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इन पांच पार्टियों ने बढ़ाई भाजपा-कांग्रेस की टेंशन, 50 से ज्यादा सीटों पर इस तरह बिगड़ सकता है गणित

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2018 के विधानसभा चुनाव में 140 सीटों पर लड़ने वाली आम आदमी पार्टी अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी। लेकिन राष्ट्रीय दल बनने के बाद आप पूरी जोश के साथ मैदान में उतर रही है। इंडिया गठबंधन का हिस्सा होने के कारण पार्टी कैसे चुनाव लड़ेगी, यह अभी पूरी तरह से साफ नहीं है…

राजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर अगले कुछ दिनों में आचार संहिता लागू हो सकती है। ऐसे में भाजपा और कांग्रेस पूरी जोर शोर के साथ मैदान में डटे हुए हैं। पिछले 30 सालों में कभी भाजपा, तो कभी कांग्रेस राज्य की सत्ता पर काबिज हो रहे हैं। लेकिन 2023 के विधानसभा चुनावों में क्षेत्रीय दल भी दमदारी के साथ मैदान में उतर रहे है। यह पांच दलों का यह तीसरा मोर्चा राज्य में 50 से ज्यादा सीटों पर गणित बिगाड़ सकता है। इस चुनाव आम आदमी पार्टी, बीएसपी, आरएलपी, भारतीय आदिवासी पार्टी (बीटीपी), माकपा और एमआईएमआईएम जैसी पार्टियों के नेता तो 100 से ज्यादा सीटों पर टक्कर बता रहे हैं। अगर इन पार्टियों ने चुनाव दमदारी से उतरी तो सरकार बनाने में यह किंगमेकर साबित हो सकती है।

आप 200 सीटों पर मैदान में, गंगानगर से खाता खुलने की उम्मीद

2018 के विधानसभा चुनाव में 140 सीटों पर लड़ने वाली आम आदमी पार्टी अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी। लेकिन राष्ट्रीय दल बनने के बाद आप पूरी जोश के साथ मैदान में उतर रही है। इंडिया गठबंधन का हिस्सा होने के कारण पार्टी कैसे चुनाव लड़ेगी, यह अभी पूरी तरह से साफ नहीं है। पार्टी पदाधिकारियों का कहना है कि उनकी सभी 200 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी है। खासतौर से गंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, चूरू, झुंझूनु और अलवर जिलों पर पार्टी खुद को मजबूत मान रही है। कार्यकर्ता पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल जो गारंटी देकर गए हैं, उसे घर तक पहुंचा रहे हैं। फिलहाल राजस्थान में गठबंधन जैसी कोई गाइडलाइन नहीं है। अगर शीर्ष नेतृत्व ऐसा कोई निर्णय लेता है, तो अलग बात है। सभी सीटों पर टिकट तय हो चुके हैं बस घोषणा करनी बाकी है। गंगानगर से हमारा खाता खुलेगा।

 

ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम भी इन सीटों से मैदान में

असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम भी पहली बार चुनाव में उतरने की तैयारी में है। ओवैसी राजस्थान की मुस्लिम सीटों पर प्रभाव डालना चाहते हैं। राजस्थान में ऐसी 40 मुस्लिम बाहुल्य सीटें हैं, जहां औवेसी अपने उम्मीदवार उतारने की तैयारी में हैं। प्रदेश के 18 जिलों में करीब 40 ऐसी सीटें हैं, जहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या चुनाव हार-जीत में अहम रोल निभाती है। जयपुर, अजमेर, जैसलमेर, बाड़मेर, कोटा, सीकर, झुंझुनूं, चुरू, अलवर, भरतपुर, नागौर जिलों में स्थित सीटों पर हर चुनाव में 16 के आस-पास मुस्लिम प्रत्याशी जीतते रहे हैं। इन जिलों में शामिल करीब 24 सीटों पर मुस्लिम वोटर का समर्थन और नाराजगी चुनाव परिणाम प्रभावित कर देते हैं।

 

राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी 55 सीटों पर मजबूत

राजस्थान में इस बार आरएलपी पार्टी मजबूती के साथ मैदान में उतर रही है। पिछले चुनाव में भाजपा को समर्थन देने वाली आरएलपी ने इस बार अकेले मैदान में है। 2018 में आरएलपी ने 58 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से तीन जीती थी। वहीं, 7 सीटों पर पार्टी के प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे थे। मगर इस बार पार्टी अकेले मैदान में उतरेगी तो 200 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। पार्टी के नेताओं का मानना है कि लगभग 55 सीटें ऐसी हैं, जहां आरएलपी की मजबूत तैयारी है। इनमें खासतौर से पश्चिमी राजस्थान की सीटें हैं। बाड़मेर, जोधपुर, नागौर, पाली, बीकानेर, चुरू, हनुमानगढ़, सीकर और जयपुर ग्रामीण जिले शामिल हैं। वहीं कुछ सीटें उदयपुर, चित्तौड़गढ़ और भीलवाड़ा की भी हैं। आरएलपी का फोकस खास तौर पर जाट बाहुल्य सीटों पर है।

आदिवासी सीटों का गणित बिगाड़ सकती है भारतीय आदिवासी पार्टी

भारतीय ट्राइबल पार्टी से टूटकर बनी भारतीय आदिवासी पार्टी यानी इस बार राजस्थान के आदिवासी इलाकों में गहरा प्रभाव डाल सकती है। पिछले चुनाव में बीटीपी 11 सीटों पर लड़ी थी, जिसमें से चौरासी और सागवाड़ा दो सीटों पर जीत हासिल की थी। पार्टी का दावा है कि वे इस बार 17 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। इनमें उदयपुर ग्रामीण, गोगुंदा, खेरवाड़ा, झाड़ोल, सलूंबर, डूंगरपुर, आसपुर, चौरासी, घाटोल, सागवाड़ा, बागीदौरा, बांसवाड़ा, गढ़ी, कुशलगढ़, प्रतापगढ़, धरियावद, पिंडवाड़ा की आदिवासी सीटों पर पार्टी चुनाव लड़ेगी। इनमें से 10 से 12 सीटों पर चुनाव जीत सकती है।

बसपा 60 सीटों के साथ मैदान में उतरने के लिए है तैयार

बहुजन समाज पार्टी अब तक सबसे ज्यादा 6 सीटें जीती थीं। मगर उसके सभी 6 विधायक चुनाव जीतते ही कांग्रेस में शामिल हो गए थे। पार्टी के राजस्थान पदाधिकारी मानते हैं कि इस बार बीएसपी किंगमेकर बनकर उभरेगी। पार्टी ने अब तक छह सीटों पर प्रत्याशी भी घोषित कर दिए हैं। इनमें नगर, नदबई, धौलपुर, तिजारा, करौली और खेतड़ी सीटें शामिल हैं। बीएसपी 60 सीटों पर विशेष तैयारी है। इसमें भरतपुर, धौलपुर, करौली, अलवर, सवाई मोधापुर, दौसा, झुंझुनू, चूरू, हनुमानगढ़ जिलों की सीटें हैं।

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