दक्षिण का राज्य केरल इन दिनों कई संक्रामक बीमारियों की चपेट में है। रविवार (21 जुलाई) को 14 वर्षीय एक लड़के की हो गई, जिसके बाद से राज्यभर में अलर्ट जारी कर दिया गया है। इससे पहले इसी माह की शुरुआत में कोझिकोड़ जिले में दुर्लभ और खतरनाक अमीबिक मेनिंगोएन्सेफेलाइटिस (पीएएम) संक्रमण के मामले रिपोर्ट किए गए थे। ‘दिमाग खाने वाले अमीबा’ के नाम से जाने जाने वाले इस रोग से एक बच्चे की मौत भी हो गई थी। पीएएम के कारण मृत्युदर 97 प्रतिशत तक माना जाता रहा है।
इन सब जोखिमों के बीच सोमवार को एक राहत भरी खबर सामने आई है। राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने बताया कि अमीबिक मेनिंगोएन्सेफेलाइटिस का इलाज करा रहा 14 वर्षीय एक लड़का अब पूरी तरह से ठीक हो गया है। उन्होंने इस बीमारी की उच्च मृत्यु दर को देखते हुए इसे देश के लिए एक दुर्लभ घटना और स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए बड़ी कामयाबी बताई है। जॉर्ज ने कहा कि दुनियाभर में केवल 11 लोग ही अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस से ठीक हुए हैं।
स्वास्थ्य मंत्री ने डॉक्टरों को दी बधाई
स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने इस सफलता के लिए इलाज कर रही डॉक्टरों की टीम को बधाई दी है। अमीबिक मेनिंगोएन्सेफेलाइटिस वैसे तो अत्यंत दुर्लभ रोग है लेकिन इसके कारण सेंट्रल नर्वस सिस्टम को गंभीर क्षति होने का खतरा रहता है। ये आमतौर पर झीलों, नदियों के पानी के संपर्क में आने के कारण फैलता है।
केरल में पीएएम के मामले सामने आने के बाद से इसको लेकर अलर्ट जारी किया गया था।
कैसी थी रोगी की स्थिति
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अमीबिक मेनिंगोएन्सेफेलाइटिस से ठीक होने वाले लड़के को लेकर शुरुआत में जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के कर्मियों को संदेह था कि उसे मेनिंगोएन्सेफलाइटिस हो सकता है। लड़के को मिर्गी का दौरा पड़ा था जिसके बाद उसे कोझिकोड के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। फिलहाल अब लड़के को इससे ठीक बताया जा रहा है।
इससे पहले 5 जुलाई को मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन की अध्यक्षता में एक विशेष बैठक भी हुई थी जिसमें रोग की प्रारंभिक अवस्था में ही पुष्टि करने के निर्देश दिए गए थे। 20 जुलाई को अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस के लिए उपचार प्रोटोकॉल जारी किया गया था। राज्य स्वास्थ्य विभाग ने दावा किया कि यह देश में इस बीमारी के लिए पहला व्यापक उपचार प्रोटोकॉल था।
अमीबिक मेनिंगोएन्सेफेलाइटिस के बारे में जानिए
अमीबिक मेनिंगोएन्सेफेलाइटिस या प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफेलाइटिस (पीएएम), नेगलेरिया फाउलेरी नामक अमीबा के संक्रमण के कारण होने वाली बीमारी है। यह संक्रमण मस्तिष्क के ऊतकों को नष्ट करने लगता है जिससे ज्यादातर मामलों में मस्तिष्क में गंभीर सूजन और मृत्यु हो जाती है। आंकड़ों से पता चलता है कि वैसे तो पीएएम दुर्लभ है पर ये आमतौर पर स्वस्थ बच्चों, किशोरों और युवा वयस्कों में हो सकता है। संक्रमण की आशंका तब अधिक हो सकती है जब दूषित पानी नाक में प्रवेश कर जाता है। पानी में गोते लगाने वाले लोगों में इसका खतरा अधिक देखा जाता रहा है।
पीएएम के लक्षण और बचाव के तरीके
अध्ययन की रिपोर्ट से पता चलता है कि संक्रमितों में शुरुआती लक्षण आमतौर पर फ्लू की तरह (जैसे सिरदर्द, बुखार, मतली और उल्टी) होते हैं। गंभीर स्थिति में गर्दन में अकड़न, भ्रम, दौरे पड़ने, कोमा जैसी मस्तिष्क से संबंधित समस्याओं का खतरा भी हो सकता है। इसके लक्षण तेजी से विकसित हो सकते हैं और पांच से 18 दिनों के भीतर संक्रमण घातक हो सकता है।
स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को सावधान करते हुए कहा, बच्चों को तालाब या ठहरे हुए पानी में नहाने से बचना चाहिए। स्विमिंग पूल और वाटर थीम पार्क में पानी को नियमित रूप से क्लोरीनेट करते रहना भी जरूरी है। दूषित पानी के संपर्क में आने के कारण इस संक्रमण का खतरा होता है।
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