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340 करोड़ से अधिक लोग अल्जाइमर-स्ट्रोक जैसी न्यूरोलॉजिकल बीमारियों के शिकार, मौत के मामले भी बढ़े

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वैश्विक स्तर पर पिछले एक दशक में कई प्रकार की क्रोनिक बीमारियों के मामले काफी तेजी से बढ़ते हुए रिपोर्ट किए गए हैं। लगभग सभी उम्र के लोग इसका शिकार पाए जा रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, डायबिटीज-हार्ट की समस्याओं के साथ बच्चों-युवाओं में बढ़ती न्यूरोलॉजिकल बीमारियां गंभीर चिंता का कारण बनी हुई हैं। इससे न सिर्फ शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर होने का खतरा रहता है, साथ ही ये क्वालिटी ऑफ लाइफ को भी गंभीर रूप से प्रभावित करने वाली हो सकती है।

द लैंसेट न्यूरोलॉजी जर्नल में प्रकाशित हालिया अध्ययन में शोधकर्ताओं ने चिंता जताते हुए कहा है कि साल 2021 में दुनियाभर में 3.4 बिलियन (340 करोड़) से अधिक लोग कई प्रकार की न्यूरोलॉजिकल समस्याओं के साथ जी रहे थे। मिर्गी और डिमेंशिया जैसी बीमारियां विश्वस्तर पर खराब स्वास्थ्य और विकलांगता का प्रमुख कारण बनती जा रही हैं।

स्ट्रोक, अल्जाइमर रोग और मेनिनजाइटिस जैसी स्थितियों के शिकर रोगियों और इससे मृतकों की संख्या भी पिछले तीन दशकों में काफी बढ़ गई है।

क्या होती हैं न्यूरोलॉजिकल समस्याएं?

अध्ययन के डेटा को जानने से पहले ये जान लेना आवश्यक है कि आखिर न्यूरोलॉजिकल समस्याएं होती क्या हैं? और इससे सेहत पर किस प्रकार का असर होने का जोखिम रहता है?

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, हमारा मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी और तंत्रिकाएं मिलकर तंत्रिका तंत्र का निर्माण करती हैं। ये शरीर की सभी गतिविधियों को नियंत्रित करती हैं। जब आपके तंत्रिका तंत्र के किसी हिस्से में, किसी प्रकार की बीमारी या क्षति के कारण कुछ गड़बड़ी हो जाती है, तो इसके कई प्रकार के दुष्प्रभाव हो सकते हैं। न्यूरोलॉजिकल समस्याओं के कारण आपको चलने, बोलने, निगलने, सांस लेने या सीखने में परेशानी हो सकती है। ये आपकी याददाश्त, इंद्रियों या मनोदशा से संबंधित समस्याओं का भी कारण बन सकती हैं।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, न्यूरोलॉजिकल विकार कुछ स्थितियों में गंभीर भी माने जाते हैं, जिसके जानलेवा दुष्प्रभावों का भी जोखिम रहता है।

न्यूरोलॉजिकल विकारों के कारण मौत के मामले

लैंसट में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक आबादी में वृद्धि के साथ लोगों का प्रदूषण से अधिक संपर्क, मेटाबॉलिज्म और जीवनशैली से संबंधित बढ़ते जोखिम कारकों के चलते इस तरह की समस्याओं का खतरा बढ़ता जा रहा है। शोधकर्ताओं की टीम ने बताया, दुनियाभर में  पिछले 31 वर्षों में न्यूरोलॉजिकल स्थितियों के कारण होने वाली विकलांगता और समय से पहले मृत्यु के मामले, जिसे डिसेबिलिटी एडजेस्टेड लाइफ ईयर (DALYs) के रूप में भी जाना जाता है, इसमें करीब 18 प्रतिशत की बढ़ोतरी आई है।

अध्ययनकर्ताओं ने बताया, साल 2021 में जिन  शीर्ष 10 न्यूरोलॉजिकल स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम देखे गए उनमें स्ट्रोक, नियोनेटल एन्सेफैलोपैथी (ब्रेन इंजरी), माइग्रेन, अल्जाइमर रोग-डिमेंशिया, डायबिटिक न्यूरोपैथी (तंत्रिका क्षति), मेनिनजाइटिस, मिर्गी, समय से पहले जन्म के कारण बच्चों में न्यूरोलॉजिकल जटिलताएं, ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार और तंत्रिका तंत्र के कैंसर के मामले सबसे ज्यादा देखे जाते रहे हैं।

 

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