बिजली कंपनियों की तरफ से एक बार फिर स्लैब परिवर्तन का प्रस्तुतीकरण करने का प्रयास किया गया, लेकिन आयोग ने इसे देखने से इनकार कर दिया। लाइफ लाइन श्रेणी में शामिल किए गए 1.20 करोड़ उपभोक्ताओं से बीते तीन वर्ष में अधिक वसूल किए गए 1455 करोड़ रुपये का समायोजन छूट के रूप में किए जाने का मुद्दा भी उठाया गया।
राज्य विद्युत नियामक आयोग में 2022-23 के लिए नई बिजली दरों और स्लैब परिवर्तन को लेकर चल रही जनसुनवाई के दूसरे दिन भी दरों में कमी की मांग उठी। उपभोक्ता संगठनों ने कंसल्टेंट पर सैकड़ों करोड़ रुपये खर्च किए जाने के बावजूद वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) व अन्य आंकड़ों में गड़बड़ी पर सवाल उठाए। बिजली कंपनियों की तरफ से एक बार फिर स्लैब परिवर्तन का प्रस्तुतीकरण करने का प्रयास किया गया, लेकिन आयोग ने इसे देखने से इनकार कर दिया। लाइफ लाइन श्रेणी में शामिल किए गए 1.20 करोड़ उपभोक्ताओं से बीते तीन वर्ष में अधिक वसूल किए गए 1455 करोड़ रुपये का समायोजन छूट के रूप में किए जाने का मुद्दा भी उठाया गया।
नियामक आयोग के अध्यक्ष आरपी सिंह, सदस्य कौशल किशोर शर्मा व विनोद कुमार श्रीवास्तव की पूर्ण पीठ ने बुधवार को मध्यांचल व पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम की जनसुनवाई की। मध्यांचल और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के एमडी की तरफ से एआरआर के प्रस्तुतीकरण के बाद पावर कॉर्पोरेशन के निदेशक वाणिज्य ने सभी बिजली कंपनियों के संकलित एआरआर का प्रस्तुतीकरण किया।
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने पुन: बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं के निकल रहे 22,045 करोड़ का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इसके एवज में बिजली दरों में कमी के अलावा कोई विकल्प नहीं है। वर्मा ने बिजली कंपनियों को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि एआरआर तथा आयेाग द्वारा मांगे गए सभी जवाबों के आंकड़ों में काफी अंतर है जबकि बिजली कंपनियों ने अलग-अलग कार्यों के लिए कंसल्टेंट नियुक्त कर रखे हैं जिन पर 500 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च हो रहा है। इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए।
स्मार्ट मीटर की आरसीडीसी फीस समाप्त करें
उपभोक्ता परिषद ने स्मार्ट मीटर की खामियों का जिक्र करते हुए करते हुए कहा कि कनेक्शन कट जाने पर पैसा जमा होने के बाद भी घंटों बिजली नहीं जुड़ती है। स्मार्ट मीटर के लिए रीकनेक्शन-डिस्कनेक्शन (आरसीडीसी) फीस समाप्त की जानी चाहिए। स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं का सिंगल पार्ट टैरिफ होना चाहिए।
आधुनिकीकरण योजना डीपीआर के साथ अलग से पेश करें
उपभोक्ता परिषद की ओर से एआरआर में आधुनिकीकरण योजना का खर्च शामिल किए जाने पर सवाल उठाए जाने पर आयोग के अध्यक्ष ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि इसे एआरआर में दिखाने का कोई औचित्य नहीं है। इस बारे में जो भी कहना है उसे डीपीआर के साथ आयेाग के सामने अलग से पेश किया जाए। आयोग उस पर उपभोक्ताओें के नफा नुकसान के आधार पर निर्णय करेगा। उपभोक्ता परिषद का कहना था कि जब आधुनिकीकरण योजना की कोई भी डीपीआर व रोल आउट प्लान आज तक आयोग के सामने नहीं लाया गया है तो एआरआर में शामिल करने क्या औचित्य है? इसे अविलंब खारिज किया जाए और एआरआर का हिस्सा नहीं माना चाहिए।
उपभोक्ता सेवा पर भी सवाल
जनसुनवाई में उपभोक्ताओं की शिकायतों के लिए टोल फ्री नंबर 1912 को लेकर भी सवाल उठाए गए। उपभोक्ता परिषद ने जून में मध्यांचल में 1912 पर दर्ज कराई गई शिकायतों का उल्लेख करते हुए कहा कि इस पर 48 से 51 प्रतिशत नकारात्मक फीडबैक आया है। उपभोक्ता सेवा का बुरा हाल है।