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कपड़ों से नदी में पहुंच रहा भारी मात्रा में माइक्रोप्लास्टिक, वैज्ञानिकों का खुलासा

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साइंस ऑफ द टोटल एनवायरमेंट में प्रकाशित अध्ययन में एक प्रमुख नदी प्रणाली के आसपास पानी, तलछट और हवा में माइक्रोप्लास्टिक का पहला विश्लेषण किया गया है।

कपड़ों के रेशे गंगा नदी में माइक्रोप्लास्टिक का प्रमुख स्रोत हैं, जो वायुमंडलीय जमाव, अपशिष्ट जल और कपड़े धोने जैसे प्रत्यक्ष कारणों से आते हैं। एक अध्ययन से पता चला है कि हवा के माध्यम से फैल रहे भारी मात्रा में माइक्रोप्लास्टिक के कण नदी के तलछट में फंस रहे हैं।साइंस ऑफ द टोटल एनवायरमेंट में प्रकाशित अध्ययन में एक प्रमुख नदी प्रणाली के आसपास पानी, तलछट और हवा में माइक्रोप्लास्टिक का पहला विश्लेषण किया गया है। यह अध्ययन नेशनल ज्योग्राफिक सोसाइटी लंदन के वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम की ओर से एकत्र किए गए नमूनों का उपयोग करके किया गया है, जिसमें भारतीय वैज्ञानिक भी शामिल थे। गंगा नदी की लंबाई के साथ किए गए शोध में वायुमंडल से प्रति वर्ग मीटर, प्रति दिन औसतन 41 माइक्रोप्लास्टिक कण पाए गए। इसके अलावा नदी तल से तलछट में प्रति किलो औसतन 57 कण और साथ ही प्रत्येक 20 लीटर पानी में एक कण पाया गया।

समुद्री प्रदूषण के लिए भी जिम्मेदार
अध्ययन के अनुसार, पानी में अघुलनशील माइक्रोप्लास्टिक नदियों के साथ समुद्री प्रदूषण के एक प्रमुख स्रोत के रूप में माना जाता है। नदी के किनारे कई शहरों से अनुपचारित सीवेज, अपशिष्ट और गैर-अपघटनीय प्लास्टिक में लिपटे धार्मिक चढ़ावा भी नदी में प्रदूषकों का ढेर लगाते हैं। ये धीरे-धीरे सूक्ष्म कणों में टूट जाते हैं, जिसे नदी समुद्र में पहुंचाती है।

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