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घरेलू बचत के दम पर बढ़ सकता है पूंजीगत खर्च; रिटायरमेंट फंड, बीमा, म्युचुअल फंड में हुई बढ़ोतरी:

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Goldman Sachs

भारत में पारंपरिक रूप से लोग अपनी बचत को अचल संपत्तियों में लगाते रहे हैं, लेकिन अब घरेलू बचत का वित्तीयकरण बढ़ रहा है।

 

 

 

Household Savings: भारत में घरेलू बचत का वित्तीयकरण बढ़ने से आधारभूत संपत्तियों के सृजन के लिए धन जुटाया जा सकता है। गोल्डमैन सैक्स की बुधवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक इस तरह धन जुटाए जाने से चालू खाते का घाटा या बाह्य जो​खिम बढ़ने जैसा नुकसान भी नहीं होगा। भारत में पारंपरिक रूप से लोग अपनी बचत को अचल संपत्तियों में लगाते रहे हैं, लेकिन अब घरेलू बचत का वित्तीयकरण बढ़ रहा है।

रिपोर्ट ‘भारतीय घरों की बचत की बदलती रूपरेखा’ के नोट के मुताबिक वित्तीय बचतों में आवंटन बैंकों से गैर बैंकों की ओर बदल रहा है। रिटायरमेंट फंड, बीमा और म्युचुअल फंड के प्रबंधनाधीन परिसंप​त्तियों में 15 फीसदी की सालाना औसत दर (सीएजीआर) से बढ़त हुई है और इसने बीते 10 वर्षों में बैंक बचत (9 फीसदी सीएजीआर) से अधिक वृद्धि की है।

रिपोर्ट के अनुसार, ‘विकसित बाजारों और उभरते बाजारों जैसे कोरिया और ताइवान की तुलना में भारत में घरेलू बचत का गैर बैंक संपत्तियों में आवंटन काफी कम है। यह रुझान आने वाले वर्षों में भी जारी रहने की उम्मीद है।’

इन बचतों के वित्तीयकरण से पूंजीगत चक्र के वित्त पोषण में वृद्धि मिलने के अलावा पेंशन व बीमा कंपनियां अपने दीर्घावधि निवेश के लिए सरकारी बॉन्ड खरीद रही हैं। ऐसे निवेशकों के धन तत्काल निकाले जाने के आसार कम होते हैं और इससे उतार-चढ़ाव का प्रबंधन करने में मदद मिलती है। इससे भारत के सरकारी बॉन्ड का यील्ड स्थिर रहने की उम्मीद है और यह आगे भी कायम रहने की आस है।

रिपोर्ट के अनुसार ‘बीमा और पेंशन कोषों जैसे दीर्घावधि निवेश साधनों के एयूएम में बढ़त के अलावा केंद्र और राज्य सरकारों ने बड़ी मात्रा में दीर्घावधि बॉन्ड जारी किए हैं। इसकी वजह से भारत में बॉन्ड यील्ड कर्व सपाट रहा है।’

गोल्डमैन सैक्स के अनुमान के अनुसार वित्त वर्ष 24 में भारत के घरों की कुल वित्तीय बचत बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 6 फीसदी हो सकती है, जबकि यह वित्त वर्ष 23 में 18 साल में सबसे कम 5.1 फीसदी थी। भारत के घरों की सकल घरेलू बचत को मुख्य तौर पर उच्च सकल वित्तीय बचत (जीडीपी के 12.5 फीसदी, जबकि यह वित्त वर्ष 23 में 11.0 फीसदी था) और बैंकों की उच्च जमा दर (वित्त वर्ष 24 में 11 फीसदी, जबकि वित्त वर्ष 23 में 9.4 फीसदी) से मदद मिली है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि बचतों के वित्तीयकरण के कारण, जबकि दीर्घावधि के सॉवरेन बॉन्ड की आपूर्ति बढ़ चुकी है, कॉरपोरेट बॉन्ड मार्केट की दीर्घावधि के बॉन्ड जारी करने में कम हिस्सेदारी है, जो कि आधारभूत परिसंपत्तियों के धन जुटाने के लिए महत्त्वपूर्ण माना जाता है।

रिपोर्ट के अनुसार, ‘केंद्र सरकार के पूंजीगत खर्च के कारण, हाल के वर्षों में महत्त्वपूर्ण रूप से ज्यादातर आधारभूत ढांचे का सृजन हुआ है। सरकार का ध्येय अपनी राजकोषीय स्थिति को मजबूत करना है और बॉन्ड मार्केट को फलने-फूलने के अधिक अवसर दिए गए हैं।

 

 

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