केंद्रीय खुफिया एजेंसियों से जुड़े सूत्रों के मुताबिक सितंबर के पहले सप्ताह में वाशिंगटन में दुनिया के 14 मुल्कों से बुलाए गए 40 खालिस्तान चरमपंथी और आतंकियों की बैठक हुई थी।
खालिस्तान को लेकर जिस बड़ी बैठक को अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन में आयोजित किया गया था उसमें कई तरह की खतरनाक साजिशों का खुलासा हुआ है। वाशिंगटन में आयोजित इस टॉप सीक्रेट मीटिंग में खालिस्तानी आतंकियों और चरमपंथियों ने भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष रहे बृजभूषण शरण सिंह का नाम लेकर न सिर्फ अपने एजेंडे को जोड़कर उससे आगे बढ़ाने की साजिश को अंजाम दिया। बल्कि पूर्व आईपीएस अधिकारी और भारतीय हॉकी संघ के अध्यक्ष रहे केपीएस गिल का जिक्र कर सिख युवाओं और कम्युनिटी को अपने साथ जोड़ने की बड़ी साजिश रची गई।
खुफिया एजेंसी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि इस बैठक के दौरान खालिस्तानी चरमपंथियों और कुछ आतंकियों ने मिलकर बाकायदा इस बात का प्रोपेगेंडा फैलाना शुरू किया कि केंद्र सरकार ने पंजाब के खिलाड़ियों खास तौर से कुश्ती और हॉकी में पीछे करने के लिए हिंदूवादी नेताओं को आगे कर दिया है। इस वजह से अपने पुश्तैनी खेलों में हमारे खिलाड़ी न सिर्फ पिछड़ते रहे बल्कि उनको पूरी तरह से खत्म करने की साजिश भी की गई। इस बैठक के दौरान दुनिया के 14 अलग-अलग देश से पहुंचे खालिस्तानी चरमपंथियों ने केंद्र सरकार को खिलाड़ियों के नाम पर मतभेद किए जाने का भी मुद्दा उठाकर माहौल को खराब करने की कोशिश की।
सूत्र बताते हैं कि इस दौरान खालिस्तानियों ने पंजाब और हिमाचल प्रदेश समेत हरियाणा के क्षेत्र में देश के अलग-अलग हिस्सों में देश के अलग अलग हिस्सों से।आने वाले लोगों के लिए भी नफरत का बीज बोने की साजिश रची गई। बैठक में केपीएस गिल के नाम का जिक्र करते हुए उनको मानवाधिकार का उल्लंघन करने वाला व्यक्ति बताया गया और बाद में केंद्र सरकार के ऊपर आरोप लगाया गया कि ऐसे लोगों को केंद्र में बड़ी जिम्मेदारी मिली थी। सूत्र बताते हैं कि खेलों के माध्यम से पंजाब के युवाओं को भड़काने और बहका कर अपने साथ जोड़ने की यह साजिश खालिस्तान समर्थको ने शुरू की है।
केंद्रीय खुफिया एजेंसी को मिले इनपुट के आधार पर पता चला है कि शुरुआती दौर में जिन देशों के लिए यह खतरनाक साजिश की जा रही है, वहां पर सिखों को भावनात्मक रूप से अपने साथ जोड़ने की पहली रणनीति शामिल है। जानकारी के मुताबिक सिखों के उत्पीड़न से लेकर भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के बाद हुई त्रासदी पर भावनात्मक रूप से सभी सिखों को जोड़ने की बात कही गई है।
सूत्रों के मुताबिक, इस दौरान तय यही हुआ है कि जिस तरह कनाडा में गुरुद्वारों के माध्यम से सिखों के बीच में खालिस्तान की बात पहुंचाई जा रही है, ठीक उसी तर्ज पर दुनिया के अलग-अलग देश में इसे आधार बनाकर आगे बढ़ाया जाना चाहिए। इसमें ऑडियो वीडियो और चित्र प्रदर्शनी के माध्यम से खालिस्तानियों ने खतरनाक मंसूबों को आगे बढ़ाने की साजिश रची है।
जानकारी के मुताबिक, खालिस्तानी आतंकी गुरु पतवंत सिंह पन्नू समेत मोनिंदर सिंह बुआल, परमिंदर सिंह पंगली और भगत सिंह बराड़ जैसे लोगों ने न सिर्फ कनाडा बल्कि वॉशिंगटन में भी लगातार साजिशों को अंजाम देने की तैयारी कर रखी हैं। कनाडा में तो बाकायदा भारत के खिलाफ खालिस्तान की मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए पंजाब के युवाओं को ह्यूमन ट्रैफिकिंग के माध्यम से बुलाने की खतरनाक साजिशें रचनी शुरू कर दी थीं, जो अभी भी चल रहीं हैं। इसके लिए बाकायदा संगठित तरीके से पंजाब के मासूम युवाओं को कनाडा में अच्छी जिंदगी जीने का सपना दिखा कर वहां प्लंबर, इलेक्ट्रीशियन, ड्राइवर और गुरुद्वारों में सेवादार, पंथी और रागी के लिए बुलाने की पूरी रणनीति बनाई थी।
केंद्रीय खुफिया एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक इसी रणनीति के तहत खालिस्तान समर्थकों ने पंजाब से बड़ी संख्या में युवाओं को ऐसे ही पदों के लिए वीजा लगवाने की और उनको स्पॉन्सरशिप के माध्यम से बुलाने की योजनाएं शुरू कीं। सूत्रों का कहना है कि इस तरह अवैध रूप से या तो नाम बदलकर और गलत तरीके की प्रक्रिया अपनाकर फर्जी तरीके से लोगों को नौकरी का ऑफर लेटर भेज कर बुलाया जा रहा था।