मार्वल सिनेमैटिक यूनिवर्स के दीवानों की दिवाली शुरू हो चुकी है। हॉलीवुड के नामी स्टूडियो मार्वल के रचे मार्वल सिनेमैटिक यूनिवर्स (एमसीयू) की 33वीं फिल्म ‘द मार्वल्स’ अपने अमेरिकी प्रीमियर के बाद हिंदुस्तान में भी रिलीज हो चुकी है। महिला एवेंजर कैप्टन मार्वल की पांच साल पहले आई सोलो फिल्म के बाद ये उसकी सीक्वल फिल्म के तौर पर पेश की गई है और इस बार महिला मंडली का ही इस फिल्म में पूरी तरह बोलबाला है। वेब सीरीज ‘वांडा विजन’ में दिखी मोनिका रैमब्यू साथ आ जुड़ी है, जो कैप्टन मार्वल को आंटी कहकर पुकारती है। और है साथ में वेब सीरीज ‘मिस मार्वल’ में दिखी कमाला खान जो कैप्टन मार्वल की बहुत बड़ी फैन है और उसे सामने पाकर किसी भी टीनएजर प्रशंसक की तरह खुशी से फूलकर बार बार कुप्पा हो जाती है।
फिल्म ‘द मार्वल्स’ की कहानी में इस बार बहुत सारा विज्ञान है। विज्ञान के ये तमाम सारे टोटके किताबी ज्ञान रखने वालों के लिए सही लगें, इसके लिए भारतीय मूल के वैज्ञानिक सलाहकार भी हैं। कमाला खान पाकिस्तानी मूल की है तो फिल्म में बार बार हिंदुस्तानी में बोले गए संवाद भी सुनने को मिलते हैं। समग्र रूप से देखा जाए तो ये फिल्म एक स्थापित सुपरहीरो और दो तैयार हो रहे सुपरहीरो की त्रिवेणी की कहानी है। कुछ कुछ मनमोहन देसाई की फिल्म ‘अमर अकबर एंथनी’ जैसी। तीनों को कहानी की खलनायक डार बेन से भिड़ना है। वह क्री समुदाय की शासक है और उसे कैप्टन मार्वल के उस कृत्य का बदला लेना है, जो उसने किया तो था एक समुदाय की भलाई के लिए लेकिन इसके चलते उनकी दुनिया तबाह हो गई। कहानी का इससे ज्यादा खुलासा फिल्म देखने का मजा करिकिरा कर सकता है लिहाजा बाकी फिल्म सिनेमाघर में देखकर ही समझना बेहतर होगा।
फिल्म की निर्देशक निया डीकोस्टा ने ‘द मार्वल्स’ की कहानी अपनी दो और सहलेखकों मेगन मैकडॉनल और एलिसा कारासिक के साथ मिलकर रची है। कहानी एमसीयू के नए अध्याय का खुलासा भी करती है और फिल्म में आने वाले एक पोस्ट क्रेडिट सीन के दो दृश्यों में एमसीयू के उस दौर की तरफ भी इशारा करती है जिसमें अब इस दुनिया पर किशोरवय सुपरहीरो के करिश्मे खूब दिखने हैं। ‘हॉक आई’ और ‘एंटमैन’ की दुनिया में दिखे टीनएजर भी आगे चलकर एमसीयू की फिल्मों का अहम हिस्सा बनने वाले हैं। निर्माता केविन फाइगी कहते रहे हैं कि वह एमसीयू को फिल्मों की ऐसी सीरीज नहीं बनाना चाहते कि दर्शकों को हर बार अपना होमवर्क करके फिल्म देखना आना पड़े। इसी के चलते फिल्म ‘द मार्वल्स’ बनाने वालों ने कहानी पर अतीत का बोझ ज्यादा हावी नहीं होने दिया है। फिल्म देखते समय दर्शकों को बहुत ज्यादा याद नहीं पड़ता कि एमसीयू की कहानियों में पहले क्या हो चुका है।
भारतीय फिल्म दर्शकों की संवेदनाओं जैसी ही है फिल्म ‘द मार्वल्स’। फिल्म में खूब सारा एक्शन है और खूब सारा ड्रामा भी। एक गाना भी है जब मार्वल्स की ये तिकड़ी एक ऐसे स्थान पर पहुंचती है जहां सारी बातचीत गाकर ही होती है। हो सकता है इस मौके पर आपको फिल्म ‘हीर रांझा’ याद आ जाए। हॉलीवुड की फिल्मों पर हिंदुस्तानी सिनेमा का असर बहुत पहले से होता रहा है। कभी हिंदी फिल्में विदेश जाती थीं तो उनके गाने निकाल दिए जाते थे। अब हॉलीवुड फिल्में ही मुंबइया फिल्मों जैसी मसाला फिल्में हो चली हैं। सिनेमा की सॉफ्ट पॉवर इसे ही कहते हैं।
फिल्म ‘द मार्वल्स’ की तकनीकी टीम ने अपनी सारी जिम्मेदारियां अच्छे से निभा ली हैं। फिल्म में कैप्टन मार्वल और मिस मार्वल के बीच के दृश्य काफी रोचक हैं। तमाम दृश्यों में मिस मार्वल का जिक्र भर चलते ही फूलकर कुप्पा हो जाना उन दर्शकों से सीधे नाता जोड़ता है जो इन सुपरहीरोज के फैन बीते दो दशकों से रहे हैं। मोनिका के साथ इन दोनों का कनेक्शन उस घटना से जुड़ता है जिसमें एक खगोलीय घटना के चलते इन तीनों के स्थान अपनी अपनी ऊर्जा इस्तेमाल करते ही बदलने लगते हैं। इस अलौकिक घटना पर तीनों को काबू पाना है। तीनों को इस अप्रत्याशित असर को नियंत्रित करके स्थान परिवर्तन को अपने हिसाब से करना है और फिल्म के ये सारे दृश्य दर्शकों का खूब मनोरंजन भी करते हैं।
ब्री लार्सन को कैप्टन मार्वल बनाने के महज कुछ साल बाद ही आई फिल्म में एक टीन एजर बच्चे की आंटी बना देना एमसीयू के निर्माता केविन फाइगी की सोची समझी चाल है। हालांकि, वह अब भी उतनी ही खूबसूरत दिखती हैं जितनी कि वह पांच साल पहले रिलीज हुई फिल्म ‘कैप्टन मार्वल’ में थीं और अब भी वह अंतरिक्ष में बिना स्पेससूट के और वह भी एक बिल्ली समेत निकल जाती हैं, तो लोगों को अचरज नहीं होता है। इस बिल्ली का किरदार भी फिल्म ‘द मार्वल्स’ में अनोखा है। उसका भी अपना एक अतीत है और उसका अंतरिक्ष में घूम रहे एक स्पेस स्टेशन (सैबर) पर पहुंचना भी एमसीयू की कहानियों को आगे ‘गार्डियन्स ऑफ गैलेक्सी’ के सितारों की कमी को पूरा कर सकता है।
संपूर्ण पारिवारिक मनोरंजक फिल्म
फिल्म ‘द मार्वल्स’ एमसीयू के प्रशंसकों के लिए एक अच्छी फिल्म है। इस दुनिया की बीती कुछ फिल्मों से ये बेहतर भी है। इस बार इसे बनाने वालों ने इंसानी रिश्तों के ताने बाने को थोड़ा मजबूती से बुना है और कमाला खान के माता-पिता और भाई वाले दृश्यों में भी हास्य के साथ साथ थोड़ा अपनत्व छिड़का है। मोहन कपूर को एमसीयू की फिल्मों का हिस्सा बनते देखना हिंदी फिल्म दर्शकों के लिए सुखद एहसास है। फिल्म मे डार बेन के किरदार में जाव एस्टन का काम काफी प्रभावशाली है और दक्षिण कोरिया के लोकप्रिय सितारे पार्क सियो जून का जो रिश्ता कैप्टन मार्वल के साथ बना है, उसके अतीत में जाना भी आने वाली एमसीयू फिल्मों का कहीं न कहीं कोई रोचक अध्याय बन सकता है। पारिवारिक मनोरंजन के लिए ये फिल्म इस हफ्ते बिल्कुल मुफीद है।