बीते साल अक्तूबर में बिहार में जातीय सर्वे की रिपोर्ट जारी हो गई थी। आंध्र प्रदेश सरकार ने भी इस साल जनवरी में जातीय सर्वे शुरू कर दिया है। इसी साल फरवरी में तेलंगाना सरकार ने भी एक प्रस्ताव पास कर घर-घर जाकर जातीय सर्वे की मंजूरी दी थी।
झारखंड में भी अब जातीय सर्वे कराया जाएगा। झारखंड की चंपई सोरेन सरकार की कैबिनेट ने बुधवार को राज्य में जातीय सर्वे कराने के फैसले को मंजूरी दे दी। इसके साथ ही झारखंड देश का चौथा राज्य बन जाएगा, जहां जातीय सर्वेक्षण होगा। इससे पहले बिहार, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भी जातीय सर्वेक्षण या तो हो चुका है या फिर हो रहा है। झारखंड की मुख्य सचिव वंदना पटेल ने मीडिया को बताया कि कैबिनेट ने जातीय सर्वे कराने के फैसले को मंजूरी दे दी है। जातीय सर्वे कार्मिक विभाग की देखरेख में होगा।
कार्मिक विभाग को बनाया गया नोडल एजेंसी
झारखंड के कार्मिक विभाग को जातीय सर्वेक्षण के लिए नोडल एजेंसी बनाया गया है। हालांकि अभी तक जातीय सर्वेक्षण के लिए सरकार ने कोई टाइमलाइन तय नहीं की है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकार पहले मानक संचालन प्रक्रिया तैयार कराएगी, उसके बाद ही सर्वेक्षण की तारीख तय की जाएगी। झारखंड के मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने हाल ही में सोशल मीडिया मंच एक्स पर साझा एक पोस्ट में जातीय सर्वेक्षण कराने के संकेत दे दिए थे। उन्होंने लिखा कि ‘जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी। झारखंड है तैयार।’
इन राज्यों में भी हो रहा जातीय सर्वेक्षण
बीते साल अक्तूबर में बिहार में जातीय सर्वे की रिपोर्ट जारी हो गई थी, जिसमें राज्य के सामाजिक मिश्रण के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। इस सर्वेक्षण में पता चला कि बिहार में अति पिछड़ा वर्ग और अन्य पिछड़ा वर्ग की कुल जनसंख्या राज्य की जनसंख्या के 63 प्रतिशत से भी ज्यादा है। आंध्र प्रदेश सरकार ने भी इस साल जनवरी में जातीय सर्वे शुरू कर दिया है। इसी साल फरवरी में तेलंगाना सरकार ने भी एक प्रस्ताव पास कर घर-घर जाकर जातीय सर्वे की मंजूरी दी थी।
झारखंड में इस साल के अंत तक ही विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि चंपई सरकार ने चुनाव को देखते हुए जातीय सर्वे का मास्टर स्ट्रोक खेला है। झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता और पूर्व सीएम हेमंत सोरेन भ्रष्टाचार के मामले में जेल में बंद हैं। ऐसे में झामुमो को उम्मीद है कि उन्हें लोगों का सहानुभूति वोट मिलेगा। हालिया लोकसभा चुनाव में भी झामुमो को फायदा मिला था। अब जातीय सर्वे के दांव से भी झामुमो के नेतृत्व वाली सरकार फायदे की उम्मीद लगा रही है।