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रेल और राजमार्ग मंत्रालय: बुनियादी ढांचे में पूंजीगत व्यय जारी रखने की जरूरत

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जनता दल यूनाइटेड (JDU) की गठबंधन में अहम भूमिका है। ऐसे में नई सरकार की नीतियों में रेलवे में प्रत्यक्ष रोजगार के सृजन पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल में गठबंधन सरकार होने के कारण मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों के लिहाज से अहम माने जाने वाले बुनियादी ढांचे का काम संभालने वाले मंत्रियों के प्राथमिकताओं में बदलाव आ सकता है। हालांकि जानकारों को मानना है कि पूंजीगत व्यय पर जोर जारी रहेगा तथा प्राथमिकताओं में सेक्टर के मुताबिक मामूली बदलाव होंगे।

नए रेल मंत्री केंद्र सरकार द्वारा चुनाव के पहले बनाए गए 100 दिन के एजेंडे के महत्त्वपूर्ण पहल को लागू करने पर काम कर सकते हैं। इसमें क्षमता में सुधार और सुरक्षा संबंधी बुनियादी ढांचा, जापान से भारत पहली बुलेट ट्रेन लाना और सुपर ऐप के माध्यम से डिजिटल उपभोक्ताओं की सुविधा में सुधार करना शामिल है।

जनता दल यूनाइटेड (JDU) की गठबंधन में अहम भूमिका है। ऐसे में नई सरकार की नीतियों में रेलवे में प्रत्यक्ष रोजगार के सृजन पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है, जहां बढ़ते पेंशन के बोझ की भरपाई के लिए गैर प्रमुख नौकरियों की आउटसोर्सिंग की जा रही है।

दूरदराज के इलाकों की बड़ी आबादी रेलवे में काम करने को इच्छुक रहती है और रेलवे की नौकरियों के लिए रिक्तियां भरने में देरी के कारण चुनाव के दौरान सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी (BJP) की आलोचना हुई थी।

विस्थापित श्रमिकों को लिए ट्रेन में जनरल कोच बढ़ाए जाने पर राजग के सहयोगियों का जोर हो सकता है। केंद्र सरकार नॉन-एसी कोच की क्षमता बढ़ाने पर काम कर रही है, लेकिन यात्रियों की संख्या बढ़ने के कारण सरकार आलोचनाओं के घेरे में आ गई कि वह गरीबों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों से पीछे हट रही है।

मंत्रालय के एजेंडे में स्लीपर वंदेभारत ट्रेन भी शामिल हो सकती है, जिससे लंबी दूरी की यात्रा के लिए प्रीमियम ट्रेन मिल सकेगी। मंत्रालय ने पहले ही 200 वंदेभारत ट्रेन के विनिर्माण का ठेका दे दिया है और जल्द ही और ठेके दिए जाने की उम्मीद है।

एजेंडे के अन्य विषयों में उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (USBRL) परियोजना पूरी करना शामिल है, जो कश्मीर को शेष भारत से जोड़ेगी। इसमें चिनाब का पुल भी शामिल है।

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की पूंजीगत व्यय योजनाएं लालफीताशाही में फंसी हुई हैं। अधिकारियों का कहना है कि इसके लिए 20 लाख करोड़ रुपये रुपये की विजन 2047 राजमार्ग योजना को केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंजूरी मिलना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘इस समय मंत्री की जानकारी और मंजूरी की जरूरत वाले सभी मामले अटके हुए हैं, क्योंकि हम नई सरकार का इंतजार कर रहे हैं। नए मंत्री को इन प्रस्तावों के बारे में फैसला लेना होगा, क्योंकि हमारी पूंजीगत व्यय की योजाएं इसी पर निर्भर हैं।’

मंत्रालय ने 2023 में केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष सार्वजनिक रूप से कहा था कि भारतमाला परियोजना के पहले चरण के संशोधित लागत के अनुमानों को मंजूरी मिलने में देरी के कारण राजमार्ग परियोजनाओं को आवंटित करने की योजना प्रभावित हुई है। 2022 तक इस परियोजना की लागत दोगुनी होकर 10.6 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गई है।

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