प्रदेश के 278 मंझले-बड़े बांधों में अब केवल 34.25 प्रतिशत पानी ही बचा है। इसमें से करीब 186 बांध सूखने के कगार पर पहुंच गए हैं। इन बांधों में औसतन 20 प्रतिशत से भी कम पानी है। इन बांधों के कमांड एरिया में फसलों की सिंचाई के लिए अब मानसून का इंतजार हो रहा है।
प्रदेश में 256 मध्यम ऊंचाई व कम भराव क्षमता के बांध है। हर बांध की क्षमता 4.25 एमक्यूएम से ज्यादा है। इन बांधों में केवल 15.77 फीसदी पानी हैै। इनमें से 176 बांध सूख चुके हैं। कम बारिश होने के कारण इनमें से 56 बांधों में अब तक पानी नहीं पहुंचा था, वहीं 4.25 एमक्यूएम से कम भराव क्षमता वाले 449 बांधों में केवल 4.27 प्रतिशत पानी ही है। इनमें से भी 400 बांध सूख चुके हैं।
जल संसाधन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के बड़े बांधों के हालात खराब है। इनमें से 12 में नाममात्र का पानी है। इनमें से राणा प्रताप सागर (चित्ताैड़गढ़) में 65.52 फीसदी, कोटा बैराज (कोटा ) में 96.46 प्रतिशत, माही बजाज सागर (बांसवाड़ा) में 39.98 फीसदी, पार्वती बांध (धौलपुर) में 33.39 फीसदी, सोम कमला अंबा बांध (डूंगरपुर) में 57.41 फीसदी, जयसमंद (उदयपुर) में 51.58 फीसदी, जाखम बांध (प्रतापगढ़) में 47.81 फीसदी पानी है। प्रदेश में कुछ बड़े बांधों के चिंताजनक हालात है। इनमें बीसलपुर बांध (टोंक) में 22.20 फीसदी, जवाई बांध (पाली) में 4.33 फीसदी, राजसमंद (राजसमंद) में 5.71 फीसदी, हारो (बांसवाड़ा) में 17.88 फीसदी, टोरड़ी सागर (टोंक) में 0.00 फीसदी, मोरेल (दौसा) में 9.69 फीसदी, सिकरी बांध (भरतपुर) में 0.00 फीसदी, रामगढ़ बांध (जयपुर) में 0.00 फीसदी, छापरवाड़ा (जयपुर) में 0.00 फीसदी, कालख सागर (जयपुर) में 0.00 फीसदी, सरदार समंद (पाली) में 0.00 फीसदी, मेजा बांध (भीलवाड़ा) में 0.00 फीसदी पानी है।
राणाप्रताप सागर, कोटा बैराज, गुढ़ा डेम, सोम कमला अम्बा व जयसमंद बांध ही 50 प्रतिशत से लेकर 97 प्रतिशत तक भरे हुए हैं। जयपुर, टोंक व अजमेर की एक करोड़ से ज्यादा आबादी को पेयजल सप्लाई करने वाली बीसलपुर बांध में भी अब केवल 22.20 फीसदी पानी ही है। बांध का जल स्तर अब 309.16 आरएल मीटर रह गया है तथा यहां से रोजाना 9341 लाख लीटर पानी लिया जा रहा है। जयपुर को बांध से रोजाना 5923 लाख लीटर पानी मिल रहा है। पाली की पेयजल सप्लाई से जुड़ा जवाई बांध पहले ही दम तोड़ चुका है। प्रदेश के ज्यादातर छोटे व मंझले बांध के बहाव क्षेत्र में अतिक्रमण होने के कारण बारिश का पानी नहीं पहुंच पाता है, जबकि जल संसाधन विभाग हर साल बांध के मेंटीनेंस व बहाव क्षेत्र की सफाई के मद में करोड़ों रुपये खर्च करता है। इसकी रिपोर्ट भी सार्वजनिक नहीं की जाती है।
बहाव क्षेत्र में पक्के व कच्चे निर्माण व अतिक्रमण के कारण प्रदेश के ज्यादातर छोटे बांधों में बारिश का पानी नहीं पहुंचा है। प्रदेश में 4.25 एमक्यूएम से कम भराव क्षमता के 464 बांध है, लेकिन इन बांधों में केवल 29.24 फीसदी पानी ही आया है। यानि बांधों का 70 फीसदी हिस्सा खाली है। इसमें से 40 फीसदी बांध तो सूखे ही हैं, जबकि गांव वाले इन बांधों के संरक्षण को लेकर जनप्रतिनिधियों से कई बार गुहार कर चुके हैं।