हृदय रोग, गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जिसका असर लगभग सभी उम्र और लिंग वालों पर देखा जा रहा है। आंकड़े बताते हैं, हर साल हृदय रोगों के कारण दुनियाभर में लाखों लोगों की मौत हो जाती है। पुरुष हो या महिला, दोनों में ये बीमारी हो सकती है, पर लिंग के आधार पर हृदय रोगों में एक बड़ा अंतर भी देखा जाता रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, वैसे तो महिलाओं में पुरुषों की तुलना में हृदय रोग और हार्ट अटैक का खतरा कम होता है पर जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है इसका जोखिम अधिक होता जाता है।
अध्ययनों में पाया गया है अमूमन 40 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं में हृदय रोगों के विकसित होने का जोखिम पुरुषों की तुलना में कम होता है, पर कुछ ही वर्षों में ये जोखिम अचानक से बढ़ सकता है। जैसे-जैसे आप 45-50 की उम्र की होती जाती हैं, आपमें हार्ट अटैक और अन्य गंभीर स्थितियों का खतरा अधिक हो सकता है। पर ऐसा क्यों है? आइए जानते हैं।
महिलाओं में हृदय रोगों की समस्या
पुरुषों-महिलाओं को हृदय रोग की स्थितियां किस प्रकार से प्रभावित करती हैं इसको जानने के लिए किए गए एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया पुरुषों की तुलना में महिलाओं को कम उम्र में दिल का दौरा पड़ने का जोखिम भी कम होता है। हालांकि जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है, विशेषतौर पर 50 से अधिक की उम्र वाली महिलाओं में हृदय रोगों की समस्या को बड़े जोखिम के तौर पर देखा जाता है।
इसके लिए मेनोपॉज को प्रमुख कारक माना जाता है, मेनोपॉज यानी मासिक धर्म बंद होने की उम्र। मेनोपॉज की स्थिति में शरीर में कई प्रकार से रसायनिक और हार्मोनल परिवर्तन होने लगते हैं जो महिलाओं में हृदय रोगों की गंभीर समस्याओं को बढ़ा देते हैं।
हृदय और रक्त वाहिकाओं की समस्या
इंटरनेशनल मेनोपॉज सोसाइटी (आईएमएस) ने एक शोध में महिलाओं में हृदय रोग (सीवीडी) जोखिम कारकों पर प्रकाश डाला। विशेषज्ञों की टीम ने बताया, मेनोपॉज के बाद होने वाले हार्मोनल बदलावों की स्थिति महिलाओं में कोरोनरी हार्ट डिजीज, स्ट्रोक और रक्त वाहिकाओं को प्रभावित करने वाली समस्या हो सकती है। पिछले कुछ वर्षों में हार्ट की समस्याओं में निदान और उपचार में आई प्रगति के बावजूद, सीवीडी महिलाओं में मृत्यु का प्रमुख वैश्विक कारण बना हुआ है।
क्यों बढ़ जाती है सीवीडी की समस्या?
स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, महिलाओं में सीवीडी के कई कारक हो सकते हैं। मेनोपॉज की स्थिति में जिन लोगों को उच्च रक्तचाप, मधुमेह और रक्त में लिपिड बढ़ने जैसी चिकित्सीय स्थितियां हो जाती हैं उनमें हृदय रोगों और हार्ट अटैक का खतरा और भी अधिक हो सकता है। इसके अलावा जीवनशैली से संबंधित कारक जैसे मोटापा, अस्वास्थ्यकर आहार, गतिहीन जीवनशैली, धूम्रपान और वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से भी हार्ट अटैक और हृदय स्वास्थ्य की समस्याएं हो सकती हैं।
ये उपाय हो सकते हैं मददगार
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, महिलाओं को हृदय रोगों से बचाव के लिए कुछ सावधानियों का गंभीरता से पालन करते रहना जरूरी हो जाता है। विशेषतौर पर 45 की उम्र के बाद कुछ आदतें आपमें गंभीर रोगों के खतरे से बचाने वाली हो सकती हैं।
फलों, सब्जियों, साबुत अनाज और लीन प्रोटीन से भरपूर संतुलित आहार खाने से कोलेस्ट्रॉल के स्तर और हृदय रोग के खतरे को कम करने में मदद मिल सकती है। आपको उन उपायों का निरंतर पालन करते रहना चाहिए जो वजन को कंट्रोल रखने में मददगार हों। धूम्रपान जैसी आदतें हृदय रोग का प्रमुख कारक मानी जाती हैं, इससे दूरी बनाना आवश्यक हो जाता है।
नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
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