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अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण संरक्षण एजेंसी की शक्तियां सीमित की

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अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (ईपीए) की कुछ शक्तियों को प्रतिबंधित कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के गुरुवार को आए इस फैसले को राष्ट्रपति जो बाइडन की जलवायु योजनाओं के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।

अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी के खिलाफ रिपब्लिकन नेतृत्व वाले राज्यों और देश की सबसे बड़ी कुछ कोयला कंपनियों की तरफ से वेस्ट वर्जीनिया ने याचिका दायर की थी। इसमें दलील दी गई थी कि एजेंसी के पास पूरे प्रांतों में उत्सर्जन को सीमित करने का अधिकार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई को तगड़ा झटका देते सवाल किया है कि बिजली संयंत्रों से कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम करने के लिए देश के मुख्य वायु प्रदूषण कानून का उपयोग कैसे किया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्वच्छ वायु अधिनियम पर्यावरण संरक्षण एजेंसी को बिजली संयंत्रों से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को विनियमित करने का व्यापक अधिकार नहीं देता है जो ग्लोबल वार्मिंग में योगदान करते हैं। यह फैसला जलवायु परिवर्तन से निपटने के बाइडन प्रशासन की योजनाओं को जटिल बना सकता है। बिजली संयंत्र उत्सर्जन को विनियमित करने काप्रस्ताव वर्ष के अंत तक अपेक्षित है। बाइडन ने दशक के अंत तक अमेरिका के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को आधा करना है। उनका लक्ष्य 2035 तक उत्सर्जन मुक्त बिजली क्षेत्र बनाना भी है। बिजली संयंत्रों का कार्बन डाइऑक्साइड उत्पादन में लगभग 30 फीसदी हिस्सा है।

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जॉन रॉबर्ट्स ने कहा है- ‘कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को एक स्तर पर रोकना जो बिजली पैदा करने के लिए कोयले के उपयोग से देशव्यापी संक्रमण को दूर करेगा, एक समझदार ‘दिन के संकट का समाधान’ हो सकता है।’ रॉबर्ट्स ने लिखा है कि स्वच्छ वायु अधिनियम ईपीए को ऐसा करने का अधिकार नहीं देता है और कांग्रेस को इस विषय पर स्पष्ट रूप से बोलना चाहिए।

इस पर असहमति जताते हुए न्यायमूर्ति ऐलेना कगन ने कहा है कि यह फैसला ईपीए से उस शक्ति को छीन लेता है जिसे कांग्रेस ने ‘हमारे समय की सबसे अधिक दबाव वाली पर्यावरणीय चुनौती’ का जवाब देने के लिए दिया था। कगन ने कहा है कि मामले में दांव ऊंचे हैं।

न्यायाधीशों ने फैसले से पहले वकीलों की दलीलें सुनीं। दलीलों में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र पैनल की रिपोर्ट में चेतावनी दी गई थी कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव बहुत खराब होने वाले हैं। इससे आने वाले वर्षों में दुनिया बीमार, भूख, गरीब और अधिक खतरनाक हो जाएगी।

अमेरिका में बिजली संयंत्र मामले का लंबा और जटिल इतिहास है। सबसे पहले ओबामा प्रशासन ने स्वच्छ ऊर्जा योजना शुरू की थी। मगर यह योजना कारगर नहीं हुई। वेस्ट वर्जीनिया और अन्य की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में 5-4 वोटों से अमान्य कर दिया था। योजना ठप होने के साथ ही इस पर कानूनी लड़ाई जारी रही। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के पदभार ग्रहण करने के बाद ईपीए ने ओबामा युग की योजना को निरस्त कर दिया था।

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