Search
Close this search box.

सही मायने में सशक्त बनीं नारियां, पंचायत प्रतिनिधियों ने बताया- कैसे आसान हुई महिलाओं की राह

Share:

गैर-सरकारी संगठन ट्रांसफॉर्म रूरल इंडिया में जेंडर लीड सीमा भास्करन कहती हैं पंचायत में महिला आरक्षण ने महिलाओं के लिए राजनीति में आने का रास्ता खोला।

Women became truly empowered Panchayat representatives told how path of women became easier

देश में पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं की समुचित भागीदारी का रास्ता वर्ष 1992 में  खुला। पंचायतों और शहरी निकायों में 33 फीसदी आरक्षण ने महिलाओं को राजनीति के क्षेत्र में कदम रखने और क्षेत्रीय विकास में योगदान देने के लिए प्रेरित किया। अब जबकि विधायिका में 33 फीसदी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित करने संबंधी विधेयक पर संसद की मुहर लग चुकी है। राजस्थान के एक दूरदराज के गांव की एक महिला सरपंच ने  कहा, आरक्षण ने मुझे सशक्त बनाया। पहले तो चुनाव में उतरने पर घरेलू दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा था।

पंचायत प्रतिनिधियों ने बताया
गैर-सरकारी संगठन ट्रांसफॉर्म रूरल इंडिया में जेंडर लीड सीमा भास्करन कहती हैं पंचायत में महिला आरक्षण ने महिलाओं के लिए राजनीति में आने का रास्ता खोला। जिन राज्यों में पंचायती राज में आरक्षण को महिला निर्वाचित प्रतिनिधियों के क्षमता निर्माण से जोड़ा गया, वहां बदलाव प्रभावशाली रहा है। महिलाओं की भागीदारी ने क्षेत्र की सूरत बदलने में अहम भूमिका निभाई।

समाज के लिए कुछ करने का मिला हौसला
छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिला स्थित रिसामा पंचायत की सरपंच गीता महानंद बताती हैं कि अगर पंचायतों में महिलाओं के लिए आरक्षण न होता तो शायद वह कभी ग्रामीण चुनाव लड़ने का हौसला नहीं जुटा पातीं। महानंद बताती हैं कि आरक्षण ने न केवल उन्हें सशक्त बनाया, बल्कि निर्णय लेने का अधिकार भी दिया। यही नहीं, उन्हें समाज के लिए कुछ करने का आत्मविश्वास भी मिला।  महिला प्रतिनिधियों का मानना है कि पंचायती राज संस्थाओं में आरक्षण मिलने के बाद के तीन दशकों में जमीनी स्तर पर महिलाओं की स्थिति काफी बदली है। उन्हें राजनीतिक क्षेत्र में नेतृत्व करने का मौका मिल रहा है और लैंगिक बाधाएं भी काफी हद तक कम हुई हैं।

सरपंच बनने के बाद महानंद ने पंचायत में स्वच्छता में सुधार के लिए सक्रिय कदम उठाए हैं और अब लाइब्रेरी स्थापित करने में लगी है। महिला आरक्षण बिल संसद में पारित होने के बारे में महानंद ने कहा, यह काफी पहले हो जाना चाहिए था। उन्होंने इसे जल्द लागू करने पर जोर दिया।

20 राज्यों में 50% आरक्षण
पंचायती राज्य व्यवस्था में सुधार के लिए 73वां और 74वां संविधान संशोधन विधेयक दिसंबर 1992 में पीवी नरसिम्हा राव सरकार के समय पारित हुआ। इनके 24 अप्रैल 1993 और 1 जून 1993 से लागू होने के साथ ही पंचायतों और शहरी निकायों में 33 फीसदी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो गईं। 2009 में पारित 110वें व 112वें संविधान संशोधन विधेयक के जरिये आरक्षण को 33 फीसदी से बढ़ाकर 50 फीसदी करने का प्रावधान किया गया। अब तक 20 राज्यों में 50 फीसदी आरक्षण लागू हो चुका है। अब, विधायिका में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण के लिए 128वें संविधान संशोधन बिल को संसद ने मंजूरी दी है।

Leave a Comment

voting poll

What does "money" mean to you?
  • Add your answer

latest news