प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 24 सितंबर को जामनगर से अहमदाबाद के बीच चलने वाली वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाएंगे। प्रधानमंत्री के पहुंचने के पहले 23 सितंबर को गुजरात के साणंद औद्योगिक क्षेत्र में अमेरिका की जानी मानी कंपनी माइक्रॉन और टाटा प्रोजेक्ट की अगुवाई में सेमी कंडक्टर चिप के परीक्षण और पैकेजिंग संयंत्र के पहले चरण का भूमिपूजन किया गया। केन्द्रीय रेल और सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भारतीय क्रांतिकारी कदम बताया और इसके साथ-साथ साणंद से अहमदाबाद के बीच में छह महीने के भीतर विश्व स्तरीय हाई स्पीड ट्रेन के परिचालन की भी घोषणा की।
अश्विनी वैष्णव ने कहा कि वह देश प्रधानमंत्री की युवाओं के लिए गारंटी लेकर आए हैं। अब अहमदाबाद और साणंद के बीच में बेहतर कनेक्टिविटी के जरिए दूरी घटाने की दिशा में भी कदम बढ़ा दिया गया है। इसके साथ गुजरात देश का पहला राज्य है, जहां सेमी कंडक्टर संयंत्र स्थापित होने जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत में हो रही इस पहल पर दुनिया की निगाहें हैं। अश्विनी वैष्णव ने गुजरात के साणंद में सेमीकंडक्टर संयंत्र परियोजना के लिए राज्य के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र भाई पटेल के प्रयासों, तत्परता और उनके विजन की भी सराहना की। सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि जब तक दूसरे राज्य इस परियोजना के बारे में सोचते, तबतक गुजरात ने इसे साणंद में स्थापित करने की सभी परियोजना को पूरा कर लिया था। गुजरात के मुख्यमंत्री का यह दृष्टिकोण अन्य राज्यों के लिए भी एक उदाहरण है।
क्या है सेमीकंडक्टर?
सेमी कंडक्टर (अर्ध चालक) ऐसे पदार्थ हैं, जिनकी विद्युत चालकता तांबे से कम लेकिन अचालक (जैसे कांच आदि) से अधिक होती है। इन अर्ध चालकों का प्रयोग इलेक्ट्रानिक डिवाइसों (टीवी, फ्रिज, एसी, मोबाइल फोन, पंखा,कार आदि) बनाने में किया जाता है। यह एक माध्यम से दूसरे माध्यम में धारा (करंट, विद्युत चालकता) का प्रवाह करके उपयोगों को बड़ा विस्तार देते हैं। रिमोट कंट्रोल सिस्टम, मन चाहे ट्रांसमिशन की कल्पना इसके बगैर संभव नहीं है। यह प्रॉडक्ट के कंट्रोल और मेमोरी प्रणाली को संचालित करते हैं। तकनीकी क्षेत्र में इसकी शुरुआत डायोड बनाने से हुई थी। डायोड का अगला संस्करण ट्रांजिस्टर था, लेकिन सेमीकंडक्टर के निर्माण की तकनीक ने इलेक्ट्रानिक क्षेत्र में क्रांति ला दी है। यह उच्च स्तर की तकनीक है और वर्तमान में बिना सेमीकंडक्टर के इलेक्ट्रानिक सामानों का निर्माण संभव नहीं है।
कितना बड़ा है इसका बाजार?
मौजूदा दौर में सेमीकंडक्टर का का बाजार काफी बड़ा है। लैपटॉप, गजट, मोबाइलफोन, मेमोरी कार्ड, सिम से लेकर अन्य पहलू यह उपयोगी है। कार से लेकर हवाई जहाज तक में इसका उपयोग होता है। खुद अश्विनी वैष्णव आने वाले पांच सालों में इसके कारोबार को पांच लाख करोड़ के पार बताते हैं। सूचना एवं प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर कहते हैं कि हमें इसकी जरूरत हमें ही नहीं पूरी दुनिया को है। अभी सेमी कंडक्टर का निर्माण अमेरिका, कोरिया, चीन, जापान जैसे देशों में होता है। मलेशिया में भी इसके निर्माण का संयंत्र लग गया, लेकिन भारत में नहीं लग पाया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2021 में इसकी जरूरत महसूस की। इसके बाद उन्होंने भारत में सेमीकंडक्टर के निर्माण की दिशा में सोचना शुरू किया थे। आज नतीजा सामने है।
साणंद की परियोजना में कितना है दम?
केन्द्रीय रेलमंत्री वैष्णव ने गुजरात के साणंद औद्योगिक क्षेत्र में 2.75 अरब डालर के सेमीकंडक्टर परीक्षण, पैकेजिंग संयंत्र के पहले चरण के निर्माण को हरीझंडी दिखाई है। इसमें 5000 लोगों को रोजगार मिलने का अनुमान है। इस परियोजना के तहत पहले चरण में दिसंबर 2024 तक 500000 स्क्वायर फीट क्लीन रूम स्पेस को ऑपरेशनल बनाया जाएगा। अमेरिकी सेमी कंडक्टर निर्माणन की अंग्रणी कंपनी माइक्रोन क्रमश: इसमें विस्तार करती रहेगी। इसके दूसरे चरण में भी इतने स्पेस को ऑपरेशनल बनाए जाने की योजना है। इसके तहत सेमीकंडक्टर चिप के उन्नतीकरण, परीक्षण मार्किंग और पैकेजिंग (एटीएमपी) योजना को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए परियोजना की कुल लागत में 50 प्रतिशत केन्द्र सरकार सहयोग करेगी और 27 प्रतिशत का सहयोग गुजरात राज्य सरकार की तरफ से रहेगा।
माइक्रॉन से जुड़े सूत्र बताते हैं कि सरकार की तरफ सेमीकंडक्टर यूनिट के लिए जरूरी अवसंरचना निर्माण, माहौल, संसाधन की उपलब्धता, इनोवेशन और स्थानीय प्रतिभाओं के विकास में मदद मिलेगी। माइक्रॉन से जुड़े सूत्र बताते हैं कि सेमी कंडक्टर चिप के निर्माण में पर्यावरण के अनुरुप अत्याधुनिक एलईईडी तकनीक का उपयोग किया जाएगा। पानी का बचत करने वाली तकनीक प्रयोग में लाई जाएगी और अपशिष्ट के रूप में न्यूनत तरल पर्दाथ डिस्चार्ज होगा। केन्द्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव को भरोसा है कि दिसंबर 2024 तक इस संयंत्र से पहली सेमीकंडक्टर चिप की खेप तैयार होकर उपयोग के लिए उपलब्ध रहेगी।
भारत जल्द करेगा सेमीकंडक्टर का निर्यात
राजीव चंद्रशेखर कहते हैं कि छह साल पहले किसी ने कल्पना नहीं की थी कि भारत मोबाइल फोन बनाएगा और निर्यात करेगा। आज दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी उ.प्र. के नोएडा में सबसे बड़े संयंत्र में मोबाइल फोन बना रही है और भारत से इसका निर्यात हो रहा है। केन्द्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आंकड़ा देते हुए कहा कि 2014 में मोबाइल फोन निर्माणन क्षेत्र का आंकड़ा कोई 17000 करोड़ का था। आज 3.65 लाख करोड़ रूपये का मोबाइल फोन निर्माण हो रहा है। पहले 7 हजार करोड़ का मोबाइल फोन निर्यात होता था और आज भारत 91 हजार करोड़ रुपये का फोन निर्यात कर रहा है। इलेक्ट्रानिक गुड्स के निर्यात में भी पांच गुणा की वृद्धि हुई है।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि साणंद के सेमी कंडक्टर संयंत्र से दिसंबर 2024 तक पहली चिप की खेप मिलेगी। अभी सेमी कंडक्टर का कारोबार दो लाख करोड़ का है, लेकिन पांच साल के भीतर पांच लाख करोड़ से अधिक हो जाएगा। सूत्र बताते हैं कि अमेरिकी कंपनी माइक्रॉन से करार में चिप के निर्माण, इसके घरेलू उपयोग के साथ-साथ निर्यात पर भी सहमति बनी है। इसमें 50 प्रतिशत घरेलू उपयोग के लिए उपलब्ध होगा, जबकि शेष 50 प्रतिशत का निर्यात किया जा सकता है।