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राष्ट्रपति पद के दोनों बड़े उम्मीदवारों का नामांकन हुआ, जानिए किसे किस पार्टी का मिला समर्थन?

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राष्ट्रपति चुनाव

देश के सर्वोच्च पद यानी राष्ट्रपति के लिए 18 जुलाई को चुनाव होना है। 21 जुलाई को इसके नतीजे आएंगे। सत्ताधारी एनडीए की तरफ से द्रौपदी मुर्मू और विपक्ष की तरफ से यशवंत सिन्हा ने नामांकन कर दिया है। इनके अलावा 54 अन्य लोगों ने भी नामांकन किया है। हालांकि, पर्याप्त प्रस्तावक नहीं होने के कारण 54 अन्य उम्मीदवारों के नामांकन खारिज हो सकते हैं। यानी, मुकाबला द्रौपदी मुर्मू और यशवंत सिन्हा के बीच है।

सोमवार को यशवंत सिन्हा विपक्ष के कई नेताओं के साथ नामांकन करने पहुंचे। इसके दो दिन पहले द्रौपदी मुर्मू ने एनडीए के नेताओं के साथ नामांकन किया था। दोनों उम्मीदवारों को किस-किस पार्टी का समर्थन अब तक मिल चुका है? वो कौन सी पार्टियां हैं जिन्होंने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं?

द्रौपदी मुर्मू को किस पार्टी ने दिया समर्थन? 
24 जून को एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने नामांकन किया था। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत भाजपा के कई दिग्गज नेता मौजूद रहे। भाजपा शासित कई राज्यों के मुख्यमंत्री भी रहे। इसके अलावा द्रौपदी को बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस, जेडीयू, एआईएडीएमके, लोक जन शक्ति पार्टी, अपना दल (सोनेलाल), निषाद पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले), एनपीपी, एनपीएफ, एमएनएफ, एनडीपीपी, एसकेएम, एजीपी, पीएमके, एआईएनआर कांग्रेस, जननायक जनता पार्टी, यूडीपी, आईपीएफटी, यूपीपीएल जैसी पार्टियों ने समर्थन दे दिया है। विपक्ष में होने के बाद भी बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी ने एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन दिया है।

यशवंत सिन्हा के पक्ष में कितनी पार्टियां? 
यशवंत सिन्हा ने सोमवार को नामांकन दाखिल किया। इस दौरान उनके साथ कांग्रेस नेता राहुल गांधी, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी समेत कई दिग्गज नेता रहे। यशवंत को भी विपक्ष के कई दलों से समर्थन मिला है। इनमें कांग्रेस, एनसीपी, टीएमसी, सीपीआई, सीपीआई (एम) समाजवादी पार्टी, रालोद, आरएसपी, टीआरएस, डीएमके, नेशनल कांफ्रेंस, भाकपा, आरजेडी जैसे दल शामिल हैं।

इन दलों की अभी स्थिति साफ नहीं हुई
पंजाब और दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार है। 10 राज्यसभा सांसद भी हैं। अभी तक आम आदमी पार्टी ने राष्ट्रपति चुनाव को लेकर कुछ साफ नहीं किया है। इसके अलावा टीडीपी, झामुमो, शिरोमणि अकाली दल ने अब तक स्थिति साफ नहीं की है। शिवसेना में भी आंतरिक कलह के चलते अब तक किसी भी उम्मीदवार के समर्थन का एलान नहीं हुआ है। कहा जा रहा है कि शिवसेना के ज्यादातर सांसद और विधायक एनडीए के उम्मीदवार को ही सपोर्ट करना चाहते हैं।

अब द्रौपदी मुर्मू के बारे में जानिए
एनडीए से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू 20 जून 1958 को ओडिशा में एक आदिवासी परिवार में पैदा हुईं थीं। उन्होंने रामा देवी विमेंस कॉलेज से स्नातक किया। इसके बाद द्रौपदी ने ओडिशा के राज्य सचिवालय से नौकरी की शुरुआत की। उनका विवाह श्याम चरण मुर्मू के साथ हुआ है।
1997 में वे पहली बार नगर पंचायत का चुनाव जीत कर पहली बार स्थानीय पार्षद बनीं। तीन साल बाद, वह रायरंगपुर के उसी निर्वाचन क्षेत्र से राज्य विधानसभा के लिए चुनी गईं। साल 2000 में पहली बार विधायक और फिर भाजपा-बीजेडी सरकार में दो बार मंत्री बनने का मौका मिला। साल 2015 में उन्हें झारखंड का पहला महिला राज्यपाल बनाया गया। 20 जून को मुर्मू ने अपना जन्मदिन मनाया है। पूर्व राष्ट्रपति वीवी गिरी भी ओडिशा में पैदा हुए थे, लेकिन वह मूलत: आंध्र प्रदेश के रहने वाले थे।

मुर्मू का जीवन उनके जीवटता को दर्शाती है। जवानी में ही विधवा होने के अलावा दो बेटों की मौत से भी वह नहीं टूटीं। इस दौरान अपनी इकलौती बेटी इतिश्री सहित पूरे परिवार को हौसला देती रहीं। उनकी आंखें तब नम हुईं जब उन्हें झारखंड के राज्यपाल के रूप में शपथ दिलाई जा रही थी।

यशवंत सिन्हा कौन हैं? 
06 नवंबर 1937 को यशवंत सिन्हा का जन्म बिहार के नालंदा जिले के अस्थावां गांव में कायस्थ परिवार में हुआ था। उन्होंने राजनीति शास्त्र में मास्टर्स की पढ़ाई पूरी की है। इसके बाद कुछ समय तक वह पटना विश्वविद्यालय में प्रोफेसर भी रहे।
1960 में सिन्हा का चयन भारतीय प्रशासनिक सेवा यानी आईएएस के लिए हो गया। 24 साल तक उन्होंने बतौर आईएएस अपनी सेवाएं दीं। इस दौरान वह भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय में उप सचिव भी रहे। बाद में उन्हें जर्मनी के दूतावास में प्रथम सचिव वाणिज्यिक के तौर पर नियुक्त किया गया। 1973 से 1975 के बीच में उन्हें भारत का कौंसुल जनरल बनाया गया।

1984 में यशवंत सिन्हा ने प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा देकर जनता पार्टी जॉइन कर ली। यहीं से उनके राजनीतिक करियर का आगाज हुआ। 1986 में उन्हें पार्टी का महासचिव बनाया गया। 1988 में वह पहली बार राज्यसभा के सांसद बने। 1989 में जब जनता दल का गठन हुआ तो वह उसमें शामिल हो गए। पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बनाया। इस दौरान चंद्रशेखर की सरकार में वह 1990 से 1991 तक वित्त मंत्री भी रहे।

1996 में वह भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता बने। 1998 में उन्हें केंद्र सरकार में वित्त मंत्री बनाया गया। इसके बाद उन्हें विदेश मंत्री भी बनाया गया। 2004 में चुनाव हार गए। 2005 में उन्हें फिर से राज्यसभा सांसद बनाया गया। 2009 में सिन्हा ने भाजपा से इस्तीफा दे दिया। 2021 में उन्होंने टीएमसी जॉइन कर ली। पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया।

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