भारत-चीन संबंधों पर विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि यह कभी भी आसान रिश्ता नहीं रहा है। इसमें हमेशा समस्याएं रही हैं।
भारत-चीन संबंधों पर विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि यह कभी भी आसान रिश्ता नहीं रहा है। इसमें हमेशा समस्याएं रही हैं। उन्होंने कहा कि 1975 के बाद से सीमा पर कभी भी कोई घातक सैन्य और युद्ध की घटना नहीं हुई।
विदेश मंत्री ने कहा, चीन के साथ व्यवहार करने का एक आनंद यह है कि वे आपको कभी नहीं बताते कि वे ऐसा क्यों करते हैं। यह कभी भी आसान रिश्ता नहीं रहा है। इसमें हमेशा समस्याएं रही हैं।
उन्होंने कहा कि भारत के ऐतिहासिक और सफल चंद्र मिशन चंद्रयान-3 ने दुनिया को इस बात की झलक दिखाई है कि देश ने अमृतकाल में प्रवेश कर लिया है, जहां बड़ी प्रगति और परिवर्तन उसका इंतजार कर रहे हैं।
23 अगस्त को भारत ने चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर अंतरिक्ष यान की सफल लैंडिंग के साथ इतिहास रचा है। इसके साथ ही चंद्रमा पर रोवर उतारने वाले देशों के एक कुलीन और छोटे अंतरिक्ष क्लब में शामिल हो गया है। रूस, अमेरिका, चीन के बाद चांद की सतह पर उतरने वाला भारत चौथा देश है। हालांकि, दक्षिण ध्रुव पर अपने यान को उतारने वाला वह पहला देश है।
उन्होंने कहा, ‘भारत ने अमृत काल में प्रवेश कर लिया है, जहां अधिक प्रगति और परिवर्तन हमारा इंतजार कर रहा है। हमें विश्वास है कि हमारी प्रतिभा और रचनात्मकता, जो अब इतनी स्पष्ट रूप से सामने आई है, हमें आगे बढ़ाएगी।’ जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र में आम चर्चा को संबोधित करते हुए कहा,’जब हमारा चंद्रयान-3 चांद पर उतरा तो दुनिया ने उसकी झलक देखी।’
इस साल स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि ‘अमृत काल’ के दौरान लिए गए फैसले और कदम अगले एक हजार वर्षों को प्रभावित करेंगे।
जयशंकर ने अपने भाषण में कहा कि आज दुनिया के लिए भारत का संदेश डिजिटल रूप से सक्षम शासन और वितरण, सुविधाओं और सेवाओं के व्यापक दायरे, तेजी से बढ़ते बुनियादी ढांचे और इसकी ऊर्जावान स्टार्टअप संस्कृति में है।
विदेश मंत्री ने इस बात पर भी चिंता जताई की कि हिंद महासागर में चीनी नौसेना की मौजूदगी लगातार बढ़ रही है। उन्होंने इसके लिए पहले से कहीं अधिक तैयार रहने का आह्वान किया। जयशंकर ने कहा, पिछले 20-25 वर्षों में हिंद महासागर में चीनी नौसेना की मौजूदगी और गतिविधि में लगातार वृद्धि हुई है। चीनी नौसेना के आकार में बहुत तेज वृद्धि हुई है। जब आपके पास बहुत बड़ी नौसेना होगी, तो वह नौसेना कहीं न कहीं अपनी तैनाती के संदर्भ में दिखाई देगी।’
उन्होंने आगे कहा कि नई दिल्ली किसी भी सुरक्षा निहितार्थ के लिए इन घटनाक्रमों को बहुत सावधानी से देख रहा है। उन्होंने कहा, हमारे अपने मामले में हमने चीन के बंदरगाहों की गतिविधि और इमारतों को देख है। आपने ग्वादर का जिक्र किया है। श्रीलंका में हंबनटोटा नाम का एक बंदरगाह है। कई मामलों में मैं कहूं कि उस समय की सरकारों और नीति निर्माताओं ने शायद इसके महत्व को कम करके आंका और भविष्य में ये बंदरगाह कैसे काम कर सकते हैं।