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Economy: आरबीआई के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव ने कहा- अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर का उम्मीद से कम रहना चिंताजनक

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डी सुब्बाराव ने कहा कि आगे की तिमाहियों में वृद्धि दर में और गिरावट की आशंका है। अल्पावधि में वृद्धि दर कमोडिटी की उच्च कीमतों, वैश्विक मंदी की आशंका, आरबीआई की सख्त मौद्रिक नीति और एक असमान मानसून से प्रभावित हो सकती है। असमान मानसून से फसल उत्पादन पर असर पड़ेगा।

आरबीआई के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव।

आरबीआई के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव का कहना है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था में बड़ी छलांग की उम्मीद थी। लेकिन, आर्थिक वृद्धि दर का उम्मीद से कम रहना निराशा और चिंताजनक है। 2022-23 की जून तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 13.5 फीसदी रही। सुब्बाराव ने रविवार को कहा, उन्हें चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में विकास दर के 13.5 फीसदी से अधिक रहने का अनुमान था। मौजूदा परिस्थितियों में यह निराशा और चिंता का कारण बन गया है।

आगे और चुनौतीपूर्ण होंगे हालात
सुब्बाराव ने कहा, आगे की तिमाहियों में वृद्धि दर में और गिरावट की आशंका है। अल्पावधि में वृद्धि दर कमोडिटी की उच्च कीमतों, वैश्विक मंदी की आशंका, आरबीआई की सख्त मौद्रिक नीति और एक असमान मानसून से प्रभावित हो सकती है। असमान मानसून से फसल उत्पादन पर असर पड़ेगा।

…तभी बनेंगे 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था 

  • अगले 4-5 साल में 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए विकास दर लगातार 8-9 फीसदी होनी चाहिए।
  • निर्यात समेत कई चुनौतियां जिनसे निपटना जरूरी
  • निजी निवेश कुछ वर्षों से रफ्तार नहीं पकड़ रहा है।
  • निर्यात भी वैश्विक मंदी के कारण कठिन परिस्थितियों का सामना कर रहा है।
  • राजकोषीय बाधाओं की वजह से सार्वजनिक निवेश को चुनौती मिल रही है।

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