विश्व के प्राचीन शहर वाराणसी को मंदिरों का शहर कहा जाता है. इसके अलावा यह उत्तर भारत का धार्मिक केन्द्र भी रहा है और यहां एक प्राचीन राम मंदिर भी है जिसमें अयोध्या के मंदिरो की झलक दिखती है.
विश्व के प्राचीन शहर वाराणसी को मंदिरों का शहर कहा जाता है.ये शहर वर्षों से भारत का, विशेषकर उत्तर भारत का सांस्कृतिक एवं धार्मिक केन्द्र रहा है. यहां अलग-अलग संस्कृति और सभ्यताओं को मानने वाले लोगों की विरासत को बड़े ही खूबसूरती के साथ संजोकर रखा गया है. इसी क्रम में वाराणसी के गुरु धाम पर एक ऐसा राम मंदिर भी है, जो लगभग 724 वर्ष पुराना है. और इसकी बनावट आकृति अयोध्या के तर्ज पर बने हुए कनक भवन व अन्य मंदिरों की तरह देखी जाती है. इसके अलावा यहां तकरीबन सैकड़ों वर्ष से चारों वेदों, शास्त्रों का अध्ययन भी गुरुकुल परंपरा के अंतर्गत कराया जाता है.
‘जगद्गुरु रामानंदाचार्य के शिष्य ने की थी स्थापना’
इन दिनों पूरे देश में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा की खूब चर्चा की जा रही है. इसके अलावा लाखों की संख्या में श्रद्धालु अयोध्या के श्री रामलला का दर्शन करने के लिए पहुंच रहे हैं. वही धर्मनगरी काशी में भी एक ऐसा राम मंदिर है, जो 724 वर्ष पुराना है. इसके अलावा यहां के परिसर में रामानंदी पद्धति की परंपरा का पालन करने के साथ-साथ शास्त्रों और वेदों का भी अध्ययन कराया जाता है. वाराणसी के इस प्राचीन राम मंदिर के बारे में डॉ कमल दास वेदांती महाराज ने बताया कि वाराणसी के गुरुधाम में स्थित यह प्राचीन श्री राम मंदिर 724 वर्ष पुराना है. जिसकी स्थापना जगद्गुरु श्री रामानंदाचार्य के शिष्य अनंतानंदाचार्य द्वारा की गई थी. सैकड़ों वर्षों से यहां पर रामानंदी पद्धति से पूजा पाठ और दैनिक दिनचर्या को पूर्ण किया जाता है.
‘अयोध्या की दिखती है झलक’
वेदांती महाराज ने यह भी बताया कि प्राचीन राम मंदिर की झलक अयोध्या के प्राचीन मंदिरों से भी मिलती है. अयोध्या के कनक भवन जहां प्रभु राम माता जानकी लक्ष्मण जी विराजे हैं. इसके अलावा वहां के अन्य मंदिरों की झलक भी वाराणसी के इस प्राचीन मंदिर में देखी जा सकती है. बाहर से इस मंदिर परिसर की झलक अयोध्या प्राचीन धरोहर से मिलती है. इसके अलावा यहां पर प्राचीन समय से शास्त्रों वेदों का अध्ययन भी गुरुकुल परंपरा के तहत छात्रों को कराया जाता है.