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नीलाम हुईं 385 खानों में से 50 में ही हो रहा उत्पादन, सरकार के नियमों में संशोधन के बावजूद दिख रहे ऐसे हालात

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नीलाम हुईं 385 खानों में से 50 में ही हो रहा उत्पादन, सरकार के नियमों में संशोधन के बावजूद दिख रहे ऐसे हालात

वर्ष 2015 के बाद से 385 खनिज ब्लॉक की नीलामी हुई है लेकिन इनमें से केवल 50 खानें ही पिछले तीन साल में उत्पादन शुरू कर पाई हैं। यह भारत के खनन क्षेत्र की चुनौतियों को उजागर करता है।

सरकार के खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 में अहम संशोधन किए जाने के बावजूद नीलाम खानों के परिचालन की यह स्थिति है। इस अधिनियम में संशोधन से भारत के खनन क्षेत्र में कई महत्त्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। उदाहरण के लिए खनिज संसाधनों के आवंटन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए खनिज रियायतें देने के लिए नीलामी की पद्धति को अनिवार्य बनाना।

खान और कोयला मंत्री जी. किशन रेड्डी ने सोमवार को संसद को एक सवाल के जवाब में बताया था, ‘केंद्र सरकार द्वारा कई सुधार लागू करने से वर्ष 2015 की नई नीलामी व्यवस्था के तहत देश में कुल 385 खनिज ब्लॉक की नीलामी हुई थी लेकिन अभी इनमें से 50 खानों से उत्पादन हो रहा है।’

खान और कोयला मंत्री रेड्डी ने सरकार के खनन क्षेत्र में कुल खनन उपभोग में घरेलू खनन की हिस्सेदारी बढ़ाने और खनन क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भर भारत’ को हासिल करने के लिए सरकार के जारी प्रयासों पर विस्तार से प्रकाश डाला।

अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) ने ‘स्वच्छ ऊर्जा की राह में महत्त्वपूर्ण खनिजों की भूमिका’ पर रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट में इंगित किया गया कि 2010 से 2019 के दौरान संचालित प्रमुख वैश्विक खनन परियोजनाओं को खनिज खोजने के बाद औसतन 16.5 वर्ष लगे थे। देश के सकल घरेलू उत्पाद में खनन और उत्खनन क्षेत्र का सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) को योगदान 2 प्रतिशत है।

खनन और उत्खनन क्षेत्र की हिस्सेदारी का मूल्य 2014-15 में बढ़कर 2,90,411 करोड़ रुपये हो गया जबकि यह 2022-23 में 3,18,302 करोड़ रुपये था।

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