केंद्रीय जांच एजेंसियों ने जिन चुनावों के पहले विपक्षी दलों के नेताओं पर कार्रवाई की है, उनमें से कुछ चुनावों में भाजपा को सफलता तो कुछ में विफलता मिली है।
आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार कर लिया है। अब उन्हें भी मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन की तरह लंबे समय के लिए जेल में रहना पड़ सकता है। भाजपा इसे शराब घोटाले की गलत करतूत का स्वाभाविक परिणाम बता रही है तो वहीं आम आदमी पार्टी सहित तमाम विपक्षी दलों ने इसे विपक्षी दलों पर गलत नीयत से किया गया हमला करार दिया है। हालांकि, भाजपा विपक्षी दलों पर पड़े इस तरह के छापों को हमेशा न्यायिक और कानूनी कार्यवाही का स्वाभाविक अंग बताती रही है। उसका यह भी कहना रहा है कि इनके पीछे उसका कोई हाथ नहीं रहा है, लेकिन विपक्षी दल इसे सरकार के इशारे पर चुनावों के पहले विपक्ष को कमजोर करने की साजिश करार देते रहे हैं। इन आरोप-प्रत्यारोपों के बीच एक तथ्य यह भी है कि केंद्रीय जांच एजेंसियों ने जिन चुनावों के पहले विपक्षी दलों के नेताओं पर कार्रवाई की है, उनमें से कुछ चुनावों में भाजपा को सफलता तो कुछ में विफलता मिली है।
इसी प्रकार उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के पहले समाजवादी पार्टी के नेतृत्व से जुड़े लोगों पर कड़ी कार्रवाई हुई। कथित तौर पर समाजवादी पार्टी के कई शीर्ष नेताओं के करीबियों के यहां छापेमारी हुई, और करोड़ों रुपये की नकदी और महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किए गए। कहा गया था कि यह अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के चुनावी धन स्रोतों को बर्बाद करने की कोशिश है।
इसी प्रकार उत्तराखंड, गुजरात, असम और महाराष्ट्र के अनेक विपक्षी दलों के नेताओं पर प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग की टीमों ने छापे मारे, और भाजपा को इसका लाभ मिला। हालांकि, प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग के ये छापे भाजपा की जीत की गारंटी नहीं रहे हैं। अनेक राज्य ऐसे हैं जहां एजेंसियों की कड़ी कार्रवाई के बाद भी विपक्षी दल वहां जीतने में सफल साबित हुए हैं।
इसका सबसे बड़ा उदाहरण कर्नाटक विधानसभा के चुनाव रहे हैं। यहां चुनाव के पहले कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार और उनसे जुड़े लोगों पर खूब छापेमारी हुई, लेकिन इसके बाद भी कांग्रेस वहां पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में सफल रही। इसी प्रकार हिमाचल प्रदेश में चुनाव के पहले भी कांग्रेस के कई नेताओं पर कार्रवाई हुई थी, लेकिन इसके बाद भी कांग्रेस यहां जीत हासिल करने में सफल रही।
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के पहले भी तृणमूल कांग्रेस के नेताओं पर खूब छापेमारी हुई थी। कई जगहों से भारी मात्रा में नकदी भी बरामद हुई थी। हालांकि इसके बाद भी तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल में सरकार बनाने में सफल रही। हालांकि, पूरे विपक्ष के एकजुट हो जाने के बाद भी भाजपा पिछले चुनाव के मुकाबले यहां बड़ी बढ़त हासिल करने में कामयाब रही। इसी तरह 2015 में बिहार और 2020 में दिल्ली में भी भाजपा असफल रही।
2024 में क्या होगा?
राजनीतिक विश्लेषक धीरेंद्र कुमार ने अमर उजाला से कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सबसे बड़ी ताकत यही रही है कि लंबे राजनीतिक जीवन के बाद भी आज तक उन पर भ्र्ष्टाचार का कोई आरोप चिपका नहीं है। विपक्ष के तमाम आरोपों के बाद भी आज तक उनकी छवि बेदाग बनी हुई है और लोगों को उन पर भरोसा है।
वहीं, भाजपा के सत्ता में आने के दशकों पहले से विपक्ष के कई दलों पर भ्र्ष्टाचार के गम्भीर आरोप लगते रहे हैं। इन मामलों में कई दलों के शीर्ष नेताओं को अदालती कार्यवाही का सामना करना पड़ा है तो कुछ को जेल भी जाना पड़ा है।
यही कारण है कि जनता मोदी के दावों पर भरोसा करती है। विपक्ष के आरोपों के बाद भी मोदी ने स्वयं कहा है कि भृष्टाचारी नेताओं पर कार्रवाई जारी रहेगी। ऐसे में संजय सिंह प्रकरण के बाद भी यदि इस तरह की कार्रवाई जारी रहे तो इस पर कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भाजपा को 2024 में भी इसका लाभ मिल सकता है। लेकिन दूसरी तरफ़ कई ऐसे नेता जिन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं और एजेंसियाँ जाँच कर रहीं हैं लेकिन भाजपा में शामिल होने पर उनके खिलाफ जिस तरह नरमी बरती जाती है उससे विपक्ष के आरोप को भी बल मिलता है।