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आस्थावान हिंदुओं के अधिकार और हक के लिए पक्षकार बनना जरूरी, अदालत में वाद मित्र ने दी यह दलील

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ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यासजी के तहखाने को डीएम की सुपुर्दगी में दिए जाने के मामले में लार्ड विश्वेश्वर के वाद मित्र ने जिला अदालत में दलील दी कि आस्थावान हिंदुओं के अधिकार और हक के लिए पक्षकार बनना जरूरी है।

Gyanvapi Case it is necessary to become a party for rights and entitlements of faithful Hindus argued in court

ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यासजी के तहखाने को जिलाधिकारी की सुपुर्दगी में दिए जाने की मांग को लेकर दायर वाद में पक्षकार बनने के लिए लार्ड विश्वेश्वर के वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने सोमवार को जिला जज की अदालत में लंबी बहस की।

दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने आदेश के लिए 8 दिसंबर की तारीख नियत की है। उन्होंने अदालत में दलील दी कि वादी शैलेंद्र पाठक और उनके भाई जैनेंद्र ने आठ जुलाई 2016 को ही ज्ञानवापी परिसर का हक व अधिकार काशी विश्वनाथ मंदिर के उप कार्यपालक अधिकारी को दिए जाने का पंजीकृत डीड कर दिया है।

ऐसे में इन्हें वाद दाखिल करने का अधिकार ही नहीं है। अदालत में वर्ष 2019 में अंजुमन इंतजामिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड की आपत्ति के बाद आवेदन खारिज हो चुका है। उन्होंने झूठा व्यासजी परिवार के वादी पर झूठा शपथपत्र देकर वाद दाखिल किए जाने का आरोप लगाया और कहा कि इससे आपराधिक वाद बनता है।

पक्षकार बनने के लिए विजय शंकर रस्तोगी ने अदालत में कहा कि वादी के कार्य से प्राचीन मूर्ति स्वयंभू लार्ड विश्वेश्वर के हित एवं अधिकार, साधारण आस्थावान हिंदुओं के हक व अधिकार पर कुठाराघात करने की चेष्ठा है। जिसको बचाने के लिए स्वयंभू लार्ड विश्वेश्वर के वाद मित्र होने के कारण पक्षकार बनाया जाना आवश्यक है।

 

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