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1.73 मिलियन लोगों के जीवन को बदल दिया इस कंपनी ने

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उदयपुर को अब जिंक सिटी के नाम से भी जाना जाने लगा है। यहां के आस-पास के निवासी जिंक सिटी को आधार बनाते हुए स्वंय के स्थायी और और आत्मनिर्भर भविष्य की ओर अग्रसर है।

इस कंपनी ने 1.73 मिलियन लोगों के जीवन को बदल दिया

उदयपुर को अब जिंक सिटी के नाम से भी जाना जाने लगा है। यहां के आस-पास के निवासी जिंक सिटी को आधार बनाते हुए स्वंय के स्थायी और और आत्मनिर्भर भविष्य की ओर अग्रसर है। सामाजिक जिम्मेदारी के प्रति हिंदुस्तान जिंक की प्रतिबद्धता ने 1.73 मिलियन लोगों के जीवन को बदल दिया है और हजारों लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान किए हैं।

उद्यमिता, प्रशिक्षण और जागरूकता से मार्ग सशक्त

कंपनी की प्रमुख और सबसे पुरानी खनन इकाइयों में से एक जावर माइंस के आस-पास के निवासी बद्रीलाल विश्व की सबसे पुरानी जिंक खदानों में से एक जावर माइंस से जुड़े। खनन के क्षेत्र में कार्य करने की जिज्ञासा के साथ, बद्री लाल को खनन अकादमी में इस क्षेत्र की संपूर्ण जानकारी और खनन परिदृश्य को संचालित करने और समझने के अपने सपने को साकार करने का अवसर मिला। एक श्रमिक से एक जंबो मशीन ऑपरेटर तक, बद्री लाल का मार्ग उन्हें प्रगति और परिवर्तन की यात्रा पर ले गया। राजसमंद जिले की निवासी डाली खटीक का आगे पढ़ाई करने का सपना उसकी शादी के बाद टूट गया था। लेकिन सखी स्व-सहायता समूह से जुडऩे के साथ, उन्हें शिक्षा के प्रति अपने समर्पण को फिर से जगाने और खुद का अधिक आत्मविश्वासी बनने का मौका मिला। इन्ही की तरह 27,000 से अधिक महिलाओं को उद्यमिता, प्रशिक्षण और आत्म-जागरूकता के मार्ग पर सशक्त बनाया गया है।

सूखे कुओं में जलस्तर बढक़र खेतों को सदाबहार बनाया

यह संयंत्र चित्तौडगढ़ के चंदेरिया निवासी प्रेरणा जयसवाल जैसे इंजीनियरों की आकांक्षाओं को भी पूरा करता है। ऊंची उड़ान कार्यक्रम से जुडक़र प्रेरणा ने सीटीएई उदयपुर में सिविल इंजीनियरिंग के लक्ष्य को पूरा किया। प्रेरणा की तरह, 260 से अधिक छात्र अब देश भर के शीर्ष इंजीनियरिंग कॉलेजों में नवाचार कर अपने सपनों को साकार कर रहे हैं। भीलवाड़ा में विश्व की सबसे बड़ी जिंक खदान स्थित है। जिले में जहां कपड़ा और ईटें मुख्य व्यापार का साधन हैं, पेयजल के अलावा उद्योग के लिए पानी मुख्य आवश्यकता है। हिन्दुस्तान जिंक द्वारा जिले भर में स्थापित भूजल पुनर्भरण संरचनाओं द्वारा संचालित था। इन संरचनाओं ने उसके सूखे कुएं में जलस्तर बनाकर उसके खेतों को सदाबहार बना दिया। 83 तालाबों में 300 से अधिक भूजल पुनर्भरण संरचनाएं वहां के निवासियों के लिए पेयजल और खेती के लिए जल की उपलब्ध्ता हेतु महत्वपूर्ण साबित हो रहे हैं।

आधुनिक खेती को और अधिक सीखने का मौका मिला

उदयपुर शहर के निकट देबारी में देश का सबसे पुराना जिंक जस्ता स्मेल्टर है। अपनी कृषि उपज के लिए प्रसिद्ध इसके आस-पास के निवासी पंरपराग रूप से खेती पर ही निर्भर है। दिव्या देवरा को शिक्षा संबल पूर्व-व्यावसायिक प्रशिक्षण के माध्यम से उन्हें इसके बारे में जानने का मौका मिला, जिससे उन्हें खेती, मुर्गी पालन और जैविक खेती की आधुनिक तकनीकों के बारे में और अधिक सीखने को मिला और इस प्रकार कृषि के प्रति उनका उत्साह बढ़ गया। आज दिव्या की तरह, 8000 से अधिक छात्र शिक्षा संबल के साथ एक सपने को हकीकत में बदलने की राह पर आगे बढ़े हैं।

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