अमेरिका को निर्यात बीते 13 वर्षों में 7.6 फीसदी बढ़ा व वित्त वर्ष 2023-24 के निर्यात में हिस्सेदारी 17.7 फीसदी हो गई
वस्तु निर्यात के विविधीकरण पर जोर देने के बावजूद भारत की अमेरिका के निर्यात पर निर्भरता बढ़ी है। अमेरिका को निर्यात 13 वर्षों में 7.6 फीसदी बढ़ा व वित्त वर्ष 2023-24 में कुल निर्यात में इसकी हिस्सेदारी 17.7 फीसदी हो गई। वाणिज्य विभाग के मुताबिक भारत के कुल निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी 1998-99 के उच्च स्तर 21.7 फीसदी से लगातार गिरते हुए वर्ष 2010-11 में 10.1 फीसदी पर आ गई थी।
महामारी के वर्ष 2021-22 में अमेरिका को निर्यात की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 24 के स्तर से अधिक थी। 2022-23 (वित्त वर्ष 23) में अमेरिका की हिस्सेदारी 17.4 फीसदी थी। वित्त वर्ष 23 के मुकाबले वित्त वर्ष 24 में भारत का अमेरिका को निर्यात 1.3 फीसदी और कुल वस्तु निर्यात 3.1 फीसदी गिरा था। इसके बावजूद इस अवधि में अमेरिकी निर्यात की हिस्सेदारी बढ़ी।
उभरते क्षेत्रों जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों (50.6 फीसदी हिस्सेदारी), दूरसंचार के उपकरणों (33.73 फीसदी), ड्रग फॉर्मुलेशन और बॉयोलॉजिकल (36.91 फीसदी) व इलेक्ट्रॉनिक उपकरण (29.25 फीसदी) के दम पर अमेरिकी निर्यात की हिस्सेदारी बढ़ी।
दिल्ली स्थित थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव की रिपोर्ट के मुताबिक भारत के कुल वस्तु निर्यात की तुलना में मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के साझेदारों के साथ कुल निर्यात धीमी गति से बढ़ा। एफटीए देशों से 2018-19 की तुलना में वित्त वर्ष 24 में (पांच वर्षों) निर्यात 14.48 फीसदी बढ़कर 122.72 अरब डॉलर हो गया जबकि इस अवधि में कुल निर्यात 32 फीसदी बढ़कर 437 अरब डॉलर हो गया।
विदेश व्यापार नीति की 2015-20 के मध्य अवधि की समीक्षा में वाणिज्य मंत्रालय साल 2017 में एक विजन स्टेटमेंट जारी किया था। इसमें कहा गया था कि वैश्विक आर्थिक उथल-पुथल के दौर में भी मार्केट विविधीकरण की नीति ने भारत को अच्छी स्थिति में रखा। बाजार के साथ-साथ उत्पादों का विविधीकरण भारत की व्यापार नीति का प्रमुख हिस्सा था।
इसके अनुसार, ‘निर्यात को उच्च वृद्धि के दायरे में रखने के लिए भारत को विश्व अर्थव्यवस्था की बदलती स्थितियों की जरूरतों के अनुरूप मार्केट का विविधीकरण करने की जरूरत है। अभी तक भारत के द्विपक्षीय व्यापार समझौते मुख्य तौर पर औद्योगिक शक्तियों से हैं। भविष्य में भारत उन क्षेत्रों और देशों के साथ कार्य करेगा जो न केवल प्रमुख बाजार हैं बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था में प्रमुख कच्चे माल के आपूर्तिकर्ता हैं।