मूसलाधार बारिश और नेपाल जल अधिग्रहण क्षेत्र से पानी छोडे जाने के कारण जिले की नदियां उफान पर है और जिले में बाढ़ का संकट गहराया हुआ है। दो दर्जन से अधिक पंचायत इससे प्रभावित हैं। जहां आम जनजीवन पर इसका व्यापक असर देखा जा सकता है। रिहायशी इलाकों में जलजमाव की वजह से जलजनित बीमारी और संक्रामक रोगों का खतरा काफी बढ़ गया है। इस पर प्रभावी नियंत्रण को लेकर प्रभावित इलाकों में स्वास्थ्य विभाग ने सक्रियता बढ़ा दी है।
सिविल सर्जन डॉ विधानचंद्र सिंह के निर्देश पर प्रभावित इलाकों में नियमित रूप से मेडिकल कैंप आयोजित किये जा रहे हैं। प्रभावित लोगों के बीच ओआरएस, जिंक सहित संबंधित अन्य दवाएं वितरित की जा रही हैं। वहीं वैसे इलाके जहां बाढ़ का पानी उतर रहा है। उन इलाकों में संक्रामक रोग के खतरों को कम करने के लिये ब्लीचिंग पाउडर व चूना का छिड़काव किया जा रहा है।
सिविल सर्जन डॉ विधानचंद्र सिंह ने बताया कि संभावित बाढ़ के खतरों को देखते जिलाधिकारी इनायत खान के निर्देश पर पूर्व में ही सभी जरूरी तैयारियां की गयी। प्रभावित इलाकों में बेहतर चिकित्सकीय सेवा बहाल किये जाने को लेकर अधिकारियों को निर्देशित किया गया है। नियमित रूप से इसकी मॉनिटरिंग की जा रही है। जरूरी 23 तरह की दवाएं सभी पीएचसी में उपलब्ध हैं। आशा व एएनएम की मदद से संबंधित क्षेत्र में प्रसव पीड़िता, गंभीर रोग से ग्रसित मरीज, बुजुर्ग जिन्हें विशेष चिकित्सकीय देखभाल की जरूरत है. उन्हें चिह्नित किया गया है। अधिकारियों को हर हाल में उन तक जरूरी चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है।
बाढ़ प्रभावित इलाकों में लोगों तक जरूरी चिकित्सकीय सुविधाओं की उपलब्धता बनाये रखने के जिले में कुल 41 विशेष चिकित्सकीय टीम का गठन किया गया है। जानकारी देते हुए सिविल सर्जन ने कहा कि सिकटी में 03, फारबिसगंज में 06, रानीगंज में 05, जोकीहाट में 05, नरपतगंज में 05, कुर्साकांटा में 04, भरगामा में 05, पलासी में 02, अररिया में 06 विशेष मेडिकल टीम गठित किये गये हैं। शुक्रवार को सिकटी, अररिया, पलासी, फारबिसगंज व जोकीहाट प्रखंड में कुल 10 स्थानों पर विशेष मेडिकल कैंप आयोजित किये जाने की जानकारी उन्होंने दी। उन्होंने बताया कि आवश्यक पड़ने पर टीम की संख्या बढ़ायी जा सकती है।
सिविल सर्जन ने कहा कि बाढ़ग्रस्त इलाकों में डायरिया, चिकनगुनिया, डेंगू, टायफाइड, गैस्ट्रोइंट्रोटाइटिस, मलेरिया, नेत्र व चर्मरोग जैसी बीमारियों का खतरा अधिक होता है। इससे बचाव को लेकर लोगों को विशेष रूप से सतर्क रहने की जरूरत है। इसके लिये जरूरी है कि पानी हमेशा उबाल कर पीयें, गर्म व ताजा भोजन का उपयोग करें, पेयजल को शुद्ध बनाने के लिये क्लोरिन का इस्तेमाल करें। जहां तक संभव हो सके गीले कपड़ों से परहेज करें।सीएस ने बाढ़ को लेकर स्वास्थ्य विभाग के पूरी तरह तत्पर रहने की बात कही।