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रामलिंग स्वामी की 200वीं जयंती, पीएम ने कहा- उनके आदर्श के प्रति हम सभी प्रतिबद्ध

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वल्लालर की सेवा और करुणा की भावना याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, वह मनुष्यों के प्रति करुणा रखने वाली जीवन शैली में विश्वास करते थे। उनके सबसे महत्वपूर्ण योगदानों में से एक भूख मिटाने के प्रति उनकी दृढ़ प्रतिबद्धता थी। उनका मानना था कि भूखे लोगों के साथ भोजन साझा करना दयालुता के श्रेष्ठतम कार्यों में से एक है।

Ramalinga Swami 200th birth anniversary pm modi says Vallalar is one of our most respected saints

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार रामलिंग स्वामी की 200वीं जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संबोधित किया। पीएम मोदी ने कहा, रामलिंग स्वामी की 200वीं जयंती के अवसर पर इस कार्यक्रम को संबोधित करना सम्मान की बात है। यह और भी खास है कि यह कार्यक्रम वडालुर में आयोजित किया जा रहा है, जो वल्लालर से निकटता से जुड़ा हुआ स्थान है। वल्लालर हमारे सबसे सम्मानित संतों में से एक हैं। वह 19वीं सदी में इस धरती पर आये, लेकिन उनकी आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करती है। उनके विचारों और आदर्शों पर कई संगठन काम कर रहे हैं।

वल्लालर की सेवा और करुणा की भावना याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, वह मनुष्यों के प्रति करुणा रखने वाली जीवन शैली में विश्वास करते थे। उनके सबसे महत्वपूर्ण योगदानों में से एक भूख मिटाने के प्रति उनकी दृढ़ प्रतिबद्धता थी। एक इंसान के भूखे पेट सो जाने से ज्यादा दुख उन्हें किसी और चीज से नहीं हुआ। उनका मानना था कि भूखे लोगों के साथ भोजन साझा करना दयालुता के श्रेष्ठतम कार्यों में से एक है। उन्होंने कहा, रामलिंग स्वामी के इस आदर्श के प्रति हम सभी प्रतिबद्ध हैं। कोविड-19 महामारी में 80 करोड़ भारतीयों को मुफ्त राशन दिया गया था। परीक्षा की घड़ी में यह एक बड़ी राहत थी।

शिक्षा की शक्ति में विश्वास करते थे वल्लालर
मोदी ने आगे कहा, वल्लालर विद्वत्ता और शिक्षा की शक्ति में विश्वास करते थे। एक गुरु के रूप में उनका दरवाजा हमेशा खुला रहता था। उन्होंने अनगिनत लोगों का मार्गदर्शन किया। यह भी महत्वपूर्ण है कि उन्होंने आधुनिक पाठ्यक्रम को महत्व दिया। वह चाहते थे कि युवा तमिल, संस्कृत और अंग्रेजी में पारंगत हों। पिछले नौ वर्षों में भारत के शिक्षा बुनियादी ढांचे में एक बड़ा बदलाव देखा गया है। तीन दशकों से अधिक लंबे समय के बाद, भारत को एक राष्ट्रीय शिक्षा नीति मिली है। यह नीति संपूर्ण शैक्षिक परिदृश्य को बदल रही है। अब ध्यान नवाचार, अनुसंधान और विकास पर केंद्रित हो गया है।

पीएम ने कहा, पिछले नौ वर्षों में स्थापित विश्वविद्यालयों, इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों की संख्या रिकॉर्ड ऊंचाई पर है। अब युवा अपनी स्थानीय भाषा में पढ़ाई करके डॉक्टर और इंजीनियर बन सकते हैं। इससे युवाओं के लिए अनेक अवसर खुले हैं।

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