Search
Close this search box.

कुशा के सिर सजा ‘सुखी’ में बेहतरीन अदाकारी का तमगा, बॉक्स ऑफिस पर शागिर्द का उस्ताद से मुकाबला

Share:

महिला निर्देशकों की खासियत यह होती है कि जब वह महिलाओं के इर्द गिर्द कोई कहानी बुनती हैं तो वह महिलाओं के भावनात्मक पहलू को पर्दे पर सही तरीके से पेश करती है। एक महिला होने के नाते महिलाओं के जीवन में आने वाली कठिनाइयों और सुख दुख को सही तरह से समझ सकती है। लेकिन, फिल्म ‘सुखी’ में महिलाओं की भावनाओं का कोई ऐसा पहलू नहीं है जो सिर्फ एक महिला लेखक या महिला निर्देशक के ही बूते की बात हो। नवोदित निर्देशक सोनल जोशी ने महिलाओं की आम समस्याओं पर फिल्म का निर्माण किया है। और, इस फिल्म को भावनात्मक तौर पर पर्दे पर सही तरीके से पेश नहीं कर

Sukhee Review Shipa Shetty kusha kapila starrer film try to deliver a message about freedom and independence
एक पुरानी  कहावत है कि आदमी घर चलाता है और औरत पूरी दुनिया चलाती है। पति पत्नी जीवन के दो पहिए के समान होते हैं। अगर इसमें से एक पहिया कमजोर पड़ जाए तो जिंदगी उथल पुथल हो जाती है। कभी- कभी पुरुष को इस बात का गुमान हो जाता है कि घर तो वह चलाता है, महिलाएं क्या करती हैं? लेकिन किसी कारणवश अगर एक पत्नी कुछ समय के लिए किसी कारणवश कुछ समय के लिए दूर चली जाती हैं, तब उसे इस बात का अहसास होता है कि पत्नी घर और परिवार को कैसे अपनी छोटी छोटी खुशियों को नजरअंदाज करके संभालती है?  ‘सुखी’ ऐसी ही एक महिला सुखप्रीत ‘सुखी’ कालरा की कहानी है, जो अपनी छोटी -छोटी खुशियों को नजरअंदाज करके  अपने पति और बेटी की छोटी-छोटी खुशियों का ध्यान देती है।
Sukhee Review Shipa Shetty kusha kapila starrer film try to deliver a message about freedom and independence
लेकिन जब रिश्तों के बीच अहम का टकराव होता है। तो खुशहाल जिंदगी में कड़वाहट पैदा हो जाती है। ‘सुखी’ की कहानी चार महिला पात्रों के इर्द- गिर्द घूमती हैं। सबकी अपनी एक अलग अलग कहानी है। शादी के बीस साल के बाद जब सुखी अपने कॉलेज के दोस्तों से मिलने के लिए अनंतपुर से दिल्ली दो दिन के लिए अपने पति से यह कहकर जाती है कि उसे थोड़ा सा ब्रेक चाहिए। यहां से उसके पति गुरु का अहंकार जाग जाता है और उसे लगता है कि आदमी  बिना ब्रेक के घर चलता है। औरत को लगता है कि घर के काम से थक कर ब्रेक चाहिए। सुखी अपने माता पिता की इच्छा के विरुद्ध गुरु से शादी की थी। उसके पिता कहते है कि जिंदगी का फैसला बिना बताए कर लिया, अब जिंदगी भी अकेले गुजारनी होगी। मां बाप से सुखी के रिश्ते पहले से ही खराब हैं। वह अपने दोस्तो से मिलकर कॉलेज के दिनों की यादों को ताजा करके कुछ पल के लिए खुशी चाहती है।फिल्म ‘सुखी’ को राधिका आनंद, पॉलोमी दत्ता और रूपिंदर इंद्रजीत ने मिलकर लिखा है। कहानी का जो प्लॉट उन्होंने चुना वह बहुत ही अच्छा है। फिल्म के ऐसे कई दृश्य हैं तो भावुक कर सकते हैं लेकिन कमजोर पटकथा के चलते कहानी बीच- बीच में अपना असर छोड़ देती है। कहानी की शुरुआत अच्छी होती है। बाद में ये कहानी एकता कपूर के धारावाहिकों के ट्रैक पर आ जाती है, तो बोझिल होने लगती है। आमतौर आम जीवन में पति और पत्नी के बीच छोटी मोटी बातों को लेकर मनमुटाव हो सकता है,लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वह महिला किसी और पुरुष की तरफ आकर्षित हो जाए। किसी के प्रति प्रेम और आकर्षण में बहुत बड़ा अंतर होता है। इस अंतर को समझ कर एक बहुत ही खूबसूरत और भावनात्मक कहानी कहीं जा सकती है।
Sukhee Review Shipa Shetty kusha kapila starrer film try to deliver a message about freedom and independence
फिल्म ‘तमाशा’ और ‘धूम 3’ में सहायक निर्देशक के तौर पर काम कर चुकी सोनल जोशी की यह बतौर निर्देशक पहली फिल्म है। उनके उस्ताद रहे विजय कृष्ण आचार्य भी इसी शुक्रवार को अपनी कॉमेडी फिल्म ‘द ग्रेट इंडियन फैमिली’ लेकर आ रहे हैं। सोनल को अभी निर्देशन की बारीकियां सीखने की बहुत जरूरत है। उन्हें एक अच्छी कहानी मिल गई, फिल्म के  निर्माण में टी सीरीज और ‘जलसा’ और ‘शेरनी’ जैसी फिल्मों का निर्माण कर चुके निर्माता विक्रम मल्होत्रा का साथ मिला। शिल्पा शेट्टी जैसी अभिनेत्री मिली, फिर भी एक अच्छी फिल्म बनाने से चूक गई। ठीक उसी तरह जैसे किसी कुक को खाना बनाने के लिए सारी सामग्री मिल जाए और वह स्वादिष्ट भोजन ना बना पाए। हां, फिल्म में बाप बेटी के भावनात्मक संबंध को अच्छी तरह से दिखाया है, लेकिन फिल्म के ऐसे दृश्य अगर सही सिचुएशन पर आते तो उसका कुछ अलग ही असर होता हैं।
Sukhee Review Shipa Shetty kusha kapila starrer film try to deliver a message about freedom and independence

फिल्म ‘सुखी’ की मुख्य कड़ी सुखप्रीत कालरा की भूमिका निभाने वाली अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी है। लेकिन फिल्म में सबसे ज्यादा निराशाजनक अभिनय उनका ही रहा। फिल्म के भावनात्मक दृश्यों में वह बहुत ही कमजोर दिखीं। वह सुखप्रीत कम शिल्पा शेट्टी ज्यादा दिखती हैं। टीवी शो ‘कहीं तो होगा’ के जरिए अपनी अच्छी पहचान बना चुके अभिनेता चैतन्य चौधरी ने शिल्पा शेट्टी के पति गुरु की भूमिका निभाई हैं। काफी हद तक वह अपनी भूमिका निभाने में सफल रहे। अमित साध के अभिनय में अब बमन ईरानी की झलक दिखने लगी है। फिल्म में कुशा कपिला का काम कमाल है। वह न सिर्फ शिल्पा शेट्टी से ज्यादा आकर्षक दिखी हैं, बल्कि अपनी परफॉर्मेंस से सबका ध्यान भी आकर्षित करती हैं। फिल्म के बाकी कलाकारों का अभिनय सामान्य है। फिल्म की सिनेमैटोग्राफी अच्छी है, फिल्म के सिनेमैटोग्राफर आर डी ने दिल्ली को फिल्म में बहुत खूबसूरती के साथ पेश किया है। फिल्म का संकलन और बैक ग्राउंड म्यूजिक सामान्य है।

Leave a Comment

voting poll

What does "money" mean to you?
  • Add your answer

latest news