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ग्वालियर महाराज को कैसे मिले सूबे का ताज, न नई पार्टी में वह सम्मान, न लौटने की राह आसान

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राहुल और प्रियंका गांधी की ही तरह ज्योतिरादित्य सिंधिया भी अपनी पुरानी पार्टी और नेताओं के बार में कुछ भी कहने से बचते हैं। वह यह कर अपनी लक्ष्मण रेखा खींच लेते हैं कि ‘मेरा मुंह न खुलवाओ’। हालांकि कमलनाथ और दिग्विजय सिंह कभी कभार सिंधिया पर टिप्पणी कर ही देते हैं…

Madhya Pradesh: How did jyotiraditya scindia get the crown of the state

मध्यप्रदेश की राजनीति में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बाद जो नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है वह है ज्योतिरादित्य सिंधिया का। भाजपा खेमे की नज़र में अब भी वहां पहले नंबर पर शिवराज ही आते हैं, जबकि दूसरे नंबर पर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर। तब कहीं जाकर कोई ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम लेता है। इस मामले में सिंधिया को खुशकिस्मत कह सकते हैं कि वह कम से कम भावी भाजपाई सीएम की रेस में कैलाश विजयवर्गीय से ऊपर हैं।

लेकिन कांग्रेस के कुछ नेता सिंधिया को लेकर चुटकी लेते हैं और ग्वालियर के महाराज को पहले नंबर पर रखते हैं। खास बात यह है कि सिंधिया बेशक कांग्रेस छोड़ गए हों, लेकिन उनके खिलाफ राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी सीधे तौर पर कभी कोई नकारात्मक टिप्पणी नहीं करते हैं।

राहुल और प्रियंका गांधी की ही तरह ज्योतिरादित्य सिंधिया भी अपनी पुरानी पार्टी और नेताओं के बार में कुछ भी कहने से बचते हैं। वह यह कर अपनी लक्ष्मण रेखा खींच लेते हैं कि ‘मेरा मुंह न खुलवाओ’। हालांकि कमलनाथ और दिग्विजय सिंह कभी कभार सिंधिया पर टिप्पणी कर ही देते हैं। भाजपा और कांग्रेस में आज भी कई नेता ऐसे हैं जो मानते हैं कि सिंधिया को भाजपा के रंग में ढलने में दिक्कत हो रही है। वह देर सबेर पुरानी पार्टी की तरफ लौट सकते हैं। यह भले ही सिंधिया और राहुल, प्रियंका की राजनीतिक मर्यादा हो, लेकिन एक दूसरे पर राजनीतिक वार न करने के पीछे दोनों दलों के नेता इसी तरह के तर्क तक दे देते हैं। संसद में भी महिला आरक्षण पर बहस के दौरान सिंधिया ने सोनिया गांधी का बेहद शालीनता के साथ अभिवादन भी किया था।

दिग्विजय का तंज और सिंधिया की उलझन

मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का एक बयान सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। दिग्विजय ने कहा कि सिंधिया कांग्रेस में थे तो उन्हें सम्मान मिलता था, महाराज थे। भाजपा में आ गए तो भाईसाहब हो गए। दिग्विजय का यह बयान सिंधिया की दुखती रग को छेड़ने वाला है। इस बयान पर भाजपा के कुछ नेता सिर्फ मुस्करा देते हैं। दरअसल भाजपा की संस्थापकों में एक स्व. राजमाता विजयाराजे सिंधिया के पोते और ग्वालियर के महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया को अभी भी भाजपा के नेता पूरी तरह स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। ग्वालियर में सिंधिया के साथ कभी साये की तरह रहने वाले एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर अपनी राय दी। उनका कहना था कि अगर भाजपा में पूरा सम्मान मिल जाता, तो सिंधिया को मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनने से कोई नहीं रोक सकता। इतना ही नहीं प्रदेश में फिर से भाजपा सरकार बनने की राह और आसान हो जाती।

क्या भाजपा के लिए सिंधिया बन रहे हैं ‘बोझ’?

कांग्रेस के कुछ नेता सिंधिया के बारे में कुछ ऐसा ही प्रचारित कर रहे हैं। चुनाव प्रत्याशियों को लेकर भाजपा की कुल 79 उम्मीदवारों की सूची आई है। इन सूचियों में सिंधिया समर्थकों की संख्या सबसे पहले गिनी गई। मध्यप्रदेश के एक कांग्रेसी नेता और बड़े वकील कहते हैं कि देख लीजिए, सिंधिया के समर्थकों को भाजपा टिकट न दे तो भी उसके लिए बुरा और दे दे तो भी बुरा। आखिर अपने पुराने कार्यकर्ताओं को कैसे मनाएंगे? वह कहते हैं कि जमीनी हकीकत देखिएगा तो सिंधिया समर्थकों की अपने क्षेत्र में स्थिति बहुत खराब है। वह कहते हैं कि यह तो किसी भी राजनीतिक पार्टी के लिए बोझ की ही तरह हुआ न। जहां उसे अपने को मनाना पड़ता है और बाहर से आए नेताओं को संतुष्ट करना पड़े। गोविंद सिंह जैसे कांग्रेसी नेता भी कुछ ऐसा ही मानते हैं।

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