरीज की स्थिति गंभीर हो जाती है और उन्हें बीएचयू रेफर कर दिया जाता है।
अस्पताल में नहीं बना डेंगू वार्ड
गाजीपुर। जिला अस्पताल में अब तक डेंगू वार्ड नहीं स्थापित कराया जा सका है। स्थिति यह है कि वार्ड के आगे डेंगू वार्ड तो लिखा गया है, लेकिन उसमें सामान्य मरीजों को भर्ती किया जा रहा है। यही नहीं अस्पताल प्रशासन मरीज मिलने पर वार्ड सुरक्षित करने का तर्क देने से पीछे नहीं हट रहा है। जबकि दवा एवं उपचार की व्यवस्था का दावा कर रहा है, लेकिन हकीकत तो यह है कि जब अभी तक डेंगू वार्ड ही स्थापित नहीं कराया जा सका तो दवा एवं उपचार की क्या व्यवस्था होगी। इसका सहजता से अनुमान लगाया जा सकता है।

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