किडनी की बीमारियों का खतरा वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ता देखा जा रहा है, भारत में भी इन रोगों के मामले बढ़ते हुए रिपोर्ट किए जा रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया किडनी रोगों का खतरा किसी भी उम्र में हो सकता है, पर जिन लोगों को डायबिटीज-हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है उनमें इसके जोखिम और अधिक देखे जाते रहे हैं।
अध्ययनकर्ताओं ने कहा, क्रोनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) एक मूक महामारी के रूप में भी उभरती जा रही है जो दुनियाभर में लाखों लोगों को प्रभावित कर रही है। अक्सर जब तक इसके लक्षण प्रकट होते हैं, तब तक किडनी को गंभीर क्षति हो चुकी होती है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, किडनी की समस्याओं के लक्षणों की समय रहते पहचान और इसका उपचार किया जाना आवश्यक है। इसमें आमतौर पर पेशाब से संबंधित दिक्कतें होना सामान्य है, पर हालिया अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया कि आंखों में नजर आने वाले लक्षणों के आधार पर भी किडनी की दिक्कतों का अंदाजा लगाया जा सकता है।
किडनी की समस्याओं के आंखों पर लक्षण
स्कॉटलैंड स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग के शोधकर्ताओं की टीम ने किडनी रोगों के लक्षणों के बारे में जानने के लिए अध्ययन किया। शोधकर्ताओं की टीम ने बताया कि आंखों की जांच के माध्यम से भी किडनी में होने वाली दिक्कतों का पता लगाया जा सकता है। जब भी किडनी में कोई समस्या होती है तो इसका रेटिना पर भी असर होना शुरू हो जाता है, इतना ही नहीं गंभीर स्थितियों में रेटिना के पीछे थक्के बनने की भी दिक्कत होने लग जाती है।
आंखों में नजर आने वाले इस प्रकार के बदलावों के आधार पर किडनी में होने वाली दिक्कतों का आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है।
अध्ययन में क्या पता चला?
अध्ययनों की रिपोर्ट में, टीम ने पाया कि किडनी और आंखों के बीच संबंध है। रेटिना और कोरॉइड (रेटिना के पीछे रक्त वाहिकाओं की एक परत) में परिवर्तन के आधार पर किडनी में होने वाली समस्याओं का पता लगाया जा सकता है। इस अध्ययन के लिए वैज्ञानिकों ने ऑप्टिकल कोहेरेंस टोमोग्राफी (ओसीटी) नामक एक इमेजिंग तकनीक का उपयोग करके जाना कि सीकेडी वाले रोगियों में स्वस्थ व्यक्तियों की तुलना में रेटिना और कोरॉइड काफी पतले थे।
ओसीटी उपकरण, आंखों की सभी क्लीनिक में मौजूद होते हैं, जिससे जांच करके ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि आपको आंखों के साथ-साथ कहीं किडनी की भी तो दिक्कत नहीं है।
आंखों और किडनी का संबंध
शोध की रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने बताया कि आंख और किडनी में कई समानताएं हैं। दोनों अंग अपने उचित कार्यों के लिए छोटी रक्त वाहिकाओं पर बहुत अधिक निर्भर होते हैं। आंखों में ये नाजुक वाहिकाएं रेटिना को पोषण देती हैं, जिससे हम स्पष्ट रूप से देख पाते हैं। वहीं गुर्दे में ये फिल्टरेशन प्रणाली बनाती हैं जो हमारे रक्त को साफ करती है।
सीकेडी जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं में जब ये रक्त वाहिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं तो इससे दृष्टि संबंधी समस्याएं भी विकसित होने लगती हैं।
निष्कर्ष में क्या पता चला?
अध्ययन के दौरान जब शोधकर्ताओं ने किडनी प्रत्यारोपण करा चुके लोगों की जांच की तो पाया गया कि ऐसे रोगियों की रेटिना में बड़ा बदलाव था। नई किडनी प्राप्त करने के केवल एक सप्ताह के भीतरआंखों की संरचना मोटी होनी शुरू हो गई, जिसमें अगले 12 महीनों में सुधार जारी रहा। इस आधार पर वैज्ञानिकों के कहना था कि ये उसी तरह से था जैसे आंखें ये बता रही हों कि प्रत्यारोपित किडनी कितनी स्वस्थ तरीके से काम कर रही है।
निष्कर्ष में वैज्ञानिकों ने बताया कि किडनी की सेहत को ठीक रखकर आंखों को भी स्वस्थ रखा जा सकता है।
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