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निज्जर को कनाडा में मिली भरपूर मदद, धर्म की आड़ में के चहेते आतंकी की कहानी में क्यों कूदे ट्रूडो

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हरदीप सिंह निज्जर, केसीएफ आतंकवादी गुरदीप सिंह उर्फ दीपा हेरनवाला का पुराना सहयोगी था। पंजाब में मिलिटेंसी के दौर, यानी 1980 के दशक के अंत और 1990 के दशक की शुरुआत में गुरदीप सिंह के खिलाफ हत्याओं के 200 से अधिक मामले बताए जाते हैं। पुलिस से जान का खतरा होने के डर से निज्जर 1996 में कनाडा भाग गया।

Canada Terrorist Hardeep Singh Nijjar got active support in Canada how Justin Trudeau got  Khalistan matter

खालिस्तानी आतंकी ‘हरदीप सिंह निज्जर’ की हत्या के मामले में भारत और कनाडा के संबंधों में तनाव आ गया है। भारत सरकार ने निज्जर की आतंकी गतिविधियों के संबंध में समय-समय पर कनाडा प्रशासन को सूचित किया था, मगर कोई विदेशी मुल्क में उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो सकी। वह खुला घूमता रहा और धर्म की आड़ में खालिस्तान के आतंकी मंसूबों को पूरा करने में जुट गया। नवंबर 2014 में उसके खिलाफ इंटरपोल रेड कॉर्नर नोटिस (आरसीएन) जारी किया गया, लेकिन उसके बाद भी कनाडा की सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया। निज्जर, पाकिस्तानी आईएसआई का चहेता था। उसकी मदद से निज्जर ने पाकिस्तान का दौरा किया। वहां पर बीकेआई प्रमुख जगतार सिंह तारा के सहयोग से उसने हथियार चलाने और आईईडी तैयार करने की ट्रेनिंग ली। अखिल भारतीय आतंकवाद विरोधी मोर्चा के अध्यक्ष एमएस बिट्टा ने भी कहा है कि पाकिस्तान की नापाक चाल का हिस्सा बन प्रधानमंत्री ट्रूडो ने ‘कनाडा-भारत’ के बीच दूरी बढ़ा दी है।

निज्जर कैसे बना कनाडा का नागरिक
हरदीप सिंह निज्जर 1997 में ‘रवि शर्मा’ उपनाम से नकली पासपोर्ट का उपयोग करके कनाडा आया था। निज्जर ने वीजा की औपचारिकताएं पूरी करने के दौरान यह दावा किया था कि उसे भारत में उत्पीड़न का डर है, इसलिए वो यहां पर शरण चाहता है। उसने खुद को ‘एक विशेष सामाजिक समूह’ से जुड़ा हुआ बताया था। हालांकि वह समूह सिख उग्रवाद से जुड़े व्यक्तियों का था। केंद्र सरकार के सूत्रों का कहना है, निज्जर की इस मनगढ़ंत कहानी के आधार पर उसकी शरण प्रक्रिया का आवेदन, अस्वीकार कर दिया गया। जब उसका यह दावा खारिज हो गया तो उसने 11 दिन बाद ही दूसरा दांव चला। उसने एक महिला के साथ ‘विवाह’ समझौता किया। इसके माध्यम से उसने आप्रवासन का प्लान बनाया, लेकिन यहां पर भी उसका आवेदन, आव्रजन अधिकारियों द्वारा खारिज कर दिया गया। वजह, उसने अपने आवेदन में जिस महिला के नाम का जिक्र किया था, वह खुद 1997 में एक अलग पति के प्रायोजन पर कनाडा पहुंची थी।

निज्जर के खिलाफ जारी हुआ था रेड कॉर्नर नोटिस
एक महिला के साथ ‘विवाह’ समझौते के माध्यम से कनाडा पहुंचने का उसका आवेदन जब अस्वीकृत हो गया तो उसने कनाडा की अदालतों में अपील की। हालांकि इस बीच वह खुद को कनाडाई नागरिक होने का दावा करता रहा। बाद में किन परिस्थितियों के चलते निज्जर को कनाडाई नागरिकता प्रदान की गई, उस बाबत कुछ स्पष्ट नहीं है। यहां बता दें कि नवंबर 2014 में उसके खिलाफ इंटरपोल रेड कॉर्नर नोटिस (आरसीएन) जारी किया गया था। निज्जर के खिलाफ भारत में हत्या और अन्य आतंकवादी गतिविधियों के एक दर्जन से अधिक आपराधिक मामले दर्ज थे। उन सभी मामलों का विवरण, कनाडाई सरकार के अधिकारियों के साथ साझा किया गया। भारत सरकार की तरफ से निज्जर के खिलाफ पुख्ता सबूत सौंपे गए। इन सबके बावजूद, उस पर कार्रवाई नहीं की गई। जब उसके खिलाफ दर्ज मामलों की संख्या बढ़ने लगी तो कनाडाई अधिकारियों ने उसे नो-फ्लाई सूची में डालने के अलावा कोई कार्रवाई नहीं की। खास बात है कि निज्जर के खिलाफ ‘आरसीएन’ पहले ही जारी हो चुका था। इतना कुछ होने पर भी निज्जर के खिलाफ कनाडा सरकार का सॉफ्ट कार्नर रहा।

धर्म की आड़ में ‘निज्जर’ का आतंकवादी चेहरा
हरदीप सिंह निज्जर, केसीएफ आतंकवादी गुरदीप सिंह उर्फ दीपा हेरनवाला का पुराना सहयोगी था। पंजाब में मिलिटेंसी के दौर, यानी 1980 के दशक के अंत और 1990 के दशक की शुरुआत में गुरदीप सिंह के खिलाफ हत्याओं के 200 से अधिक मामले बताए जाते हैं। पुलिस से जान का खतरा होने के डर से निज्जर 1996 में कनाडा भाग गया। वह आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन की व्यवस्था करने के लिए कनाडा में नशीली दवाओं की तस्करी और जबरन वसूली जैसी अवैध गतिविधियों में शामिल हो गया। 2012 में, निज्जर ने पाकिस्तान का दौरा किया। वह बीकेआई प्रमुख जगतार सिंह तारा के संपर्क में आया। तारा ने 2012 में निज्जर को हथियार और आईईडी का प्रशिक्षण दिया। इसके एक साल बाद उसने निज्जर को हैंड-हेल्ड जीपीएस डिवाइस चलाने का प्रशिक्षण देने के लिए अमेरिका स्थित हरजोत सिंह बिरिंग को कनाडा भेजा। इसके लिए निज्जर ने जगतार सिंह तारा को एक मिलियन पाकिस्तानी मुद्रा भेजी थी।

उसके निशाने पर थे राम रहीम
केंद्र सरकार के सूत्रों के अनुसार, 2014 में, निज्जर ने बीकेआई प्रमुख जगतार सिंह तारा के निर्देश पर हरियाणा के सिरसा स्थित, डेरा सच्चा सौदा मुख्यालय पर आतंकी हमले को अंजाम देने की योजना बनाई। हालांकि, ऐसा नहीं हो सका, क्योंकि निज्जर को भारतीय वीजा देने से इनकार कर दिया गया था। निज्जर अपने चचेरे भाई, गुरुद्वारे के पूर्व अध्यक्ष रघबीर सिंह निज्जर से लड़ने और धमकी देने के बाद 2021 में सरे में जबरदस्ती गुरुद्वारा अध्यक्ष बन गया। साल 2015 में जगतार सिंह तारा के भारत निर्वासन के बाद, निज्जर ने केटीएफ के ‘ऑपरेशन चीफ’ की भूमिका निभाई। एनआईए ने निज्जर के खिलाफ कई मामले दर्ज किए। इनमें मनदीप सिंह धालीवाल से जुड़े कनाडा में मॉड्यूल खड़ा करने के लिए आरसीएन भी शामिल है। निज्जर प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन, सिख फॉर जस्टिस के कनाडा चैप्टर के प्रमुख के रूप में भी जुड़ा था। उसने सिख फॉर जस्टिस के संचालक गुरपतवंत सिंह पन्नू के साथ मिलकर खालिस्तान की मुहिम आगे बढ़ाई। उसने कनाडा में भारत विरोधी हिंसक प्रदर्शन भी आयोजित किया था। निज्जर ने भारतीय राजनयिकों को धमकी दी थी। उन्होंने कनाडा में स्थानीय गुरुद्वारों द्वारा आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए भारतीय दूतावास के अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाने का भी आह्वान किया था।

अब ट्रूडो ने भारत के खिलाफ चला नया दांव 
कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में अब भारत के खिलाफ नया दांव चला है। ट्रूडो ने शुक्रवार को कहा, कनाडा ने कुछ सप्ताह पहले ही नई दिल्ली के साथ इस बात के सबूत साझा किए हैं कि ब्रिटिश कोलंबिया में खालिस्तानी आतंकवादी की हत्या में भारत के एजेंट संभावित रूप से शामिल थे। ओटावा में मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, कनाडा ने उन ‘विश्वसनीय’ आरोपों को भारत के साथ साझा किया है, जिनके बारे में मैंने सोमवार को बात की थी। हमने कई सप्ताह पहले ही भारत के साथ खुफिया इनपुट साझा किए थे। कनाडाई पीएम ने कहा कि हम भारत के साथ रचनात्मक रूप से काम करना चाहते हैं। हमें उम्मीद है कि वे हमारा सहयोग करेंगे, ताकि कनाडा सरकार, इस बेहद गंभीर मामले की तह तक पहुंच सकें। दूसरी तरफ भारत-कनाडा विवाद पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को कहा था, कनाडा सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई किसी भी विशिष्ट जानकारी पर हम गौर करने के लिए तैयार हैं। अभी तक हमें कनाडा से कोई विशेष जानकारी नहीं मिली है, जबकि हमारी तरफ से कनाडा सरकार को वहां पर भारत के खिलाफ हो रही आतंकी गतिविधियों को लेकर विशिष्ट सबूत साझा किए गए हैं। कनाडा सरकार ने उन पर कार्रवाई नहीं की है। इससे पहले भी वहां मौजूद आतंकियों की सूची एवं सबूत सौंपे गए थे, मगर कनाडा सरकार मौन रही।

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