माफिया अतीक अहमद व उसके भाई अशरफ की बेनामी संपत्तियों को लेकर एक और बड़ा खुलासा हुआ है। अशरफ के एक रिश्तेदार के कब्जे से 30 बेनामी संपत्तियों की रजिस्ट्री मिली है। वह जिस इंटर कॉलेज में तैनात है, वहीं पर रखी एक आलमारी में रजिस्ट्री संबंधी कागजात छिपाकर रखे गए थे। मामला सामने आने के बाद पुलिस की ओर से इन संपत्तियों की जांच के लिए डीएम को रिपोर्ट भेज दी गई है।
मो. तारिक पुत्र मुस्सन हटवा का रहने वाला है और माफिया खालिद अजीम उर्फ अशरफ का रिश्तेदार है। वह अशरफ के साले जैद का बेहद करीबी रिश्तेदार है। इसके साथ ही 50 करोड़ की वक्फ संपत्ति फर्जीवाड़ा कर बेचने के मामले में पूरामुफ्ती थाने में पिछले साल दर्ज मुकदमे का नामजद अभियुक्त भी है। वह एमआर शेरवानी इंटर कॉलेज सल्लाहपुर में बतौर दफ्तरी तैनात है। मुकदमा दर्ज होने के बाद वह फरार हो गया था।
सूत्रों के मुताबिक, विवेचना के दौरान पुलिस को पता चला कि वह कॉलेज परिसर में बने स्ट्रांग रूम में कुछ सामान छोड़ गया है। पुलिस ने वहां पहुंचकर कॉलेज प्रशासन की मौजूदगी में उसकी आलमारी खोली तो उसमें 30 बेनामी संपत्तियों की रजिस्ट्री के कागजात मिले। यह देखकर पुलिसकर्मी हैरान रह गए।
अशरफ के सगे साले के नाम की भी रजिस्ट्री
पुलिस को तारिक की आलमारी से जो रजिस्ट्री के कागजात मिले, उनमें से कुछ में तो जमीनें उसके ही नाम लिखवाई गईं। हालांकि कई अन्य जमीनें ऐसी हैं, जिनका बैनामा गुमनाम लोगों के नाम पर कराया गया। इसके अलावा एक जमीन का बैनामा अशरफ के सगे साले अब्दुल रहीम कैफी के नाम भी कराया गया। एक खास बात यह है कि पूरामुफ्ती में जिस 50 करोड़ मूल्य की वक्फ संपत्ति को बेचने के आरोप में अशरफ की पत्नी जैनब, साले जैद व सद्दाम, रिश्तेदार तारिक समेत अन्य पर मुकदमा दर्ज हुआ, बरामद रजिस्ट्री के पेपर में से कुछ उक्त संपत्ति के गाटा संख्या की जमीनों से भी संबंधित हैं।
टीम गठित कर कराई जाए जांच
सूत्रों का कहना है कि इस मामले में डीसीपी नगर की ओर जिलाधिकारी को रिपोर्ट भेज दी गई है। इसमें अनुरोध किया गया है कि प्रकरण में राजस्व टीम का गठन कर जमीनों के दस्तावेजों समेत अन्य बिंदुओं संबंधी विस्तृत जांच/सत्यापन कराया जाए। साथ ही इसकी रिपोर्ट पुलिस को उपलब्ध कराई जाए ताकि मामले में उचित कार्रवाई की जा सके।
12.42 करोड़ की बेनामी संपत्ति पर हो चुकी है कार्रवाई
यह बात पहले भी सामने आ चुकी है कि अतीक और उसका भाई अशरफ पुलिस-प्रशासन से बचने के लिए बेनामी संपत्तियां बनाते थे। इसमें वह संबंधित संपत्ति का बैनामा अपने नाम न कराकर गुमनाम लोगों के नाम कराते थे। साथ ही उन्हें यह भी कहते थे कि वह जब चाहेंगे, उसे वह संपत्ति उनके नाम लिखनी होगी। पूरामुफ्ती के गौसपुर कटहुला में पिछले साल 12.42 करोड़ की एक ऐसी ही संपत्ति कमिश्नरेट पुलिस ने कुर्क की थी।
इस संपत्ति को अतीक ने लालापुर के मानपुर गांव निवासी एक राजमिस्त्री हूबलाल के नाम पर खरीदा था। 2015 में जिस समय यह संपत्ति हूबलाल के नाम पर खरीदी गई, तब वह रोजाना महज 200 रुपये की दिहाड़ी पर काम करता था। उधर अशरफ के बारे में भी पुलिस को यह पता चला है कि अपनी बीवी जैनब के लिए उसने भी करोड़ों की बेनामी संपत्ति बनाई।