
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक केंद्र सरकार ने पत्र लिखकर कहा है कि प्रभावित राज्यों में लोगों को विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है। इन इलाकों का दौरा करते समय स्वास्थ्य टीमों को भी सावधानी बरतनी चाहिए। लेप्टोस्पायरोसिस संक्रमण का कारण बनने वाले बैक्टीरिया मुख्यरूप से पानी या फिर मिट्टी में मौजूद हो सकते हैं। सभी राज्य प्रभावी ड्रेनेज की व्यवस्था भी सुनिश्चित करें जिससे कि दूषित जल के माध्यम से होने वाले संक्रमण के जोखिमों को कम किया जा सके।

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लेप्टोस्पायरोसिस एक प्रकार की संक्रामक बीमारी है जो लेप्टोस्पाइरा नामक बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण होती है। त्वचा पर खरोंच या कट के माध्यम से या आंखों, नाक या मुंह के माध्यम से आप लेप्टोस्पाइरा से संक्रमित हो सकते हैं। लेप्टोस्पायरोसिस एक जूनोटिक बीमारी है, जिसका अर्थ है कि यह जानवरों और मनुष्यों के बीच संचारित होती है।
बरसात कि दिनों में जलजमाव वाली जगहों पर ये बैक्टीरिया अधिक पाए जाते हैं। संक्रमित जानवरों के मूत्र या प्रजनन द्रव के सीधे संपर्क में आने या फिर दूषित पानी-मिट्टी के संपर्क में आने, दूषित भोजन या पानी के जरिए भी आप इसके शिकार हो सकते हैं।

एक अखबार में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की केरल इकाई के डॉ. राजीव जयदेवन बताते हैं, लेप्टोस्पायरोसिस से संक्रमित 10 फीसदी लोगों की मौत हो जाती है। इसलिए जिन लोगों में संक्रमण के लक्षण नजर आ रहे हों उन्हें समय रहते डॉक्टर से मिलकर उपचार प्राप्त करना जरूरी है। समय पर बीमारी की पहचान न हो पाने की स्थिति में रोग के गंभीर रूप लेने और जानलेवा होने का खतरा भी अधिक हो सकता है।
गंभीर संक्रमण वाले लोगों में किडनी-लिवर के संक्रमण का भी खतरा अधिक देखा जाता रहा है।

लेप्टोस्पायरोसिस संक्रमण की स्थिति में रोगियों में शुरुआत में फ्लू जैसे लक्षण नजर आते हैं हालांकि गंभीर मामलों में इससे आंतरिक रक्तस्राव और अंगों की क्षति का खतरा हो सकता है। संक्रमण की शुरुआती स्थिति में तेज बुखार, आंखों में संक्रमण-लालिमा, सिरदर्द, ठंड लगने, मांसपेशियों में दर्द, दस्त और पीलिया जैसी समस्या होती है। वहीं गंभीर स्थितियों में खांसी के साथ खून आने (हेमोप्टाइसिस), छाती में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, पेशाब में खून आने जैसे आंतरिक रक्तस्राव के लक्षण हो सकते हैं।
कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों में इस संक्रामक रोग का जोखिम अधिक देखा जाता रहा है।

जिन लोगों में इस संक्रामक रोग का निदान किया जाता है उन्हें इलाज के लिए एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं। गंभीर लेप्टोस्पायरोसिस संक्रमण की स्थिति में अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत भी हो सकती है।
संक्रमण के जोखिमों से बचे रहने के लिए सबसे जरूरी है कि आप दूषित जल के संपर्क में आने से बचें। जानवरों के संपर्क से भी दूरी बनाकर रखें। पीने के लिए साफ पानी का इस्तेमाल करें या फिर पानी को उबालकर उसे ठंडा करके पिएं। अगर आपके शरीर में कहीं घाव है तो उसकी उचित देखभाल करें। केंद्र सरकार ने राज्यों को लिखे पत्र में कहा है कि प्रभावित इलाकों में काम कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों को भी सेहत को लेकर विशेष सावधानी बरतते रहना चाहिए।
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