संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ( यूनिसेफ) की ओर से शुक्रवार को जारी रिपोर्ट बताया गया कि बाढ़ और तूफान की वजह से 95 प्रतिशत बच्चों को विस्थापित होना पड़ा। रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्चों पर विस्थापन का संकट अभी थमने वाला नहीं है।
जलवायु परिवर्तन के कारण दुनियाभर में करोड़ों बच्चों को अपना आशियाना छोड़ना पड़ा है। प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, सूखा, तूफान व जंगलों की आग के कारण करीब 44 देशों में 2016 व 2021 के बीच 4.3 करोड़ से अधिक बच्चे विस्थापित हुए हैं। वहीं, एक दिन में विस्थापित होने वाले बच्चों की संख्या लगभग 20,000 है।संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ( यूनिसेफ) की ओर से शुक्रवार को जारी रिपोर्ट बताया गया कि बाढ़ और तूफान की वजह से 95 प्रतिशत बच्चों को विस्थापित होना पड़ा। रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्चों पर विस्थापन का संकट अभी थमने वाला नहीं है। बाढ़ की वजह से आने वाले 30 वर्षों में 9.6 करोड़ से अधिक बच्चों और युवाओं पर इसका संकट आ सकता है। जबकि, चक्रवाती तूफान की वजह से 1.3 करोड़ बच्चे प्रभावित हो सकते हैं।
सता रही घर वापसी की चिंता
यूनिसेफ में प्रवासन विशेषज्ञ और रिपोर्ट की लेखकों में से एक लॉरा हैली ने कहा, सच्चाई यह है कि लगातार जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभाव के कारण भविष्य में सबसे ज्यादा बच्चों पर आपदा की मार पड़ेगी। उन्हें इस बात की चिंता सताएगी कि क्या वो कभी वापस घर लौट पाएंगे।
अपने ही देशों में 13 लाख बच्चे विस्थापित
सूखे के कारण 13 लाख से अधिक बच्चे अपने ही देशों में विस्थापित हुए। वहीं, लगभग 8,10,000 बच्चे जंगल की आग के कारण विस्थापित हुए। मुख्य रूप से कनाडा, इस्राइल और अमेरिका सबसे ज्यादा प्रभावित हुए। चीन और फिलीपीन में सबसे ज्यादा बच्चे आंतरिक रूप से विस्थापित हुए हैं। जबकि, सोमालिया और दक्षिण सूडान में बच्चे बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं।
प्रभावित बच्चों ने सुनाई आपबीती
रिपोर्ट में प्रभावित बच्चों से बातचीत के कुछ अंश प्रकाशित किए गए हैं। बाढ़ से प्रभावित सूडान के एक बच्चे खालिद ने कहा, मेरी आंखों के सामने पूरा गांव डूब गया था। वहीं, 2017 की घटना को याद करते हुए दो बहनों माइया व मिया ने बताया कि कैलिफोर्निया में अपने ट्रेलर (डिब्बेदार गाड़ी) में आग लगते हुए देखा है।